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कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम): प्रासंगिकता
- जीएस 3: प्रौद्योगिकी मिशन
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम): संदर्भ
- हाल ही में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) के अंतर्गत कृषि कार्य में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम): प्रमुख बिंदु
- “कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन” (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है, जिसमें कृषि ड्रोन की लागत का 100% तक का अनुदान पर विचार करता है या 10 लाख रुपए, जो भी कम हो।
- किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75% तक अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे।
- क्रियान्वयन एजेंसियों को 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर का आकस्मिक व्यय प्रदान किया जाएगा जो ड्रोन क्रय करना नहीं चाहते हैं, किंतु कस्टम हायरिंग सेंटर, हाई-टेक हब, ड्रोन निर्माता एवं स्टार्ट-अप से प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेंगे।
- ड्रोन प्रदर्शनों के लिए ड्रोन का क्रय करने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित होगा।
- ड्रोन एप्लिकेशन के माध्यम से कृषि सेवाएं प्रदान करने हेतु, ड्रोन की मूल लागत का 40% एवं इसके अटैचमेंट या रु. 4 लाख, जो भी कम हो, मौजूदा कस्टम हायरिंग केंद्रों द्वारा ड्रोन खरीद के लिए वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध होगा। कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन और उसके संलग्नकों की मूल लागत का 50% या ड्रोन के क्रय हेतु अनुदान सहायता में 5 लाख रुपए तक प्राप्त करने के पात्र होंगे।
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) के बारे में
- कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) 2014-15 में कृषोन्नति योजना के अंतर्गत आरंभ किया गया एक उप मिशन है।
- योजना का उद्देश्य लघु एवं सीमांत किसानों तथा उन क्षेत्रों एवं दुर्गम क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाना है जहां कृषि कार्यों हेतु विद्युत की उपलब्धता कम है।
- योजना का उद्देश्य ‘कस्टम हायरिंग सेंटर्स’ एवं ‘हाई-वैल्यू मशीनों के हाई-टेक हब’ को बढ़ावा देना है ताकि छोटे और खंडित भूमि जोत तथा व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल परिणाम मूलक सुलाभ को प्रतिसंतुलित किया जा सके।
- कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को प्रोत्साहित करने हेतु, उन्नत कृषि उपकरण एवं संयंत्र आधुनिक कृषि के लिए आवश्यक आदान (इनपुट) हैं जो मानव श्रम एवं खेती की लागत को कम करने के अतिरिक्त फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करते हैं।
- मशीनीकरण अन्य आदानों की उपयोग दक्षता में सुधार करने में भी सहायता करता है अतः किसानों की आय एवं कृषि अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि क्षेत्र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम): सहायता प्रतिरूप
कृषि संयंत्र (मशीनरी) के प्रकार | एससी, एसटी, लघु एवं सीमांत किसानों, महिलाओं तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लाभार्थी | |
प्रति मशीन/ उपकरण हेतु अधिकतम अनुमेय सब्सिडी | सहायता का प्रतिरूप | |
(i) ट्रैक्टर (8 से 20 पीटीओ अश्वशक्ति/ हॉर्स पावर) | 1.00 लाख रुपए | 35% |
(ii) ट्रैक्टर (20 से 70 पीटीओ अश्वशक्ति से ऊपर) | 1.25 लाख रुपए | 35% |
(i) पावर टिलर ( 8 बीएचपी से कम) | 0.50 लाख रुपए | 50% |
(ii) पावर टिलर (8 बीएचपी और अधिक) | 0.75 लाख रुपए | 50% |