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भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 52-62): भारत के राष्ट्रपति के संवैधानिक प्रावधान, योग्यता एवं निर्वाचन 

भारत के राष्ट्रपति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान  एवं आधारिक संरचना।

भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 52-62): भारत के राष्ट्रपति के संवैधानिक प्रावधान, योग्यता एवं निर्वाचन _3.1

भारत के राष्ट्रपति 

  • भारत के राष्ट्रपति भारत राज्य के संज्ञात्मक (नाममात्र के) प्रमुख होते हैं। भारत के राष्ट्रपति को भारतीय राज्य का  प्रथम नागरिक भी माना जाता है।
  • भारत के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद एवं भारत के महान्यायवादी के साथ-साथ संघ की कार्यकारिणी का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं।
  • भारत के संविधान का भाग V अनुच्छेद 52 से अनुच्छेद 78 तक संघ की कार्यकारिणी से संबंधित है जिसके अंतर्गत भारत का राष्ट्रपति भी आते हैं।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि ‘भारत का एक राष्ट्रपति होगा’।

 

भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए प्रतिभागी उम्मीदवारों के लिए पात्रता मानदंड 

राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को कुछ योग्यताएं पूरी करनी होती हैं। भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए आवश्यक योग्यताएं हैं:

  • वह एक भारतीय नागरिक होना चाहिए
  • उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए
  • उसे लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किए जाने की शर्तों को पूरा करना चाहिए
  • उसे केंद्र सरकार, राज्य सरकार या किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं करना चाहिए।

 

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन

  • राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु पूर्वापेक्षाएँ:
    • राष्ट्रपति के पद के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार के नामांकन में कम से कम 50 निर्वाचकों द्वारा प्रस्तावक के रूप में  तथा 50 निर्वाचकों द्वारा अनुमोदक के रूप में समर्थन किया जाना चाहिए।
    • प्रत्येक उम्मीदवार को भारतीय रिजर्व बैंक में 15,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है, जो उम्मीदवार द्वारा डाले गए वोटों का छठा हिस्सा प्राप्त करने में विफल रहने की स्थिति में जब्त होने के लिए दायी है।
  • भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन का सिद्धांत: भारत के राष्ट्रपति का  निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर आधारित है।
  • भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु मतदान की रीति: यह मतदान की एक गुप्त मतदान प्रणाली है।
  • भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए  निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज): संविधान अनुच्छेद 54 में कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाएगा, जिसमें  सम्मिलित होंगे-
    • संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य; तथा
    • राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
  • नोट: अनुच्छेद 54 तथा अनुच्छेद 55 के उद्देश्य की पूर्ति हेतु, “राज्य” में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सम्मिलित हैं।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का समाधान: राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित किसी भी विवाद को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ग्रहण किया जाता है, जिसके पास इस मामले में मूल अधिकार क्षेत्र होता है।
    • इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है।
    • नोट: राष्ट्रपति के निर्वाचन को अमान्य एवं शून्य घोषित किए जाने के पश्चात, राष्ट्रपति द्वारा अपने पदावधि में किए गए कार्य उनके हटाने के बाद भी वैध रहते हैं।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद                                                           प्रावधान 

  • अनुच्छेद 55 राष्ट्रपति के  निर्वाचन की रीति
  • अनुच्छेद 57 पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता

 

भारत के राष्ट्रपति के  निर्वाचन में कौन मतदान नहीं करता है?

  • निम्नलिखित व्यक्तियों के समूह भारत के राष्ट्रपति के  निर्वाचन हेतु उत्तरदायी निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं होते हैं:
    • लोकसभा (2)  एवं राज्यसभा (12) के मनोनीत सदस्य
    • राज्य विधान सभाओं के मनोनीत सदस्य
    • द्विसदनीय विधायिकाओं में विधान परिषदों के सदस्य (निर्वाचित तथा मनोनीत दोनों)
    • केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली एवं पुडुचेरी के मनोनीत सदस्य

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राष्ट्रपति के निर्वाचन में निर्वाचक मंडल के मतों का मूल्य

  • एक विधायक के मत का मूल्य = राज्य की कुल जनसंख्या/राज्य विधान सभा में निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या ×1/1000
  • एक सांसद के मत का मूल्य = सभी राज्यों के सभी विधायकों के मतों का कुल मूल्य/संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या
  • प्रत्येक विधायक के मत का मूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है। हालांकि, सांसदों के वोटों का मूल्य समान रहता है।

 

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