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महासागरीय धाराएं: गर्म एवं ठंडी धाराओं की सूची-2

महासागरीय धाराएं

पिछले लेख में, हमने महासागरीय धाराओं से जुड़ी मूलभूत बातें एवं विश्व की ठंडी धाराओं की सूची पर चर्चा की है। इस लेख में, हम महासागरीय धाराओं से जुड़े कुछ टॉपिक्स पर चर्चा करेंगे, जिसमें विश्व के गण महासागरीय धाराओं की सूची भी शामिल है।

 

पिछले लेख में हमने चर्चा की है कि महासागरीय धारा को तापमान के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा गया है। जहां हमने पिछले लेख में ठंडी धारा के बारे में विस्तार से चर्चा की थी, वहीं इस लेख में हम गर्म धाराओं पर चर्चा करेंगे।

गर्म महासागरीय धारा

  • गर्म धाराएं निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों तक गमन करती हैं एवं इस प्रकार उष्ण (गर्म) जल को शीतल (ठंडी) जल वाले क्षेत्रों में लाती हैं।
  • ये धाराएं सामान्य तौर पर महाद्वीपों के पूर्वी तट पर निम्न एवं मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों में दाहिनी ओर) में पाई जाती हैं।
  • यद्यपि, उत्तरी गोलार्ध में, वे उच्च अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर पाए जाते हैं।

 

महासागरीय धाराओं की विशेषताएं

  • आमतौर पर, धाराएं उत्तरी गोलार्ध में दक्षिणावर्त दिशा में एवं दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की विपरीत दिशा में गमन करती हैं।
  • अपवाद: हिंद महासागर का उत्तरी भाग ऊपर उल्लेख किए गए तथ्य से विचलन में है क्योंकि इस क्षेत्र में धाराएं मानसूनी पवनों की दिशा में मौसमी परिवर्तन के प्रत्युत्तर में अपनी दिशा परिवर्तित करती हैं।
  • ठंडी धाराएं गर्म समुद्र की ओर चलती हैं एवं गर्म धाराएं ठंडे समुद्र की ओर गमन करती हैं।
  • महासागरीय धाराओं की दिशा एवं गति को प्रभावित करने में तट भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

महासागरीय धाराएँ: गर्म और ठंडी धाराओं की सूची-1

महासागरीय धाराओं का प्रभाव

महासागरीय धाराओं के प्रकृति पर अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।

  • मरुस्थल का निर्माण: उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों (भूमध्य रेखा से निकटता के अतिरिक्त) में महाद्वीपों के पश्चिमी तट ठंडे समुद्रों से आवृत्त हैं। इसी कारण से इन अक्षांशों के पश्चिमी तट क्षेत्रों में मरुस्थल पाए जाते हैं।
  • वर्षा पर प्रभाव: गर्म महासागरीय धाराएँ पूर्वी तट के तटीय एवं आंतरिक क्षेत्रों में वर्षा लाती हैं। गर्म धाराएँ उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी तटों के समानांतर प्रवाहित होती हैं। इसका परिणाम गर्म एवं वर्षा की जलवायु होती है। ये क्षेत्र उपोष्णकटिबंधीय प्रतिचक्रवात के पश्चिमी सीमांत पर स्थित हैं।
  • मत्स्यन: गर्म एवं ठंडी धाराओं का मिश्रण ऑक्सीजन की पुनःपूर्ति करने में सहायता करता है एवं मछली की आबादी के लिए प्राथमिक भोजन प्लवक के विकास को बढ़ावा देता है। विश्व के सर्वाधिक उत्तम मत्स्य के क्षेत्र मुख्य रूप से इन मिश्रण क्षेत्रों में उपस्थित हैं।
  • विमंदक प्रभाव: समुद्र की धाराएं तटों पर एक विमंदक प्रभाव प्रदान करने हेतु उत्तरदायी हैं। उदाहरण: कैनरी धारा ( ठंडी जलधारा) स्पेन में शीतलन प्रभाव लाती है।
  • नौवहन: महासागरीय धाराओं की गति भी जलयानों के आवागमन को प्रभावित करती है। यह प्रभाव इतना महत्वपूर्ण है कि जलयान आमतौर पर उन मार्गों का अनुसरण करते हैं जो महासागरीय धाराओं एवं पवनों द्वारा सहायता प्राप्त होते हैं।

 

गायरे क्या हैं?

  • महासागरीय गायरे वृत्ताकार महासागरीय धाराओं की एक व्यापक प्रणाली है जो पृथ्वी के घूर्णन द्वारा निर्मित वैश्विक पवन प्रतिरूप एवं बलों द्वारा  निर्मित की गई है।
  • विश्व के प्रमुख महासागरीय गायरे की गति “महासागरीय संवाहक पट्टी” (ओशन कन्वेयर बेल्ट) के संचालन में सहायता करती है।
  • महासागरीय कन्वेयर बेल्ट संपूर्ण ग्रह के चारों ओर महासागरों के जल को परिचालित करती है।
  • इसे ताप लवणीय संचरण (थर्मोहैलाइन सर्कुलेशन) के रूप में भी जाना जाता है, महासागर कन्वेयर बेल्ट संपूर्ण महासागर में तापमान, लवणता एवं पोषक प्रवाह को विनियमित करने  हेतु आवश्यक है।
  • पाँच गायरे हैं- उत्तरी अटलांटिक गायरे, दक्षिण अटलांटिक गायरे, उत्तरी प्रशांत गायरे, दक्षिण प्रशांत गायरे एवं हिंद महासागर गायरे – जिनका महासागर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

 

उत्प्रवाह (अपवेलिंग) क्या है?

  • उत्प्रवाह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धाराएं महासागरों की सतह पर मग्न, शीतल जल लाती हैं।
  • यह शक्तिशाली पवनों एवं पृथ्वी के घूर्णन के कारण घटित होता है, जो गर्म सतह के जल को अपतटीय स्थानांतरित करता है जिससे शीतल, पोषक तत्वों से समृद्ध जल तीव्र गति से ऊपर की ओर बढ़ जाता है।
  • पेरू के तट पर नियमित रूप से एक विशाल उत्प्रवाह की क्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप एक वृहद मत्स्यन उद्योग प्राप्त होता है।

 

अधोप्रवाह (डाउनवेलिंग) क्या है?

  • अधोप्रवाह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सतही जल को नीचे की ओर धकेला जाता है, जहां यह गहरे पानी में ऑक्सीजन पहुंचा सकता है।
  • अधोप्रवाह प्रायः उत्पादकता को कम कर देता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों की सीमित परत की गहराई में वृद्धि करता है।

 

गर्म महासागरीय धाराओं की सूची

 

गर्म महासागरीय धाराएं क्षेत्र महत्वपूर्ण बिंदु
उत्तर भूमध्यरेखीय धारा प्रशांत महासागर एवं अटलांटिक महासागर
  • 10° उत्तर से 20° उत्तर के मध्य पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है।
  • दक्षिणावर्त उपोष्णकटिबंधीय गायरे के दक्षिणी हिस्से  का निर्माण करती है।
  • टिप्पणी: इसके नाम में “भूमध्यरेखीय/इक्वेटोरियल” शब्द का प्रयोग होने के बावजूद इसका भूमध्य रेखा से कोई संबंध नहीं है।
कुरोशियो धारा प्रशांत महासागर
  • इस पश्चिमी सीमा धारा को जापान धारा अथवा ब्लैक करंट के नाम से भी जाना जाता है। जापानी में “कुरोशियो” शब्द का अर्थ “ब्लैक स्ट्रीम” होता है।
  • यह अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम का प्रशांत सदृश रूप है।
  • इस धारा का औसत सतही तापमान आसपास के महासागर की तुलना में अधिक गर्म होता है। यह जापान के तापमान को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है, जो अपेक्षाकृत गर्म होता है।
उत्तर प्रशांत धारा प्रशांत महासागर
  • इसका निर्माण कुरोशियो एवं ओयाशियो धाराओं की टक्कर से हुआ है।
  • यह पश्चिमी उत्तरी प्रशांत महासागर के साथ वामावर्त परिचालित होता है।
अलास्का धारा उत्तरी प्रशांत महासागर
  • यह उत्तरी प्रशांत महासागर के एक हिस्से के उत्तर की ओर दिक्परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
भूमध्यरेखीय प्रति धारा अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर एवं हिंद महासागर
  • पवन द्वारा संचालित होने वाली यह धारा 3°N-10°N के  मध्य पश्चिम से पूर्व की ओर  प्रवाहित होती है।
  • इसे उत्तर भूमध्यरेखीय प्रतिधारा भी कहा जाता है।
दक्षिण भूमध्यरेखीय धारा अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर एवं हिंद महासागर
  • पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली व्यापारिक पवनों द्वारा प्रत्यक्ष रुप से संचालित।
  • उत्तर भूमध्यरेखीय प्रतिधारा का प्रति-भाग।
पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर
  • दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तट के अनुदिश उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पर्यावास हेतु उष्णकटिबंधीय समुद्री जीवों को परिवहन के लिए कार्य करता है।
फ्लोरिडा धारा दक्षिण अटलांटिक महासागर एवं कैरेबियन सागर
  • फ्लोरिडा प्रायद्वीप के चारों ओर प्रवाहित होती है एवं केप हेटरस में गल्फ स्ट्रीम में मिलती है।
  • 1513 में स्पेनिश खोजकर्ता जुआन पोंस डी लियोन द्वारा खोजा गया।
गल्फ स्ट्रीम उत्तर अटलांटिक महासागर
  • मुख्य रूप से पवन के दबाव से पश्चिमी तीव्र धारा-चालित।
  • यह उत्तरी अटलांटिक प्रवाह (उत्तरी यूरोप एवं दक्षिणी धारा को पार करते हुए) एवं कैनरी धारा (पश्चिम अफ्रीका का पुनरावर्तन) में विभाजित हो जाता है।
नॉर्वेजियन धारा उत्तरी सागर (अटलांटिक  महासागर) एवं बैरेंट्स  सागर (आर्कटिक महासागर)
  • यह कील के आकार की धारा आर्कटिक जल के दो प्रमुख अंतर्वाहों में से एक है।
  • यह उत्तरी अटलांटिक प्रवाह की एक शाखा है एवं यदा-कदा इसे गल्फ स्ट्रीम का विस्तार भी माना जाता है।
इरमिंगर धारा उपध्रुवीय गायरे उत्तरी अटलांटिक महासागर
  • यह उत्तरी अटलांटिक उपध्रुवीय गायरे का एक भाग है।
एंटिल्स धारा उत्तरी अटलांटिक महासागर
  • यह अटलांटिक महासागर एवं कैरेबियन सागर को पृथक करने वाली द्वीपीय श्रृंखला से होकर  प्रवाहित होती है।
  • यह उत्तरी अटलांटिक गायरे का एक हिस्सा है।
ब्राजील की धारा ब्राजील दक्षिण अटलांटिक महासागर
  • ब्राजील के दक्षिणी तट के अनुदिश रियो डी ला प्लाटा तक प्रवाहित होती है।
  • यह अर्जेंटीना सागर में  ठंडी फ़ॉकलैंड धारा से जुड़कर इसे समशीतोष्ण समुद्र के रूप में परिवर्तित कर देता है।
मोजाम्बिक धारा हिंद महासागर
  • मोजाम्बिक जलमार्ग में अफ्रीकी पूर्वी तट के अनुदिश मोजाम्बिक तथा मेडागास्कर द्वीप के मध्य प्रवाहित होती है।
  • बड़े प्रति चक्रवाती (एंटी साइक्लोनिक) मोजाम्बिक जल मार्ग भंवर का निर्माण करते हैं।
अगुलहास धारा दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर
  • विशालतम पश्चिमी सीमा महासागरीय धारा।
  • दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट के अनुदिश प्रवाहित होती है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून धारा हिंद महासागर
  • यह दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून-अक्टूबर) के दौरान हिंद महासागर पर प्रभुत्व स्थापित कर लेती है।
  • यह एक पूर्व की ओर  प्रवाहित होने वाली विशाल महासागरीय धारा है जो अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में विस्तृत है।

 

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