भारत के राष्ट्रपति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान एवं आधारिक संरचना।
भारत के राष्ट्रपति
- भारत के राष्ट्रपति भारत राज्य के नाममात्र के प्रमुख होते हैं। भारत के राष्ट्रपति को भारतीय राज्य का प्रथम नागरिक भी माना जाता है।
- भारत के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद एवं भारत के महान्यायवादी के साथ-साथ संघ की कार्यकारिणी का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं।
- भारत के संविधान का भाग V अनुच्छेद 52 से अनुच्छेद 78 तक संघ की कार्यकारिणी से संबंधित है जिसके अंतर्गत भारत का राष्ट्रपति भी आते हैं।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि ‘भारत का एक राष्ट्रपति होगा’।
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियाँ
राष्ट्रपति की कतिपय कार्यपालिका शक्तियाँ जो संविधान के अनुच्छेद 53 के अंतर्गत परिभाषित हैं-
- संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी एवं इस संविधान के अनुरूप उनके द्वारा या तो प्रत्यक्ष रुप से अथवा उनके अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से प्रयोग किया जाएगा।
- पूर्वगामी प्रावधान की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, संघ के रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति में निहित होगी एवं उसके प्रयोग को विधि द्वारा विनियमित किया जाएगा।
- इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी –
- किसी भी राज्य या अन्य प्राधिकरण की सरकार पर किसी वर्तमान विधि द्वारा प्रदत्त किसी भी कार्य को राष्ट्रपति को हस्तांतरित करने के लिए नहीं समझा जाएगा; अथवा
- संसद को विधि के अनुसार राष्ट्रपति के अतिरिक्त अन्य प्राधिकारियों को कोई कार्य सौंपने से निवारित नहीं करेगी।
भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाने वाली नियुक्तियां
- राष्ट्रपति को भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की नियुक्ति तथा उन्हें प्राप्त होने वाले पारिश्रमिक का निर्धारण करने का कार्य सौंपा गया है। राष्ट्रपति यह कार्य मंत्रिपरिषद ( काउंसिल आफ मिनिस्टर्स/सीओएम) की सहायता एवं परामर्श पर करते हैं।
- वह निम्नलिखित प्राधिकारियों की नियुक्ति करते हैं:
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल /CAG)
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त
- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य
- राज्यों के राज्यपाल
- भारत के वित्त आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य
- भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय / उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
- अंतर्राज्यीय परिषद
- केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक
मंत्रिपरिषद के साथ संचार
- भारत के राष्ट्रपति केंद्र सरकार से प्रशासनिक सूचनाओं की अपेक्षा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति को किसी भी मामले को , जिस पर एक मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है, किंतु मंत्रिपरिषद द्वारा विचार नहीं किया गया है, को मंत्री परिषद के विचार हेतु प्रस्तुत करने के लिए प्रधानमंत्री से अपेक्षा कर सकते हैं।
- वह प्रधान मंत्री से संघ के मामलों के प्रशासन एवं विधान के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भी कह सकते हैं।
अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित
- वह किसी भी क्षेत्र को अधिसूचित क्षेत्र घोषित कर सकते हैं एवं उनके पास अधिसूचित क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में शक्तियां हैं।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां
संसदीय कामकाज से संबंधित
- भारत के राष्ट्रपति को संसद को आहूत करने अथवा सत्रावसान करने तथा लोकसभा का विघटन करने उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
- संसद की संयुक्त बैठक: गतिरोध की स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक आहूत करते हैं।
- संसद को संयुक्त अभिभाषण: राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में भारतीय संसद को संबोधित भी करते हैं।
- नियुक्तियाँ: भारत के राष्ट्रपति निम्नलिखित की नियुक्ति करते हैं-
- लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, एवं
- राज्यसभा के सभापति/उपसभापति
- नामनिर्देशन की शक्तियां:
- राज्य सभा: वह राज्यसभा के 12 सदस्यों को नाम निर्देशित/मनोनीत करते हैं
- लोकसभा: वह आंग्ल-भारतीय (एंग्लो-इंडियन) समुदाय से लोकसभा के लिए दो सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं
- सांसदों की निरर्हताएं: राष्ट्रपति आवश्यकता पड़ने पर सांसदों की निरर्हता के प्रश्न पर भारत के निर्वाचन आयोग से परामर्श करते हैं।
- कुछ विधेयकों को पूर्व स्वीकृति: वह कुछ प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने की सिफारिश/अनुमति प्रदान करते हैं जैसे-
- धन विधेयक
- किसी राज्य की सीमा का निर्माण/परिवर्तन
- कुछ प्रकार के वित्तीय विधेयक
- अध्यादेश निर्मित करने की शक्ति: संसद के एक या दोनों सदनों के सत्र में नहीं होने पर राष्ट्रपति के पास अध्यादेश जारी करने की शक्ति होती है।
- संसद में रिपोर्ट रखना: भारत के राष्ट्रपति संसद के समक्ष कुछ रिपोर्ट भी रखते हैं । ये रिपोर्ट्स निम्नलिखित से संबंधित होते हैं-
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- संघ लोक सेवा आयोग
- वित्त आयोग, इत्यादि।
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियाँ
- धन विधेयक: लोकसभा में धन विधेयक प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।
- वार्षिक बजट की प्रस्तुति: वह केंद्रीय बजट को संसद के समक्ष रखते हैं
- भारत की आकस्मिक निधि का प्रशासन: भारत की आकस्मिक निधि को भारत के राष्ट्रपति के समग्र नियंत्रण में प्रशासित की जाती है।
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ
क्षमादान की शक्ति: संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत, उन्हें संघ की विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दंड, सैन्य न्यायालय (मार्शल कोर्ट) द्वारा सजा अथवा मृत्युदंड के लिए क्षमादान की शक्ति प्रदान की गई है।
- राष्ट्रपति के पास निम्नलिखित में से किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ करने, प्रविलंबन, स्थगन अथवा दंड से छूट देने अथवा दंड को निलंबित करने, परिहार करने या लघुकरण की शक्ति होगी –
- सभी मामलों में जहां दंड कोर्ट मार्शल द्वारा है;
- सभी मामलों में जहां दंड किसी ऐसे मामले से संबंधित किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है, जिस पर संघ की कार्यकारिणी शक्ति का विस्तार होता है;
- सभी मामलों में जहां दंड मृत्यु दंड है।
राष्ट्रपति की राजनयिक शक्तियाँ
- अंतर्राष्ट्रीय संधियों कथा समझौतों को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है एवं भारत के राष्ट्रपति के नाम पर समझौते किए जाते हैं एवं अंतिम रूप प्रदान किए जाते हैं।
- वह अंतरराष्ट्रीय मंचों तथा मामलों में भारत के प्रतिनिधि होते हैं।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियाँ
भारत के राष्ट्रपति भारत के रक्षा बलों के सर्वोच्च सेनापति (कमांडर) होते हैं। उन्हें निम्नलिखित की नियुक्ति का दायित्व सौंपा गया है-
- थल सेना प्रमुख
- नौसेना प्रमुख
- वायु सेना प्रमुख
- रक्षा बलों के प्रमुख
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ
भारतीय संविधान में दी गई तीन प्रकार की आपात स्थितियां भारत के राष्ट्रपति के नाम पर लगाई जाती है-
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 एवं 365)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।