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प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022

प्रारूप दूरसंचार विधेयक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
    • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 चर्चा में क्यों है?

  • प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 हाल ही में संचार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विभिन्न हितधारकों एवं उद्योग संघों के परामर्श के आधार पर तैयार किया गया था।
  • आगे परामर्श की सुविधा के लिए, प्रारूप दूरसंचार विधेयक का संक्षिप्त विवरण प्रदान करने हेतु एक व्याख्यात्मक नोट भी तैयार किया गया है।

 

प्रारूप दूरसंचार विधेयक 2022

  • पृष्ठभूमि: दूरसंचार विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम/DoT) ने दूरसंचार क्षेत्र को शासित करने वाले ब्रिटिश-युग के कानूनों को समाप्त करने के लिए भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का प्रारूप जारी किया।
  • प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक के बारे में: दूरसंचार क्षेत्र को शासित करने के तरीके में व्यापक परिवर्तन लाने हेतु, मुख्य रूप से केंद्र को ऐसा करने के लिए अनेक क्षेत्रों में अधिक शक्तियां प्रदान कर प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक अधिनियमित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य:  प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेय (ड्राफ्ट इंडियन टेलीकॉम बिल) के माध्यम से, केंद्र का उद्देश्य स्पेक्ट्रम के प्रदत्त कार्य के अतिरिक्त दूरसंचार सेवाओं, दूरसंचार नेटवर्क एवं आधारिक अवसंरचना के प्रावधान, विकास, विस्तार तथा संचालन को शासित करने वाले वर्तमान कानूनों को समेकित तथा संशोधित करना है।

 

प्रारूप दूरसंचार विधेयक 2022 की प्रमुख विशेषताएं

  • मौजूदा कानूनों का समेकन: प्रारूप दूरसंचार विधेयक तीन पृथक पृथक अधिनियमों – भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 एवं द टेलीग्राफ वायर्स, (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम 1950 को समेकित करता है जो दूरसंचार क्षेत्र को शासित करते हैं।
  • दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा को व्यापक बनाना: दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में व्हाट्सएप, सिग्नल तथा टेलीग्राम सदृश नवीन युग के शीर्ष संचार सेवाओं को शामिल करने के माध्यम से।
  • प्रारूप कानून के अनुसार, दूरसंचार सेवाओं के प्रदाताओं को लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत कवर किया जाएगा एवं इन दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों के समान नियमों के अधीन किया जाएगा।
  • ट्राई की अनुशंसात्मक शक्तियों को कम करना: वर्तमान भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम (ट्राई अधिनियम) दूरसंचार विभाग को एक सेवा प्रदाता को नया लाइसेंस जारी करने से पूर्वक नियामक के विचारों को जानने हेतु अधिदेशित करता है।
    • प्रस्तावित दूरसंचार विधेयक इस प्रावधान को समाप्त करता है।
    • इसने उस प्रावधान को भी हटा दिया है जिसने ट्राई को यह संस्तुति करने हेतु आवश्यक जानकारी या दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए सरकार से अनुरोध करने का अधिकार प्रदान किया था।
    • इसके अतिरिक्त, नया विधेयक उस प्रावधान को भी समाप्त करने का प्रस्ताव करता है जहां यदि दूरसंचार विभाग ट्राई की संस्तुतियों को स्वीकार नहीं कर सकता है या संशोधन की आवश्यकता है, तो उसे ट्राई द्वारा पुनर्विचार हेतु संस्तुति को वापस भेजना होगा।
  • दिवालियापन या दिवाला पर: प्रारूप दूरसंचार विधेयक ने प्रस्तावित किया कि यदि स्पेक्ट्रम पर स्वामित्व वाली कोई दूरसंचार इकाई दिवालिएपन या दिवाला की स्थिति से गुजरती है, तो समनुदेशित स्पेक्ट्रम केंद्र के नियंत्रण में वापस आ जाएगा।
    • अब तक, दिवाला कार्यवाही में, इस बात पर स्पष्टता का अभाव रहा है कि क्या एक चूककर्ता (डिफॉल्टर) ऑपरेटर के स्वामित्व वाला स्पेक्ट्रम केंद्र का है या क्या बैंक इस पर नियंत्रण कर सकते हैं।
    • प्रारूप विधेयक केंद्र को वित्तीय तनाव, उपभोक्ता हित एवं प्रतिस्पर्धा बनाए रखने सहित अन्य बातों के अतिरिक्त असाधारण परिस्थितियों में किसी भी लाइसेंसधारी को स्थगित करने, इक्विटी में परिवर्तित करने, बट्टे खाते में डालने अथवा अनुतोष प्रदान करने राहत देने का अधिकार प्रदान करता है।
  • दूरसंचार विकास कोष (टेलीकॉम डेवलपमेंट फंड/TDF) का निर्माण: प्रारूप भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022 में सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष (यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड/USOF) को दूरसंचार विकास कोष (TDF) से प्रतिस्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
    • दूरसंचार विकास कोष (टीडीएफ) का उद्देश्य अल्पसेवित शहरी क्षेत्रों, शोध एवं विकास ( रिसर्च एंड डेवलपमेंट/आर एंड डी), कौशल विकास इत्यादि में संपर्क को वर्धित करना है।

 

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