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नाविक (NavIC)- भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन

NavIC- भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां

नाविक (NavIC): चर्चा में क्यों है?

  • केंद्र सरकार अपने घरेलू नौवहन प्रणाली (नेविगेशन सिस्टम) ‘नाविक’ के अनुकूल स्मार्टफोन बनाने के लिए टेक दिग्गजों को प्रेरित कर रही है।

 

नाविक (NavIC) क्या है?

  • NavIC, या भारतीय नक्षत्र के साथ नौवहन (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) , भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन/ISRO) द्वारा विकसित एक स्वतंत्र स्वचालित (स्टैंड-अलोन) नौवहन उपग्रह प्रणाली है।
  • नाविक को मूल रूप से 2006 में 174 मिलियन डॉलर की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई थी।
  • इसके 2011 के अंत तक पूरा होने की संभावना थी, किंतु यह 2018 में ही क्रियाशील हो पाया।
  • NavIC में आठ उपग्रह होते हैं एवं यह भारत के संपूर्ण भूभाग एवं इसकी सीमाओं से 1,500 किमी (930 मील) तक की दूरी को कवर करता है।

तथ्य: इस नक्षत्र में उपग्रहों की संख्या विवादित है। इसे विभिन्न स्रोतों के आधार पर 7 तथा 8 बताया गया है। कुल नौ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया, जिनमें से पहला (आईआरएनएसएस –1 ए) आंशिक रूप से विफल रहा क्योंकि इसकी परमाणु घड़ी में कुछ समस्या थी। एक अन्य एवं अंतिम उपग्रह का प्रक्षेपण विफल रहा। अतः  इन उपग्रहों की संख्या 7/8 होती है।

 

केंद्र NavIC पर बल क्यों दे रहा है?

  • वर्तमान में, NavIC का उपयोग सीमित है।
  • इसका उपयोग भारत में सार्वजनिक वाहनों के ट्रैकिंग में किया जा रहा है।
  • यह गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों को जहां कोई स्थलीय नेटवर्क संपर्क उपलब्ध नहीं है एवं प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित ट्रैकिंग तथा जानकारी प्रदान करने के लिए आपातकालीन चेतावनी अलर्ट प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है।
  • स्मार्टफोन में इसे सक्षम करना अगला कदम है जिस पर भारत बल दे रहा है।
  • भारत की 2021 उपग्रह नौवहन प्रारूप नीति में कहा गया है कि सरकार विश्व के किसी भी हिस्से में NavIC संकेतों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय से वैश्विक तक कवरेज का विस्तार करने की दिशा में  कार्य करेगी।

 

NavIC: तुलना

  • मुख्य अंतर इन प्रणालियों द्वारा कवर किया जाने वाला उपयोज्य (सेवा योग्य) क्षेत्र है।
  • जीपीएस संपूर्ण विश्व के उपयोगकर्ताओं को सेवाएं प्रदान करता है एवं इसके उपग्रह दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं, जबकि नाविक (एनएवीआईसी) वर्तमान में भारत तथा आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग के लिए है।
  • जीपीएस की भांति, तीन अन्य नौवहन प्रणालियां हैं जिनमें वैश्विक कवरेज है – यूरोपीय संघ से गैलीलियो, रूस के स्वामित्व वाली ग्लोनास एवं चीन की बीडौ।
  • जापान द्वारा संचालित QZSS, जापान पर ध्यान देने के साथ एशिया-ओशिनिया क्षेत्र को कवर करने  वाली एक अन्य क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली है।

 

NavIC का सामरिक महत्व

  • भारत का कहना है कि नेविगेशन सेवा आवश्यकताओं के लिए विशेष रूप से “रणनीतिक क्षेत्रों” के लिए विदेशी उपग्रह प्रणालियों पर निर्भरता को समाप्त करने के उद्देश्य से NavIC की कल्पना की गई है।
  • भारत का कहना है कि जीपीएस एवं ग्लोनास जैसी प्रणालियों पर विश्वास करना सदैव विश्वसनीय नहीं हो सकता है, क्योंकि वे संबंधित देशों की रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित होते हैं।
  • यह संभव है कि नागरिक सेवाओं को निम्नीकृत अथवा अस्वीकार किया जा सकता है।
  • NavIC एक स्वदेशी स्थिति निर्धारण प्रणाली (पोजिशनिंग सिस्टम) है जो भारतीय नियंत्रण में है।
  • किसी भी स्थिति में सेवा को वापस लेने अथवा अस्वीकार करने का कोई जोखिम नहीं है।

 

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