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आर्द्रभूमियों पर रामसर अभिसमय

आर्द्रभूमियों पर रामसर अभिसमय

रामसर अभिसमय सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझौतों में से एक है जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं में पूछता रहता है। उम्मीदवारों के लिए अभिसमय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानना महत्वपूर्ण है ताकि वे इस अभिसमय पर आधारित प्रश्नों का उत्तर दे सकें।

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रामसर अभिसमय के बारे में

  • आर्द्रभूमियों पर अभिसमय आधुनिक वैश्विक अंतर-सरकारी पर्यावरण समझौतों में सर्वाधिक पुराना है।
  • प्रवासी जलपक्षियों के लिए आर्द्रभूमि पर्यावास की बढ़ती हानि एवं क्षरण के बारे में चिंतित देशों तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा 1960 के दशक के दौरान संधि पर वार्ता की गई थी।
  • इसे 1971 में ईरान के एक शहर रामसर में अंगीकृत किया गया था एवं यह 1975 में प्रवर्तन में आया था।
  • तब से, आर्द्रभूमियों पर अभिसमय को रामसर अभिसमय के रूप में जाना जाता है।
  • अनुबंध करने वाले पक्षकारों ने सीओपी 12 में 2016-2024 के लिए चौथी रणनीतिक योजना को अपनी स्वीकृति प्रदान की।

भारत में नवीन रामसर स्थल

रामसर अभिसमय का उद्देश्य

  • रामसर अभिसमय का व्यापक उद्देश्य विश्व भर में आर्द्रभूमियों के ह्रास को रोकना है एवं जो शेष हैं, उन्हें बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग एवं प्रबंधन के माध्यम से संरक्षित करना है।

 

रामसर आर्द्रभूमियां क्या हैं?

  • रामसर अभिसमय उन स्थलों के अभिधान को प्रोत्साहित करता है जिनमें प्रतिनिधि, दुर्लभ या अद्वितीय आर्द्रभूमियाँ,अथवा वे आर्द्रभूमियाँ शामिल हैं जो जैविक विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • एक बार निर्दिष्ट हो जाने पर (अर्थात, इसके समावेशन के मानदंड को पूरा करने के बाद), इन स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमियों की अभिसमय की सूची में जोड़ दिया जाता है तथा इन्हें रामसर स्थलों के रूप में जाना जाता है।
  • आर्द्रभूमि को रामसर स्थल के रूप में निर्दिष्ट करने में, देश आर्द्रभूमि के संरक्षण एवं इसके बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक प्रबंधन ढांचा स्थापित करने तथा उसकी देखरेख करने हेतु सहमत होते हैं।
  • आर्द्रभूमियों को उनके पारिस्थितिक, वानस्पतिक, प्राणी विज्ञान, सरोवर विज्ञानी (लिमनोलॉजिकल) या जल विज्ञान संबंधी (हाइड्रोलॉजिकल) महत्व के कारण अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची में शामिल किया जा सकता है।

 

अनुबंध करने वाले पक्षकारों की प्रतिबद्धताएं

अनुबंध करने वाले पक्ष निम्नलिखित हेतु वचनबद्ध हैं:

  • अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची में शामिल करने हेतु रामसर मानदंड को पूरा करने वाले कम से कम एक स्थल को निर्दिष्ट करना
  • आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग को बढ़ावा देना
  • अपनी राष्ट्रीय भूमि-उपयोग योजना के अंतर्गत आर्द्रभूमि संरक्षण को सम्मिलित करना
  • आर्द्रभूमियों पर प्राकृतिक भंडार स्थापित करना एवं आर्द्रभूमि प्रशिक्षण को प्रोत्साहन देना, तथा
  • रामसर अभिसमय के क्रियान्वयन के संदर्भ में में अनुबंध करने वाले अन्य पक्षकारों के साथ परामर्श करना।

 

आर्द्रभूमियों का महत्व

  • आर्द्रभूमियां विश्व के सर्वाधिक उत्पादक वातावरणों में से हैं; जैविक विविधता के पालने (विकास भूमि) जो जल  तथा उत्पादकता उपलब्ध कराते हैं जिस पर पौधों एवं पशुओं की असंख्य प्रजातियां जीवित रहने के लिए निर्भर करती हैं।
  • आर्द्रभूमियां अनगिनत लाभों या “पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं” के लिए अपरिहार्य हैं जो मानव को स्वच्छ जल की आपूर्ति से लेकर, भोजन एवं निर्माण सामग्री तथा जैव विविधता से लेकर बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण एवं जलवायु परिवर्तन शमन तक प्रदान करती हैं।

भारत में रामसर आर्द्रभूमि स्थलों की सूची

आर्द्रभूमियों का ‘ बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग’ क्या है?

  • अभिसमय ने आर्द्रभूमियों के बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग को “धारणीय विकास के संदर्भ में पारिस्थितिक तंत्र दृष्टिकोण के कार्यान्वयन के माध्यम से प्राप्त उनके पारिस्थितिक विशेषता के अनुरक्षण” के रूप में परिभाषित किया है।
  • इस प्रकार बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग को व्यक्तियों एवं प्रकृति के लाभ के लिए आर्द्रभूमियों तथा उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं के संरक्षण एवं सतत उपयोग के रूप में देखा जा सकता है।

 

रामसर अभिसमय भारत

  • यह अभिसमय भारत में 1 फरवरी 1982 को प्रवर्तन में आया।
  • भारत में वर्तमान में 47 स्थल हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों (रामसर साइट) के रूप में निर्दिष्ट/नामित किया गया है।

 

आर्द्रभूमियां क्या हैं?

  • डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनुसार, आर्द्रभूमि एक ऐसा स्थान है जहां भूमि, या तो लवणीय जल, स्वच्छ जल अथवा इन के मध्य में किसी जल से आवृत्त होती है।
  • दलदल एवं तालाब, झील या महासागर का किनारा, नदी के मुहाने पर डेल्टा, निचले क्षेत्र जिनमें अप्लाई बाढ़ आती है – ये सभी आर्द्रभूमियां हैं।

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आर्द्रभूमियों के प्रकार

रामसर अभिसमय के तहत आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  • समुद्री/तटीय आर्द्रभूमियां: इसमें अन्य क्षेत्रों के साथ, स्थायी उथले समुद्री क्षेत्र; प्रवाल भित्तियां (मूंगे की चट्टानें); ज्वारनदमुखी समुद्र; अंतर ज्वारीय दलदली भूमि, तटीय लैगून सम्मिलित हैं।
  • अंतर्देशीय आर्द्रभूमियां: इसमें अन्य क्षेत्रों के साथ, स्थायी अंतर्देशीय डेल्टा; स्थायी नदियाँ / धाराएँ / खाड़ियाँ; अल्पाइन आर्द्रभूमियां, टुंड्रा आर्द्रभूमियां; जलप्रपात; भूतापीय आर्द्रभूमियां शामिल हैं।
  • मानव निर्मित आर्द्रभूमियां: इसमें अन्य क्षेत्रों के साथ, जलीय कृषि तालाब; सिंचित भूमि; जल भंडारण क्षेत्र; अपशिष्ट जल उपचार क्षेत्र; नहरें तथा  जल अपवाह मार्ग, खाई सम्मिलित हैं।

 

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