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इलेक्ट्रिक वाहनों पर नीति आयोग की रिपोर्ट

इलेक्ट्रिक वाहनों पर नीति आयोग की रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

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इलेक्ट्रिक वाहनों पर नीति आयोग की रिपोर्ट: संदर्भ

  • हाल ही में, नीति आयोग, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) तथा आरएमआई इंडिया ने एक नई रिपोर्ट ‘बैंकिंग ऑन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया’ जारी की, जो विद्युत गतिशीलता पारिस्थितिकी (इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इकोसिस्टम) में खुदरा ऋण के लिए प्राथमिकता-क्षेत्र की मान्यता के महत्व को रेखांकित करती है।

 

मुख्य बिंदु: पीएसएल में इलेक्ट्रिक वाहन

  • रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरटीआई) के प्राथमिकता-क्षेत्र ऋण ( पीएसएल) दिशानिर्देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों को समावेशित करने की सूचना देने हेतु विचार एवं सिफारिशें प्रदान करती है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये (5 बिलियन अमरीकी डालर) एवं 2030 तक 50 बिलियन अमरीकी डालर के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) वित्तीयन बाजार का आकार प्राप्त करने की क्षमता है।
  • यद्यपि,  क्रेता इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए कम ब्याज दरों एवं लंबी ऋण अवधि तक पहुंचने में असमर्थ हैं क्योंकि बैंक पुनर्विक्रय मूल्य  तथा उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में अभिरुचि रखती हैं।
  • प्राथमिकता-क्षेत्र ऋण बैंकों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत के संक्रमण को तेजी से ट्रैक करने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है तथा हमारे 2070 जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है।

 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर बैंकिंग:अन्य सुझाव

  • रिपोर्ट ने आगे संकेत दिया है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (टू-व्हीलर),  तिपहिया वाहनों (थ्री-व्हीलर्स) एवं व्यावसायिक चार पहिया वाहनों (कमर्शियल फोर-व्हीलर्स) पीएसएल के अंतर्गत प्राथमिकता प्राप्त करने वाले  आरंभिक खंड हैं।
  • रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि आरबीआई इलेक्ट्रिक वाहनों के विभिन्न खंडों पर विचार कर सकता है एवं पांच मानकों: सामाजिक-आर्थिक क्षमता, आजीविका सृजन क्षमता, मापनीयता, तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता एवं हितधारक स्वीकार्यता के आधार पर मामलों का उपयोग कर सकता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को शामिल करने के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए, रिपोर्ट में नवीकरणीय ऊर्जा एवं  इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण देने हेतु एक स्पष्ट उप-लक्ष्य एवं दंड प्रणाली की भी सिफारिश की गई है।
  • इसके अतिरिक्त, यह वित्त मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को एक आधारिक संरचना उप-क्षेत्र के रूप में मान्यता प्रदान करने एवं आरबीआई के तहत एक अलग रिपोर्टिंग श्रेणी के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने का सुझाव देता है।
  • इस प्रकार के बहुआयामी समाधान न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के अंतर्वेशन एवं व्यवसायों के लिए, बल्कि वित्तीय क्षेत्र तथा भारत के 2070 निवल-शून्य लक्ष्य के लिए भी आवश्यक हैं।

 

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