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राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग: संदर्भ
- हाल ही में, कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के कार्यकाल में 3.2022 से आगे तीन वर्ष के लिए विस्तार को अपनी स्वीकृति प्रदान की है।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग: प्रमुख बिंदु
- देश में सफाई कर्मचारी एवं अभिनिर्धारित किए गए मैला ढोने वाले (मैन्युअल स्कैवेंजर) प्रमुख लाभार्थी होंगे क्योंकि एनसीएसके का विस्तार 3 अतिरिक्त वर्षों के लिए कर दिया गया है।
- 12.2021 को मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट सर्वे के तहत चिन्हित किए गए मैला ढोने वालों की संख्या 58098 है।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के बारे में
- एनसीएसके की स्थापना वर्ष 1993 में एनसीएसके अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अनुसार आरंभ में 1997 तक की अवधि के लिए की गई थी।
- बाद में अधिनियम की वैधता को प्रारंभ में 2002 तक एवं तत्पश्चात 2004 तक बढ़ा दिया गया था।
- एनसीएसके अधिनियम 2.2004 से प्रवर्तन में नहीं रहा। उसके बाद एनसीएसके के कार्यकाल को समय-समय पर प्रस्तावों के माध्यम से एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में बढ़ाया गया है।
- वर्तमान आयोग का कार्यकाल 3.2022 तक है।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) के क्या कार्य हैं?
- एनसीएसके सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों, सफाई कर्मचारियों के लिए वर्तमान कल्याण कार्यक्रमों का अध्ययन एवं मूल्यांकन, विशिष्ट शिकायतों के मामलों की जांच इत्यादि के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिशें दे रहा है।
- हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन निषेध तथा उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (प्रोहिबिशन ऑफ एंप्लॉयमेंट एज मैन्युअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013) के प्रावधानों के अनुसार, एनसीएसके को निम्नलिखित कारणों पर गए हैं।
- अधिनियम के क्रियान्वयन का अनुश्रवण करना,
- केंद्र एवं राज्य सरकारों को इसके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु परामर्श प्रदान करना, एवं
- अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन / कार्यान्वयन न करने के संबंध में शिकायतों की जांच करना।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) की संरचना
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में निम्नलिखित सम्मिलित होते हैं
- एक अध्यक्ष (केंद्र राज्य मंत्री के पद एवं दर्जे में) एवं
- अन्य सहायक कर्मचारियों के साथ एक महिला सदस्य (भारत सरकार के सचिव के पद और स्थिति में) एवं सचिव (भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद पर) सहित चार सदस्य।
भारत में हाथ से मैला ढोने की प्रथा
- विगत वर्ष जुलाई में, सरकार ने घोषणा की कि देश में हाथ से मैला ढोने से किसी की मौत होने की सूचना नहीं है, यद्यपि, सरकार ने स्वीकार किया कि सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान देश भर में 941 सफाई कर्मचारियों की मृत्यु हुई।
- यद्यपि हाथ से मैला ढोने की प्रथा को लगभग समाप्त कर दिया गया है, कहीं-कहीं इसके उदाहरण प्राप्त होते हैं।
- सीवर/सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना हुआ है।
इसलिए, सरकार अनुभव करती है कि सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए सरकार के विभिन्न अंतःक्षेपों एवं पहलों का अनुश्रवण करने एवं देश में सीवर/सेप्टिक टैंकों की सफाई के पूर्ण मशीनीकरण तथा हाथ से मैला उठाने वालों के पुनर्वास के लक्ष्य को प्राप्त करने की निरंतर आवश्यकता है।
भारत ने मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में नियोजन के निषेध एवं उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत इस प्रथा पर प्रतिबंध आरोपित कर दिया गया है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग क्या है?
मैनुअल स्कैवेंजिंग सीवर या सेप्टिक टैंक से हाथों द्वारा मानव मल को शारीरिक रूप से हटाने की प्रथा है। यह अमानवीय प्रथा अधिकांशतः दलित समुदाय के सदस्यों द्वारा की जाती है, जो भारत की जाति व्यवस्था में निम्नतम स्थान पर हैं।
2013 के अधिनियम के अनुसार, सेप्टिक टैंक, गड्ढों या रेलवे ट्रैक को साफ करने के लिए नियोजित व्यक्तियों को शामिल करने के लिए मैनुअल मैला ढोने वालों की परिभाषा को विस्तृत किया गया था।