Table of Contents
संसद से सांसदों का निलंबन- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- संसद एवं राज्य विधानमंडल – संरचना, कार्यप्रणाली, कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
संसद से सांसदों का निलंबन- संदर्भ
- हाल ही में, राज्य सभा में मानसून सत्र के दौरान व्यवधान के लिए 12 विपक्षी सांसदों को शेष शीतकालीन सत्र हेतु राज्यसभा की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है।
- उनके निलंबन का कारण सदन में “उनके कदाचार, अवमानना, अनियंत्रित एवं हिंसक व्यवहार तथा सुरक्षा कर्मियों पर जानबूझकर हमले के अपूर्व कृत्य” थे।
संसद से सांसदों का निलंबन- सांसदों के लिए आचार संहिता
- संसदीय नियम पुस्तिका: सांसदों को संसदीय शिष्टाचार के कुछ नियमों का पालन करना अपेक्षित होता है। लोकसभा नियम पुस्तिका (राज्य सभा के समान सांसदों के लिए कुछ आचार संहिता भी निर्दिष्ट करती है जैसे-
- सांसदों को दूसरों के भाषण में बाधा नहीं डालनी है, शांति बनाए रखनी है एवं बहस के दौरान हूट करने या टिप्पणी करके कार्यवाही में बाधा उत्पन्न नहीं करनी है।
- सदस्यों को नारे नहीं लगाने चाहिए, तख्तियां नहीं दिखानी चाहिए, विरोध में दस्तावेजों को फाड़ना नहीं चाहिए एवं सदन में कैसेट या टेप रिकॉर्डर नहीं बजाना चाहिए।
संसद से सांसदों का निलंबन- पीठासीन अधिकारी की शक्तियां
- कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु, संबंधित सदनों की नियम पुस्तिका दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को कुछ समान शक्तियां प्रदान करती है।
- राज्य सभा नियम पुस्तिका का नियम 255: यह कहता है, “सभापति किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उनकी राय में पूर्ण रूप से विशृंखल है, परिषद से शीघ्र हटने का निर्देश दे सकता है एवं इस प्रकार हटने का आदेश प्राप्त करने वाला कोई भी सदस्य ऐसा शीघ्रता से करेगा एवं उस दिन की बैठक की शेष अवधि के दौरान स्वयं को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रखेगा।”
- नियम 256 में ‘सदस्य के निलंबन’ का प्रावधान है; जबकि नियम 255 में कम सजा का प्रावधान है।
- राज्यसभा नियम पुस्तिका का नियम 256: यह “शेष सत्र से अनधिक अवधि के लिए” निलंबन की अनुमति प्रदान करता है।
- राज्यसभा के सभापति ने 12 सांसदों को निलंबित करने हेतु इसका उपयोग किया।
- लोकसभा नियम पुस्तिका का नियम 374 ए: इसे 2001 में जोड़ा गया था जो लोकसभा के अध्यक्ष को सदन के कामकाज को बाधित करने के लिए एक सांसद को अधिकतम पांच दिनों हेतु स्वतः नियंत्रित रूप से निलंबित करने का अधिकार प्रदान करता है।
- 2015 मेंलोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के 25 सांसदों को निलंबित करने हेतु इस नियम का प्रयोग किया था।
- यह शक्ति राज्य सभा के सभापति को उपलब्ध नहीं है।
- लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति की शक्तियां
- समानता: लोकसभा में अध्यक्ष की भांति, राज्यसभा के सभापति को अपनी नियम पुस्तिका के नियम संख्या 255 के तहत “किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उनकी राय में घोर उच्छृंखल है, सदन से शीघ्र हटने का निर्देश” देने का अधिकार है।
- असमानता: लोकसभा के अध्यक्ष के विपरीत, राज्यसभा के सभापति के पास किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति नहीं होती है।
संसद से सांसदों का निलंबन- राज्यसभा के एक सांसद को निलंबित करने की प्रक्रिया
- निलंबन प्रक्रिया:
- राज्य सभा के सभापति “किसी ऐसे सदस्य का नाम घोषित कर सकते हैं जो सभा पीठ के प्राधिकार की अवहेलना करता है या परिषद के नियमों का दुरुपयोग लगातार एवं जानबूझ कर कार्य में बाधा उत्पन्न करता है”।
- ऐसी स्थिति में, सदन, सदस्य को सदन की सेवा से निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है जो शेष सत्र से अधिक नहीं होगा।
- निलंबन की समाप्ति: सदन एक अन्य प्रस्ताव पारित करके किसी सदस्य के निलंबन को समाप्त कर सकता है।