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संपादकीय विश्लेषण- आईएएस संवर्ग नियम संशोधन वापस लेना

आईएएस संवर्ग नियम संशोधन वापस लेना- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: संघवाद- संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व; संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियाँ।

आईएएस संवर्ग नियमों में संशोधन वापस लेना- संदर्भ

  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति से संबंधित आईएएस (संवर्ग) नियम, 1954 के नियम 6(1) में चार संशोधन प्रस्तावित किए हैं तथा इस पर राज्य सरकारों के विचार आमंत्रित किए हैं।
  • “अखिल भारतीय सेवा” (ऑल इंडिया सर्विसेज) सदस्यों की भर्ती एवं नियुक्ति केंद्र द्वारा की जाती हैतथा विभिन्न राज्यों को आवंटित की जाती है एवं जो राज्य और केंद्र दोनों के अधीन सेवा कर सकते हैं।

 

आईएएस संवर्ग नियमों में संशोधन वापस लेना – पृष्ठभूमि

  • सरदार पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) एवं भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) को “अखिल भारतीय सेवा” (एआईएस) के रूप में निर्मित करने का समर्थन किया था।
  • उन्होंने अखिल भारतीय सेवाओं को आवश्यक माना-
    • एक विस्तृत एवं विविध देश के प्रशासनिक ढांचे को एक एकीकृत पूर्ण इकाई के रूप में जोड़ने हेतु तथा
    • क्षेत्र स्तर पर क्रियान्वयन एवं शीर्ष स्तर पर नीति निर्माण के मध्य एक संयोजक कड़ी प्रदान करने हेतु।
  • प्रतिनियुक्ति हेतु स्वस्थ परिपाटी: प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया में पालन की गई कुछ स्वस्थ परिपाटियां-
    • किसी अधिकारी को उसकी इच्छा के विरुद्ध केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा गया।
    • प्रत्येक वर्ष, राज्य उन अधिकारियों की एक “ऑफर लिस्ट” तैयार करेंगे, जिन्होंने स्वेच्छाचारी रूप से किसी नाम को रोक कर रखे बिना, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुना था।
    • केंद्र केवल राज्यों के “ऑन ऑफर” अधिकारियों में से ही अधिकारियों का चयन करेगा।
    • केंद्र द्वारा चयनित किए गए अधिकारियों को राज्य शीघ्र से शीघ्र विरमित करेंगे।

 

आईएएस संवर्ग नियम संशोधन वापस लेना – प्रतिनियुक्ति के संबंध में आईएएस संवर्ग नियम

  • वर्तमान प्रणाली: वर्तमान नियम 6(1) में कहा गया है कि एक संबंधित संवर्ग अधिकारी को मात्र संबंधित राज्य सरकार की सहमति से केंद्र सरकार (या किसी अन्य राज्य या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है।
    • यद्यपि, इसमें एक परंतुक है जिसमें कहा गया है कि किसी भी असहमति के मामले में, मामले का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
  • आईएएस संवर्ग नियमों में संशोधन: दो विवादास्पद संशोधन नीचे सूचीबद्ध हैं-
    • यह राज्य सरकार के लिए प्रत्येक वर्ष केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु एक निश्चित निश्चित संख्या में आईएएस अधिकारियों को उपलब्ध कराना अनिवार्य बनाता है।
      • मुद्दा: यह राज्य सरकार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अधिकारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु बाध्य करता है, भले ही ये अधिकारी स्वयं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा न रखते हों।
    • राज्य सरकार को ऐसे अधिकारियों को कर्तव्य मुक्त करने की अनिवार्यता होती है जिनकी सेवाएं विशिष्ट परिस्थितियों में केंद्र सरकार द्वारा मांगी जा सकती हैं।
      • मुद्दा: राज्यों को आशंका है कि राजनीतिक कारणों से इस प्रावधान का दुरुपयोग किया जा सकता है।

 

आईएएस संवर्ग नियम संशोधन वापस लेना – प्रतिनियुक्ति से संबंधित मुद्दे

  • प्रस्तावित संशोधन आईएएस अधिकारियों को परिनियोजित करने के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जिन्हें वे सर्वोत्तम समझे।
    • यह महत्वपूर्ण है क्योंकि नीति क्रियान्वयन की लाभदायक स्थिति अधिकांशतः राज्य स्तर से संबंधित है।
  • आईएएस अधिकारियों की कमी के कारण-
    • कनिष्ठ स्तर के पदों पर कार्य की खराब दशाएं,
    • वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए मनोनयन करने की एक अपारदर्शी एवं सरकारी प्रणाली, एवं
    • सभी स्तरों पर कार्यकाल की सुरक्षा का अभाव।
  • आईएएस अधिकारियों की अतिरिक्त कमी: यदि राज्यों को आईएएस अधिकारियों की निष्ठा पर संदेह होने लगता है, तो वे आईएएस कैडर पदों की संख्या एवं आईएएस अधिकारियों की वार्षिक भर्ती में भी कमी कर सकते हैं।
    • राज्य अधिक से अधिक पदों को संभालने के लिए राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों को प्राथमिकता दे सकते हैं।

आईएएस (संवर्ग) नियम 1954 | केंद्र आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन करेगा

आईएएस संवर्ग नियम संशोधन वापस लेना – आगे की राह

  • संवैधानिक नैतिकता को प्रोत्साहित करना: केंद्र को संवैधानिक नैतिकता की भावना, विशेष रूप से राज्यों के प्रति न्याय एवं निष्पक्षता की भावना प्रदर्शित करनी चाहिए।
  • संघवाद को अक्षुण्ण रखना: केंद्र को राज्यों के संबंध में संघवाद की भावना को अक्षुण्ण बनाए रखना चाहिए। एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ वाद (1994) में, सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि-
    • राज्यों का एक स्वतंत्र संवैधानिक अस्तित्व है एवं उन्हें जनता के राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक जीवन में संघ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
    • राज्य न तो उपग्रह हैं और न ही केंद्र के एजेंट।

आईएएस कैडर नियम संशोधन वापस लेना- निष्कर्ष

  • एक संघीय व्यवस्था में, यह अपरिहार्य है कि केंद्र एवं राज्यों के मध्य मतभेद तथा विवाद उत्पन्न होंगे। किंतु ऐसे सभी विवादों/झगड़ों को सहकारी संघवाद की भावना से एवं व्यापक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सुलझाया जाना चाहिए।
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