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Muhavare(मुहावरे) in Hindi

Muhavare in Hindi

मुहावरे का अर्थ

भाषा को सशक्त एवं प्रवाहमयी बनाने के लिए लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। वार्तालाप के बीच में इनका प्रयोग उपयोगी होता है। कभी-कभी तो मात्र मुहावरे अथवा लोकोक्तियों के कथन से ही बात बहुत अधिक स्पष्ट हो जाती है और वक्ता का उद्देश्य भी सिद्ध हो जाता है। इनके प्रयोग से हास्य, क्रोध, घृणा, प्रेम, ईर्ष्या आदि भावों को सफलतापूर्वक प्रकट किया जा सकता है। भाषा में इनके प्रयोग से सजीवता और प्रवाहमयता आ जाती है, फलस्वरूप पाठक या श्रोता शीघ्र ही प्रभावित हो जाता है। जिस भाषा में इनका जितना अधिक प्रयोग होगा, उसकी अभिव्यक्ति क्षमता उतनी ही प्रभावपूर्ण व रोचक होगी।

मुहावरा

  • ‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा का है जिसका अर्थ है ‘अभ्यास होना’ या ‘आदी होना’।
  • इस प्रकार मुहावरा शब्द अपने–आप में स्वयं मुहावरा है, क्योंकि यह अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर असामान्य अर्थ प्रकट करता है।
  • वाक्यांश शब्द से स्पष्ट है कि मुहावरा संक्षिप्त होता है, परन्तु अपने इस संक्षिप्त रूप में ही किसी बड़े विचार या भाव को प्रकट करता है।

उदाहरणार्थ एक मुहावरा है– ‘’कलम तोड़ना’’। इसका अर्थ यह नहीं कि कलम तोड़ दिया गया है, अपितु इससे यह अर्थ निकलता है कि ‘बहुत ही श्रेष्ठ बात लिखना’।

परीक्षा की दृष्टि से भी यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका ज्ञान होना अति आवश्यक है, उसी को मद्देनज़र रखते हुए हम आपको कुछ सबसे आवश्यक मुहावरों से रूबरू करा रहे हैं, जिन्हें आप नीचे पढ़ सकते हैं और ऐसा करके परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं –

  1. अंग-अंग मुस्कराना ( बहुत खुश होना ) – परीक्षा में सर्वप्रथम आने पर उसका अंग-अंग मुस्करा रहा था।
  2. अँगूठा दिखाना ( साफ इनकार करना ) – हमें पूरा विश्वास था कि सेठ जी भूकंप पीड़ितों के लिए अधिक धन देंगे, लेकिन उन्होंने तो सहायता के नाम पर अँगूठा दिखा दिया।
  3. आग-बबूला होना ( अत्यधिक क्रोध करना ) – नौकरानी से टी-सेट टूट जाने पर मालकिन एकदम आग-बबूला हो गई।
  4. अंधे की लकड़ी ( एकमात्र सहारा ) – कुणाल के माता-पिता की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद वह अपने दादा-दादी के लिए अंधे की लकड़ी के समान है।
  5. अंग-अंग ढीला होना ( बहुत थक जाना ) – पढ़ते-पढ़ते मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
  6. अक्ल पर पत्थर पड़ना ( कुछ समझ में न आना ) – श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को बहुत समझाया कि पांडवों को राज्य में उनका हिस्सा दे दो, मगर उसकी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए थे।
  7. आसमान से बातें करना ( बहुत ऊँचा होना ) – अलास्का के ऊँचे-ऊँचे बर्फ के पहाड़ लगता हैं आसमान से बातें करते हैं।
  8. आँख का तारा ( बहुत प्यारा ) – अच्छा बच्चा माता-पिता की आँख का तारा होता है।
  9. आँखें बिछाना ( सत्कार करना ) – नेहरू जी जहाँ भी जाते थे, जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी रहती थी।
  10. अड़ंगा डालना ( रूकावट डालना ) – वर्तमान समय में प्रत्येक मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह दूसरों की प्रगति में अड़ंगा डालने से नहीं चूकता।
  11. आँखें खुलना ( होश आना ) – जब तक नरेश जुए में सब हार नहीं गया तब तक उसकी आँखें नहीं खुलीं।
  12. आँखें पथरा जाना ( आश्चर्यचकित रह जाना ) – दुर्घटना में घायल नयन तारा को मौत से लड़ते देख माँ की आँखें पथरा गईं।
  13. आटे में नमक ( बहुत कम ) – पहलवान को उसके शरीर के अनुसार खुराक चाहिए। आधा लीटर दूध तो उसके लिए आटे में नमक के बराबर है।
  14. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना ( अपनी प्रशंसा स्वयं करना ) – अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले का सम्मान धीरे-धीरे कम हो जाता है।
  15. अक्ल के घोड़े दौड़ना ( हवाई कल्पनाएँ करना ) – परीक्षा में सफलता परिश्रम करने से ही मिलती है, केवल अक्ल के घोड़े दौड़ाने से नहीं।
  16. आस्तीन का साँप ( कपटी मित्र ) – प्रदीप से अपनी व्यक्तिगत बात मत कहना। वह आस्तीन का साँप है। सभी बातें गुरू जी को बता देता है।
  17. आँखें चुराना ( अपने को छिपाना ) – गलत काम करके आँखें चुराने से कुछ नहीं होगा।
  18. आँख की किरकिरी ( बुरा लगना/दुश्मन ) – दुशासन अपनी बुरी प्रवृत्ति के कारण सबकी आँखों की किरकिरी बन गया।
  19. आँख उठाकर न देखना ( ध्यान न देना ) – श्याम पढ़ने में इतना मग्न था कि उसने आँख उठाकर भी न देखा कि उसके आस-पास क्या हो रहा है।
  20. आँखों के आगे अँधेरा छाना ( मूर्च्छित होना ) – राह चलते-चलते अचानक मैं पेड़ से टकरा गई और मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया।
  21. अक्ल का अंधा ( मूर्ख ) – केशव अक्ल का अंधा है, तभी तो सच और झूठ में फ़र्क नहीं कर पाता।
  22. आँख खुलना ( सचेत होना ) – अच्छा हुआ समय रहते श्याम की आँखें खुल गई, वरना अनर्थ हो जाता।
  23. आँख लगना ( सो जाना ) – बस में यात्रा करते समय ठंडी हवा के झोंकों से अचानक मेरी आँख लग गई।
  24. आस्तीन का साँप (कपटी मित्र) – राजू आस्तीन का साँप है, उसपर विश्वास करना मूर्खता है।
  25. आग उगलना ( गोले बरसाना ) – भारतीय सेना सीमा पर आग उगल रही है।
  26. आ बैल मुझे मार ( जान-बुझकर मुसीबत में पड़ना ) – उसका स्वभाव ही बन गया है – आ बैल मुझे मार।
  27. अँधेरे घर का उजाला ( घर का अकेला होनहार पुत्र ) – योगेश अपने चार भाई बहनों में अँधेरे घर का उजाला है, जिसपर उसके माता-पिता निर्भर करते हैं।
  28. अंधे के आगे रोना ( कुपात्र से दया की आशा करना ) – तुम उसके सामने गिड़गिड़ाने तो जा रहे हो, पर समझ लो अंधे के आगे रोने जा रहे हो, क्योंकि वह सहायता नहीं करेगा।
  29. अंधे के हाथ बटेर लगना (अयोग्य व्यक्ति को महत्वपूर्ण वस्तु प्राप्त होना ) – अजय जैसे आलसी और बेकार व्यक्ति को राधिका जैसी समझदार और नौकरी शुदा लड़की मिली तो सभी ने कहा अंधे के हाथ बटेर लग गया।
  30. ईंट से ईंट बजाना ( युद्ध करना ) – तुम मुझको कमज़ोर मत समझो, समय आने पर ईंट से ईंट बजाने के लिए भी तैयार हूं।
  31. ईद का चाँद होना ( कभी-कभी दर्शन होना ) – आयुष बहुत दिनों बाद अपने मित्र से मिला। इस पर मित्र ने कहा कि तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
  32. ईंट का जवाब पत्थर से देना ( दुष्ट का जवाब दुष्टता से देना ) – दुष्ट लोगों के साथ अहिंसा से काम नहीं चलता। उनकी हर ईंट का जवाब पत्थर से देना पड़ता है।
  33. इधर-उधर की हाँकना ( व्यर्थ की बकवास करना ) – वह तो दिन भर इधर-उधर की हाँकता रहता है, किसी भी काम को पूरा नहीं करता।
  34. उल्टी गंगा बहाना ( व्यर्थ प्रयास करना ) – वह तो निरक्षर है, उसे गीता-पाठ करवाने का प्रयास तो उल्टी गंगा बहाने के समान है।
  35. उठ जाना ( मर जाना ) – अच्छे लोगों के उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद रखती है।
  36. उल्लू बनाना ( मूर्ख बनना ) – आजकल के नेता जनता को उल्लू बनाकर चुनाव जीत जाते हैं।
  37. उन्नीस-बीस का अंतर ( बहुत कम अंतर ) – नेहा और श्रेया दोनों ही मेरी मित्र रही हैं। उन दोनों बहनों के स्वभाव में उन्नीस-बीस का अंतर है।
  38. ऊँट के मुँह में जीरा ( बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना ) – राजेश प्रतिदिन दस रोटियाँ खाता है, उसे दो रोटियाँ देना तो ऊँट के मुँह में जीरा देने के समान है।
  39. एड़ी-चोटी का जोर लगाना ( पूरा जोर लगाना ) – पाकिस्तान चाहे एड़ी-चोटी का जोर लगा दे, किंतु भारत पर हावी नहीं हो सकता।
  40. एक और एक ग्यारह होना ( संगठन में शक्ति ) – मिलकर काम करने से हमेशा सफलता मिलती है क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
  41. कलेजे पर साँप लोटना ( ईष्र्या से जलना ) – अपने बड़े भाई की सुख-समृद्धि देखकर रमेश के कलेजे पर साँप लोटने लगे।
  42. कोल्हू का बैल ( अत्यंत परिश्रमी ) – मजदूर रात-दिन कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहने पर भी भरपेट रोटी नहीं खा सकते।
  43. कान का कच्चा होना ( सुनी-सुनाई बात पर विश्वास करने वाला ) – हमारा नया अफ़सर कान का कच्चा है। अतः उससे सावधान रहना।
  44. कान पकना ( ऊब जाना, परेशान होना) – उसकी बड़ी-बड़ी बातें सुनकर मेरे तो कान पक गए हैं।
  45. काम तमाम कर देना ( मार देना ) – सैनिक ने एक ही गोली से शत्रु का काम तमाम कर दिया।
  46. कठपुतली बनना ( दूसरों के इशारों पर नाचना ) – आजकल कई देश अमेरिका की कठपुतली बने हुए हैं।
  47. कान पर जूँ तक न रेंगना ( तनिक भी प्रभाव न होना ) – सभी ने रावण को समझाया, परंतु उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।
  48. खून खौल उठना ( अधिक क्रोधित होना ) – नौकरों को सामान लुटाते देखकर उसका खून खौल उठा।
  49. खिल्ली उड़ाना ( मज़ाक उड़ाना ) – बड़े-बूढ़ों की खिल्ली उड़ाना ठीक नहीं होता।
  50. खाक में मिलना ( नष्ट-भ्रष्ट करना ) – भयंकर बाढ़ के कारण अनेक गाँव खाक में मिल गए।
  51. खरी-खोटी सुनाना ( बुरा-भला सुनाना ) – राकेश चोरी करते हुए पकड़ा गया तो उसकी माँ ने उसे खूब खरी-खोटी सुनाई।
  52. खटाई में पड़ना ( काम में रूकावट आना ) – चुनाव में ड्यूटी लग जाने के कारण मेरा हरिशंकर की बहन की शादी में जाना खटाई में पड़ गया है।
  53. खिल उठना ( प्रसन्न होना ) – नेहा को अपने जन्मदिन पर मनपसंद उपहार मिलने पर वह खिल उठी।
  54. खून का प्यासा ( कट्टर शत्रु ) – ज़मीन को लेकर हुए झगड़े के बाद से दोनों परिवार एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं।
  55. खून-पसीना एक करना ( बहुत परिश्रम करना ) – आई.आई.टी. की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए खून पसीना एक करना पड़ता है।
  56. खाक छानना ( मारा-मारा फिरना ) – बेरोजगार होने के कारण आजकल वह खाक छानता फिर रहा है।
  57. ख्याली पुलाव पकाना ( कल्पना में डूबना ) – समीर पढ़ता तो है नहीं कक्षा में प्रथम आने के ख्याली पुलाव पकाता रहता है।
  58. गागर में सागर भरना ( संक्षेप में बड़ी बात कह देना ) – कवि बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
  59. गिरगिट की तरह रंग बदलना ( सिद्धांतहीन होना ) – आजकल के नेताओं को गिरगिट की तरह रंग बदलना आता है।
  60. गुड़-गोबर करना ( सब किया कराया बरबाद कर देना ) – मैंने इतने परिश्रम से यह चित्र बनाया था, तुमने उस पर पानी डालकर सब गुड़-गोबर कर दिया।
  61. गले का हार ( बहुत प्रिय ) – अजीत की पत्नी ने अपने सास-ससुर की इतनी सेवा की कि वह उसे अपने गले का हार कहने लगे।
  62. गले मढ़ना (जबरदस्ती काम देना ) – नेहा स्वयं तो पिक्चर देखने चली गई और यह मैले कपड़ों का ढेर धोने के लिए मेरे गले मढ़ गई है।
  63. गीदड़ भभकी (कोरी धमकी) – तुमसे जो बनता है कर लो। मैं तुम्हारी गीदड़ भभकियों से डरने वाला नहीं हूं।
  64. गर्दन झुकना ( लज्जित होना ) – बेटे के अनुत्तीर्ण हो जाने पर प्रोफेसर नेहा की गर्दन झुक गई।
  65. घी के दीये जलाना ( खुशियाँ मनाना ) – जब मिश्रा जी का प्रमोशन हुआ तो उनके घर घी के दीये जलाए गए।
  66. घड़ों पानी पड़ना ( शर्मिंदा होना ) – परीक्षा में असफल हो जाने पर उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
  67. घाव पर नमक छिड़कना ( दुखी को और दुखी करना ) – जनता पहले से ही महँगाई के बोझ तले दबी है, सरकार ने टैक्स बढ़ाकर उसके घाव पर नमक छिड़क दिया।
  68. घाव हरा होना ( कष्ट याद आना ) – आदित्य की पुण्यतिथि ने रंजना के घाव हरे कर दिए।
  69. घर में गंगा बहना ( घर में सुविधा होना ) – तुम तो गणित अपने भाई से पढ़ लिया करो, घर में ही गंगा बह रही है तो बाहर भटकने से क्या लाभ है।
  70. घोड़े बेचकर सोना ( निश्चिंत होना ) – अपनी पुत्री के हाथ पीले करके सतपात घोड़े बेचकर सो गया।
  71. घुटने टेकना ( हार मानना ) – हमें जीवन में आने वाली परेशानियों के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए अपितु उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए।
  72. चिकना घड़ा होना ( निर्लज्ज होना ) – वह पूरा चिकना घड़ा है। उस पर आपकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  73. चादर से बाहर पैर पसारना ( आमदनी से अधिक खर्च करना ) – चादर से बाहर पैर पसारने वाले सदा कष्ट उठाने पड़ते हैं, इसलिए सदा अपने व्यय पर नियंत्रण रखो।
  74. चकमा देना ( धोखा देना ) – वह दुकानदार को चकमा देकर माल ले गया।
  75. चार चाँद लगाना ( प्रतिष्ठा बढ़ाना ) – परमाणु परीक्षण करके भारत के वैज्ञानिकों ने देश की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए हैं।
  76. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना ( घबरा जाना ) – परीक्षाएँ निकट आते ही पढ़ाई न करने वाले विद्यार्थियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती हैं।
  77. चुल्लू भर पानी में डूब मरना ( बहुत लज्जित होना ) – ऐसा कुकर्म करने पर तुम्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
  78. चैन की बंसी बजाना ( सुख से रहना ) – संतोषी मनुष्य का जीवन चैन की बंसी बजाते हुए व्यतीत होता है।
  79. चूल्हा न जलना ( रोटी न पकना ) – घर में लड़ाई हो जाने के कारण रमेश के घर में दो दिन से चूल्हा भी न जला।
  80. छाती पर मूँग दलना ( अत्यंत कष्ट देना ) – माँ ने नाराज़ होकर बच्चों से कहा कि मेरी छाती पर मूँग दलते रहोगे या कुछ पढ़ोगे-लिखोगे भी।
  81. छठी का दूध याद कराना ( बहुत अधिक कष्ट देना ) – पहलवान रामफल ने अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को छठी का दूध याद करा दिया।
  82. छक्के छुड़ाना ( बुरी तरह हराना ) – शिवाजी ने औरंगजेब की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
  83. कान कतरना ( बहुत चतुर होना ) – विपुल देखने में छोटा है, पर अच्छे-अच्छों के कान कतर देता है।
  84. कान भरना ( चुगली करना ) – मंथरा हमेशा कैकेयी के कान भरती रहती थी।
  85. दिल दुखाना ( कष्ट देना ) – हमें कभी अपनों का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
  86. कलई खुलना ( भेद खुलना ) – क्यों शिक्षक से झूठ बोलते थे, किसी दिन कलई खुल गई, तो बहुत बुरा होगा।
  87. नौ-दो ग्यारह होना ( भाग जाना ) – गाँववालों को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।
  88. बात का धनी ( वादे का पक्का ) – राजा हरिश्चंद्र बात के धनी थे, वे कभी भी अपनी बात से पीछे नहीं हटे।
  89. बाल बाँका न होना ( ज़रा भी नुकसान न होना ) – इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बावजूद चालक का बाल भी बाँका न हुआ।
  90. दाँतों तले उँगली दबाना ( आश्चर्य प्रकट करना ) – ताजमहल की भव्यता देखकर विदेशी भी दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं।
  91. छिन्न-भिन्न कर डालना ( नष्ट कर देना ) – हमारा आश्रय चाहे छिन्न-भिन्न कर डालो, परंतु हमारी उड़ान में विघ्न मत डालो।
  92. भंडाफोड़ होना ( भेद खुल जाना ) – भाभी की बात पर हँसी रूक न सकी और सारा भंडाफोड़ हो गया।
  93. हवा हो जाना ( गायब हो जाना ) – ड्राइवर का गुस्सा हवा हो गया और वह हँस पड़ा।
  94. दबे पाँव ( बहुत धीमे ) – चोर दबे पाँव घर में घुसा और चोरी करके चला गया।
  95. जंगल की आग ( बहुत तेल ) – यह विद्रोह जंगल की आग की तरह दूर-दूर तक फैल गया।
  96. होश उड़ना ( घबरा जाना ) – कुँवर की विजय-यात्रा से अंग्रेजों के होश उड़ गये।
  97. धूल में मिलना ( पूरी तरह नष्ट हो जाना ) – लड़के के जेल जाने पर माँ-बाप की इज्ज़त धूल में मिल गई।
  98. मुँह में पानी भर आना ( जी ललचाना ) – मिठाई की दुकान पर गरम-गरम जलेबियाँ उतरते देख मेरे मुँह में पानी भर आया।
  99. सिर धुनना ( पछताना ) – अब सिर धुनने से क्या फायदा। पहले पढ़ाई की होती, तो आज अच्छे अंक मिलते।
  100. होश ठिकाने लगाना ( अक्ल ठीक करना ) – मुझे हेडमास्टर होना चाहिए था। तब मैं परीक्षित के होश ठिकाने लगाता।

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