Categories: UPSC Current Affairs

संपादकीय विश्लेषण- स्थानीय निकायों हेतु लघु अनुदान किंतु एक बड़ा अवसर

स्थानीय निकायों हेतु लघु अनुदान किंतु एक बड़ा अवसर- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: संघवाद- स्थानीय स्तर तक शक्तियों एवं वित्त का हस्तांतरण तथा अंतर्निहित चुनौतियां।

स्थानीय निकायों हेतु लघु अनुदान किंतु एक बड़ा अवसर- संदर्भ

  • हाल ही में, व्यय विभाग ने ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को स्वास्थ्य अनुदान के रूप में 19 राज्यों को 8,453.92 करोड़ रुपए जारी किए।

 

 

स्थानीय निकायों को स्वास्थ्य अनुदान का वितरण: 15वें वित्त आयोग की सिफारिश

  • वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 के लिए स्वास्थ्य अनुदान: 15वें वित्त आयोग (एफसी) ने 70,051 करोड़ रुपए के स्वास्थ्य अनुदान के आवंटन की सिफारिश की, जिसे पांच वर्षों में जारी किया जाना है।
    • वितरण: वित्त वर्ष 2021-22 में आवंटित किए जाने वाले कुल 13,192 करोड़ रुपए में से, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) एवं शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को क्रमशः 8,273 करोड़ रुपए एवं 4,919 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।
  • स्वास्थ्य अनुदान: इसे परिप्रेक्ष्य में रखने हेतु, हमने अनुदान की तुलना अन्य स्वास्थ्य व्ययों के साथ की है-
    • कुल स्वास्थ्य व्यय के% के रूप में: यह भारत में 5,66,644 करोड़ रुपए के कुल स्वास्थ्य व्यय (सार्वजनिक एवं निजी दोनों व्यय एक साथ) का 3% होगा।
    • वार्षिक सरकारी स्वास्थ्य व्यय के% के रूप में: यह लगभग 2,31,104 करोड़ रुपए ( दोनों आंकड़े 2017-18 के लिए) के वार्षिक सरकारी स्वास्थ्य व्यय (संघ एवं राज्य संयुक्त) का 7% होगा।
    • यह अनुदान वित्त वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के बजट आवंटन के 5 प्रतिशत के बराबर है एवं
    • यह जुलाई 2021 में घोषित दूसरे कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया पैकेज का लगभग 55% है।
    • शहरी अंश एनयूएचएम के वार्षिक बजट का लगभग पांच गुना है एवं ग्रामीण आवंटन भारत में ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा कुल स्वास्थ्य व्यय का डेढ़ गुना है।

73वां एवं 74वां संविधान संशोधन अधिनियम- प्रमुख चुनौतियां

  • 73 वें एवं 74 वें संविधान संशोधन अधिनियम के बारे में: 1992 में, 73 वें एवं 74 वें संवैधानिक संशोधन के एक भाग के रूप में, ग्रामीण (पंचायती राज संस्थानों) एवं शहरी (निगमों एवं परिषदों) क्षेत्रों में स्थानीय निकायों (एलबी) को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का उत्तरदायित्व स्थानांतरित करदिया गया था।
  • अपेक्षा:
    • स्थानीय निकायों के निर्माण से स्थानीय निकायों के भौगोलिक क्षेत्राधिकार में स्वास्थ्य सेवाओं हेतु अधिक ध्यान देने एवं निधियों के आवंटन की अपेक्षा की गई थी।
    • साथ ही, जारी राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण परिवेशों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं हेतु धन प्राप्त होना जारी रहा।
  • वास्तविकता: शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकारी वित्तपोषण राज्य स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से नहीं किया गया था एवं शहरी स्थानीय निकायों ने स्वास्थ्य सेवाओं हेतु आवंटन में वृद्धि नहीं की थी।
    • कारण: यह संसाधनों के संकट अथवा स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित जिम्मेदारियों पर स्पष्टता की कमी अथवा पूर्ण रूप से पृथक व्यय प्राथमिकताओं के कारण है।
  • अपर्याप्त वित्त पोषण:
    • 2017-18 में, भारत में शहरी स्थानीय निकाय एवं ग्रामीण स्थानीय निकाय, भारत में वार्षिक कुल स्वास्थ्य व्यय का 3% और 1% योगदान दे रहे थे।
    • शहरी परिवेश में, अधिकांश स्थानीय निकाय स्वास्थ्य पर अपने वार्षिक बजट के 1% से कम से लेकर लगभग 3% तक व्यय कर रहे थे, जो प्रायः स्ट्रीट लाइटों की स्थापना एवं मरम्मत से कम होता है।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य मुद्दे:
    • अपर्याप्त शहरी स्वास्थ्य अवसंरचना: ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी भारत में, मात्र आधी ग्रामीण आबादी के साथ, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का छठा हिस्सा है।
    • शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं ग्रामीण भारत में उपलब्ध सेवाओं की तुलना में दुर्बल हैं।
    • विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं (उनके अधिकार क्षेत्र के अनुसार) हेतु उत्तरदायी अनेक एजेंसियों के  मध्य समन्वय का अभाव

स्वास्थ्य हेतु वित्तपोषण बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम

  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) 2005: इसे भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु प्रारंभ किया गया था, इसने स्वास्थ्य पर व्यय नहीं करने वाले ग्रामीण स्थानीय निकायों के प्रभाव को आंशिक रूप से कम किया।
    • यद्यपि, शहरी निवासी समान रूप से भाग्यशाली नहीं थे।
  • राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) 2013: इसे शहरी आबादी के लिए 1,000 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन के साथ प्रारंभ किया गया था।
    • समस्याएं: इसका बजटीय आवंटन एनआरएचएम के लिए बजटीय आवंटन का लगभग 3% था अथवा भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 4,297 रुपए प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय के मुकाबले 25 रुपए प्रति शहरी निवासी था।

स्थानीय निकायों हेतु लघु अनुदान किंतु एक बड़ा अवसर- आगे की राह

  • जागरूकता सृजित करना:
    • स्थानीय निकायों एवं प्रशासकों के मध्य: अनुदान का उपयोग प्राथमिक देखभाल एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में भूमिका एवं उत्तरदायित्व पर स्थानीय निकायों में प्रमुख हितधारकों को संवेदनशील बनाने के अवसर के रूप में किया जाना चाहिए।
    • स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में स्थानीय निकायों के उत्तरदायित्वों के बारे में नागरिकों को जागरूक किया जाना चाहिए। इस तरह का दृष्टिकोण प्रणाली में जवाबदेही को सक्षम करने हेतु एक सशक्त उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है।
    • नागरिक समाज संगठनों की भूमिका: उन्हें स्वास्थ्य में स्थानीय निकायों की भूमिका के बारे में जागरूकता में वृद्धि करने एवं संभवतः स्वास्थ्य पहल में हुई प्रगति को ट्रैक करने हेतु स्थानीय डैशबोर्ड (उत्तरदायित्व के एक तंत्र के रूप में) विकसित करने में एक व्यापक भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि: स्वास्थ्य अनुदान को स्थानीय निकायों द्वारा स्वास्थ्य व्यय के लिए एक ‘प्रतिस्थापन’ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, जो एक सार्थक प्रभाव निर्मित करने हेतु अपने स्वयं के स्वास्थ्य व्यय को नियमित रूप से बढ़ाने के साथ-साथ होना चाहिए।
  • बेहतर समन्वय हेतु तंत्र: ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कार्यरत अनेक एजेंसियों के मध्य स्थापित किया जाना चाहिए, एवं इन्हें  संस्थागत किया जाना चाहिए।
    • मापन योग्य संकेतकों एवं रोड मैप के साथ समयबद्ध तथा समन्वित कार्य योजनाओं को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • नवोन्मेषी स्वास्थ्य प्रतिमान विकसित करना: ऐसे ग्रामीण स्थानीय  निकायों एवं  शहरी स्थानीय निकायों के प्रभारी युवा प्रशासकों एवं अभिप्रेरित पार्षदों तथा पंचायती राज संस्था के सदस्यों को नवीन स्वास्थ्य प्रतिमान विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सामुदायिक क्लीनिकों को बढ़ावा देना एवं वित्त पोषण करना: नोबेल कोरोना वायरस महामारी आरंभ होने से पूर्व, अनेक राज्य सरकारों एवं शहरों ने ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के सामुदायिक क्लीनिक खोलने की योजना बनाई थी, किंतु ये पटरी से उतर गई।
    • इन सभी प्रस्तावों को पुनर्जीवित करने हेतु वित्तपोषण का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

 

स्थानीय निकायों हेतु लघु अनुदान किंतु एक बड़ा अवसर- निष्कर्ष

  • 15वें वित्त आयोग स्वास्थ्य अनुदान में एक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने की क्षमता है जो ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकायों के कार्य में मुख्यधारा के स्वास्थ्य हेतु बहुप्रतीक्षित आगे बढ़ने की प्रेरणा (स्प्रिंगबोर्ड) के रूप में कार्य कर सकता है। भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को इस अवसर का उपयोग करना चाहिए।

 

भूजल स्तर का ह्रास: सरकार द्वारा उठाए गए कदम संसद से सांसदों का निलंबन निपुण भारत योजना सतत विकास एवं 17 एसडीजी-1
भारत के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान नीति योजना प्रमुख संवैधानिक संशोधन अधिनियमों की सूची- भाग 1 कोविड-19: ओमिक्रोन वैरिएंट एसटीईएम में महिलाएं
आपदा प्रबंधन पर 5वीं विश्व कांग्रेस भारत में भ्रष्टाचार संपादकीय विश्लेषण- सामाजिक न्याय की खोज में भारत में मौद्रिक नीति
manish

Recent Posts

Indo-Gangetic-Brahmaputra Plains: Vibrant River and Features

The Indo-Gangetic-Brahmaputra Plains, nestled between the Himalayas and Deccan Plateau, make up the world's biggest…

9 hours ago

Rig Vedic Gods, Goddesses List in Ancient Indian Mythology

The Rigvedic gods are the deities who are referenced in the Rigveda. Evolving between 500…

10 hours ago

JPSC Notification 2024, Check JPSC Mains Exam Date

The Jharkhand Public Service Commission (JPSC) released the JPSC notification 2024 in January on the…

10 hours ago

MPPSC Exam Date 2024, Check New Prelims Exam Date

The Madhya Pradesh Public Service Commission (MPPSC) issued the MPPSC Notification 2024 in the previous…

10 hours ago

What is the National Game of India?

Field hockey proudly bears the distinguished honor of being India's national game, intricately intertwined with…

11 hours ago

UPSC IES ISS Notification 2024, Check IES ISS Exam Schedule

UPSC ISS IES notification 2024 has been released for 48 posts on its website at…

14 hours ago