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आईएएस (संवर्ग) नियम 1954 | केंद्र आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन करेगा

केंद्र आईएएस (संवर्ग) नियमों में संशोधन करेगा- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: संघवाद- संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व; संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां।

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केंद्र आईएएस (संवर्ग) नियमों में संशोधन करेगा- संदर्भ

  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (संवर्ग) नियम 1954 (आईएएस कैडर नियम 1954) के नियम 6 (संवर्ग अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति) में संशोधन का प्रस्ताव रखा।
  • कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने आईएएस (कैडर) नियम 1954 में प्रस्तावित संशोधनों के लिए राज्यों को पत्र लिखा था।
  • कम से कम छह राज्य सरकारों ने आईएएस संवर्ग नियमों में संशोधन के किसी भी कदम का विरोध करते हुए डीओपीटी को पत्र लिखा था।

 

केंद्र आईएएस (संवर्ग) नियमों में संशोधन करेगा- प्रस्तावित संशोधन

केंद्र सरकार ने आईएएस (कैडर) नियम 1954 के नियम 6 में चार संशोधन प्रस्तावित किए हैं-

  • पहला संशोधन: यदि राज्य सरकार किसी राज्य संवर्ग के अधिकारी को केंद्र में पदस्थापना करने में विलंब करती है तथा निर्दिष्ट समय के भीतर केंद्र सरकार के निर्णय को लागू नहीं करती है, तो “अधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तिथि से उस संवर्ग से मुक्त कर दिया जाएगा।”
    • वर्तमान में, अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य सरकार से अनापत्ति की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है।
  • दूसरा संशोधन: केंद्र, राज्य के परामर्श से केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या का निर्धारण करेगा  एवं राज्य ऐसे अधिकारियों के नाम को पात्र बनाएगा।
    • वर्तमान मानदंडों के अनुसार, राज्यों को केंद्र सरकार के कार्यालयों में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों सहित अखिल भारतीय सेवा (ऑल इंडिया सर्विसेज) अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी होती है।
    • वर्तमान में, किसी भी समय प्रतिनियुक्त अधिकारियों की संख्या कुल संवर्ग संख्या के 40% से अधिक नहीं हो सकती है।
  • तीसरा संशोधन: केंद्र एवं राज्यों के मध्य किसी भी तरह की असहमति की स्थिति में इस विषय पर निर्णय केंद्र सरकार करेगी।
    • राज्य केंद्र के निर्णय को “एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर” प्रभावी करेगा।
  • चौथा संशोधन: विशिष्ट परिस्थितियों में जहां केंद्र सरकार द्वारा “जनहित” में संवर्ग अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, राज्य एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर इसके निर्णयों को लागू करेगा।

 

केंद्र आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन करेगा- राज्यों के विरोध के कारण

  • शक्तियों का केंद्रीकरण: केंद्र सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के माध्यम से आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों को स्थानांतरित करने हेतु अधिभावी शक्तियां प्राप्त करने की योजना बना रही है।
    • यह राज्य सरकारों की स्वीकृति लेने की आवश्यकता को समाप्त करके किया जाना है।
  • सहकारी संघवाद की भावना के विरुद्ध: प्रस्तावित संशोधन में राज्य सरकारों को एकपक्षीय अधिदेशित किया गया है कि वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व के तहत निर्धारित संख्या में अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति हेतु उपलब्ध कराएं।
    • कुछ राज्यों ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित संशोधन संविधान द्वारा प्रत्याभूत राज्य के अधिकार को नष्ट करने हेतु एक प्रयास था।

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केंद्र आईएएस (कैडर) नियमों में संशोधन करेगा- केंद्र सरकार का तर्क

  • केंद्रीय मंत्रालयों में अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) अधिकारियों की कमी: केंद्र ने राज्यों को दोषी ठहराया कि-
    • राज्य “केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारियों को प्रायोजित नहीं कर रहे हैं”, एवं
    • केंद्र में इसकी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अधिकारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है।
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