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सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज: परिभाषा, वर्तमान स्थिति एवं सिफारिशें

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज क्या है?

  • स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक कल्याण एवं मूलभूत मानवाधिकार है।
  • डब्ल्यूएचओ की परिभाषा: सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन का तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि  प्रत्येक  व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना आवश्यक गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सके।

भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र: वर्तमान स्थिति

  • भारत जीडीपी का लगभग 1% स्वास्थ्य पर व्यय करता है।
  • श्रीलंका, बांग्लादेश तथा भूटान विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  • आयुष्मान भारत का बजटीय आवंटन भी सममूल्य से काफी कम है।
  • इसके अतिरिक्त, यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए है, मध्यम वर्ग अभी भी जोखिम में है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत परिकल्पित जीडीपी का 2.5% व्यय करने की सरकार की प्रतिबद्धता अभी तक क्रियान्वित होना शेष है।
  • केवल प्रत्येक पांचवां अस्पताल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। साथ ही, चिकित्सक 3.8:1 (शहरी: ग्रामीण) के अनुपात में हैं।
  • विगत 4 वर्षों में मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग 2020 में 185 देशों में – 131वें स्थान पर स्थिर रही।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 57% से अधिक चिकित्सक योग्य नहीं हैं।

 

भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र: सिफारिशें

  • एक व्यापक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल की आवश्यकता है। गोरखपुर घटना, दिल्ली प्रदूषण, पंजाब मादक द्रव्य संकट जैसे मुद्दों को अलग-थलग करके नहीं देखा जाना चाहिए।
  • जनता के मध्य स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देना। यहां तक ​​कि डब्ल्यूएचओ भी इसे प्रोत्साहित करने का आह्वान करता है।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश भविष्य में मानव पूंजी के रूप में भारी प्रतिलाभ (रिटर्न) देता है।
  • अनेक विभागों के साथ समन्वय के लिए एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य एजेंसी की आवश्यकता।
  • जापान का अपने नागरिकों को यूएचसी (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज) प्रदान करने में अनुभव भारत की सहायता कर सकता है।
    • जापान ने कोलकाता में डायरिया पर शोध एवं नियंत्रण केंद्र की स्थापना की।
    • तमिलनाडु में शहरी स्वास्थ्य सहयोग को सुदृढ़ करने में सहयोग किया।
    • पोलियो उन्मूलन में जापान ने भारत के साथ मिलकर कार्य किया। बदले में जापान आयुर्वेद जैसे क्षेत्रों में सहायता प्राप्त कर सकता था।
  • जिस तरह से दवाओं की कीमतें निर्धारित की जाती हैं, उसमें नियमन की आवश्यकता है। जेनेरिक दवाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • चिकित्सा आचार संहिता को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है।
  • विभिन्न चिकित्सा उपकरणों की कीमत कम करने एवं दवाओं के लिए जीएसटी दरों को सामान्य करने की आवश्यकता है।
  • बाजार में प्रतिस्पर्धा लाने के लिए नियमन के साथ ई-फार्मेसी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • दवा बेचने (औषधियों की दुकाने) के ईंट-तथा-मोर्टार प्रतिमान ने उत्पादकों के संघीकरण (कार्टेलाइजेशन) को जन्म दिया एवं इस तरह बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रभावित किया।
  • डिजिटल स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हुए पहुंच, गुणवत्ता एवं सामर्थ्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के साधन के रूप में स्व-देखभाल के अंतःक्षेप को मान्यता प्रदान करता है।

भारत में स्वास्थ्य का मुद्दा: आगे की राह

अनुच्छेद 21 के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में समय पर चिकित्सा उपचार का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।

  • भारतीय संविधान के राज्य के नीति निर्देशक तत्व (डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ स्टेट पॉलिसी/डीपीएसपी) के तहत अनुच्छेद 47 सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए राज्यों की कार्रवाई का आह्वान करता है।
  • यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज सुनिश्चित करने से एसडीजी 3 के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

 

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