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प्राथमिकता क्षेत्र उधार: अर्थ, इतिहास, लक्ष्य, संशोधन

प्राथमिकता क्षेत्र उधार

 

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण भारत में बैंकिंग प्रणाली का एक महत्वपूर्ण खंड है, जो यूपीएससी के सामान्य अध्ययन के पेपर 3 पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके  अतिरिक्त, यह अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के अलावा विभिन्न राज्य पीसीएस परीक्षाओं एवं आरबीआई, नाबार्ड जैसे नियामक निकाय परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। आप चाहे जो भी तैयारी कर रहे हों, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण उन टॉपिक्स में से एक है जिसे आपको भूलना नहीं चाहिए! इस लेख में, हम पीएसएल के बारे में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जो विभिन्न परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने का अर्थ

  • प्राथमिकता क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जिन्हें भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक देश की मूलभूत आवश्यकताओं के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं तथा जिन्हें अन्य क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जानी है।
  • अतः, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण के तहत, बैंक ऐसे क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु पर्याप्त एवं समय पर ऋण उपलब्ध कराने हेतु अधिदेशित है।

 

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार का इतिहास

  • प्राथमिक क्षेत्र को ऋण देने की उत्पत्ति का मूल 1966 में देखा जा सकता है जब मोरारजी देसाई ने कृषि एवं लघु उद्योगों के लिए ऋण में वृद्धि करने की आवश्यकता देखी।
  • यद्यपि, 1972 में राष्ट्रीय ऋण परिषद (नेशनल क्रेडिट काउंसिल) में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकता क्षेत्र की परिभाषा को औपचारिक रूप प्रदान किया गया था।
  • 1974 में, वाणिज्यिक बैंकों को उनके एएनबीसी के 33% का लक्ष्य दिया गया था, जिसे डॉ. के. एस. कृष्णास्वामी समिति की सिफारिशों पर एएनबीसी के 404 तक बढ़ा दिया गया था।
  • बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात, प्राथमिकता क्षेत्र के निर्माण ने भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को भी महत्वपूर्ण राजनीतिक लॉबी को संतुष्ट करने की अनुमति प्रदान की।
  • प्राथमिकता क्षेत्र की परिभाषा में समय के साथ वृद्धि हुई एवं मात्र महत्वपूर्ण लॉबी समूहों तक ही सीमित नहीं रही थी, बल्कि अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण उपेक्षित क्षेत्रों को समाहित करने हेतु विस्तारित की गई थी।
  • यद्यपि, बदलाव के बावजूद, आज तक, वर्गीकरण कृषि एवं छोटे उद्योगों (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों या एमएसएमई के रूप में परिभाषित) पर भारी ध्यान केंद्रित करता है।

 

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने की श्रेणियां

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • कृषि
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
  • निर्यात ऋण
  • शिक्षा
  • आवास
  • सामाजिक अवसंरचना
  • नवीकरणीय ऊर्जा
  • अन्य

 

पीएसएल 2015: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए लक्ष्य

  • भारत में कार्यरत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य एवं उप-लक्ष्य नीचे दिए गए हैं:

 

श्रेणियाँ घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक एवं 20 तथा उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक लघु वित्त बैंक
कुल प्राथमिकता क्षेत्र समायोजित निवल बैंक ऋण का 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन (एक्सपोजर) की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो। समायोजित निवल बैंक ऋण का 40 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर एक्सपोजर की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो; जिसमें से 32% तक निर्यात को उधार देने के रूप में हो सकता है तथा 8% से कम किसी अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र को नहीं हो सकता है। एएनबीसी का 75 प्रतिशत। तथापि, मध्यम उद्यमों, सामाजिक अवसंरचना एवं नवीकरणीय ऊर्जा को प्रदान किए गए जाने वाले ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की उपलब्धि के लिए एएनबीसी के मात्र 15 प्रतिशत तक माना जाएगा। एएनबीसी का 75 प्रतिशत।
कृषि एएनबीसी का 18 प्रतिशत या तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो।

कृषि के लिए 18 प्रतिशत के लक्ष्य के अंतर्गत,  लघु एवं सीमांत किसानों के लिए एएनबीसी के 8 प्रतिशत या  तुलन पत्र से इतर (ऑफ-बैलेंस शीट)   उद्भासन के  समतुल्य की ऋण  राशि, जो भी अधिक हो, का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

लागू नहीं एएनबीसी का 18 प्रतिशत या तुलन-पत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो। एएनबीसी का 18 प्रतिशत या तुलन-पत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो।
सूक्ष्म उद्यम एएनबीसी का 7.5 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो लागू नहीं एएनबीसी का 7.5 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो। एएनबीसी का 7.5 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो।
कमजोर क्षेत्रों को अग्रिम एएनबीसी का 12 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो लागू नहीं एएनबीसी का 15 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो एएनबीसी का 12 प्रतिशत या तुलनपत्र से इतर उद्भासन की समतुल्य राशि का ऋण, जो भी अधिक हो

 

 

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के लक्ष्य

  • कुल प्राथमिकता क्षेत्र – एएनबीसी या सीईओबीई का 40 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, जो 31 मार्च, 2024 से बढ़कर एएनबीसी का 75 प्रतिशत हो जाएगा।
  • सूक्ष्म उद्यम – एएनबीसी का 5 प्रतिशत।
  • कमजोर क्षेत्रों को अग्रिम- एएनबीसी का 12 प्रतिशत।

 

शिक्षा

  • व्यावसायिक पाठ्यक्रमों सहित शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को 20 लाख रुपये से अधिक के ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।

 

आवास

  • महानगरीय केंद्रों (दस लाख एवं उससे अधिक की जनसंख्या वाले) में व्यक्तियों को 35 लाख रुपये तक का ऋण एवं 25 लाख रुपये तक का ऋण अन्य केन्द्रों में प्रति परिवार एक आवासीय इकाई की खरीद/निर्माण के लिए बशर्ते कि महानगरीय केन्द्र तथा अन्य केन्द्रों में आवासीय इकाई की कुल लागत क्रमश: 45 लाख रुपये एवं 30 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 

सामाजिक बुनियादी ढांचा

  • विद्यालयों की स्थापना,  पेयजल की सुविधा एवं घरेलू शौचालयों के निर्माण/नवीनीकरण तथा घरेलू स्तर पर जलापूर्ति सुधार आदि सहित स्वच्छता सुविधाओं इत्यादि के लिए प्रति ऋणग्राही 5 करोड़ रुपये की सीमा तक बैंक ऋण एवं टियर II से टियर VI केंद्रों में ‘आयुष्मान भारत’ के तहत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रति ऋणग्राही 10 करोड़ रुपये की सीमा तक ऋण।।

 

नवीकरणीय ऊर्जा

  • सौर ऊर्जा आधारित विद्युत जनरेटर, बायोमास आधारित विद्युत जनरेटर, पवन मिलों, सूक्ष्म जल विद्युत संयंत्रों एवं गैर-पारंपरिक ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपादेयताओं जैसे पथ प्रकाशन प्रणाली (स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम) एवं दूरस्थ ग्राम विद्युतीकरण इत्यादि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
  • व्यक्तिगत परिवारों के लिए, ऋण सीमा प्रति ऋणग्राही 10 लाख रुपये होगी।

संशोधित पीएसएल दिशा निर्देश

  • आरबीआई ने एमएसएमई पर यू. के. सिन्हा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए 2020 में पीएसएल श्रेणियों एवं ऋण सीमा को संशोधित किया है।

 

नई श्रेणियां

  • 50 करोड़ रुपये तक के स्टार्ट-अप को बैंक वित्त,
  • ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौरकरण के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना हेतु किसानों को ऋण, एवं
  • संपीडित बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए ऋण।

 

बढ़ी हुई ऋण सीमा

  • स्वास्थ्य संबंधी आधारिक संरचना के लिए सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए यह सीमा बढ़ाकर 30 करोड़ कर दी गई है।
  • विद्यालय स्थापित करने, पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाओं के लिए बैंक 5 करोड़ तक का ऋण भी प्रदान कर सकते हैं।

 

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