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संपादकीय विश्लेषण- रिफॉर्म्स एंड द टास्क ऑफ गेटिंग टीचर्स ऑन बोर्ड

शिक्षा क्षेत्र में सुधार- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन और चुनौतियां
    • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

संपादकीय विश्लेषण- रिफॉर्म्स एंड द टास्क ऑफ गेटिंग टीचर्स ऑन बोर्ड_3.1

आंध्र प्रदेश द्वारा शिक्षा क्षेत्र में सुधार चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, आंध्र प्रदेश में वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अनेक सुधार किए हैं।

 

शिक्षा क्षेत्र में सुधार

  • मिशन: शैक्षिक सुधारों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को न्यायसंगत एवं समावेशी कक्षा के वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो।
    • ये सुधार प्रत्येक छात्र की विविध पृष्ठभूमि एवं विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं को ध्यान में रखेंगे, जिससे वे सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनेंगे।
  • उद्देश्य:  इसका उद्देश्य सामग्री प्रतिधारण से महत्वपूर्ण विचार एवं समस्या-समाधान क्षमताओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना है, सीखने की प्रक्रिया को अधिक अनुभवजन्य, समग्र, एकीकृत, अन्वेषण-संचालित  तथा आनंददायक बनाना है।
    • इसके लिए, सरकार शिक्षकों के कार्यों, प्रशिक्षण प्रतिरूप एवं व्यावसायिक विकास मोड को पुनः परिभाषित कर रही है।
  • विद्यालय पुनर्गठन कार्यक्रम: यह प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा तीन से पांच तक के उच्च विद्यालयों के साथ विलय का आह्वान करता है।
  • ऐप आधारित उपस्थिति प्रणाली: ऐप-आधारित नवीन उपस्थिति प्रणाली एक प्रायोगिक परियोजना है जिसे सरकार द्वारा अगस्त में राज्य द्वारा संचालित विद्यालयों में प्रारंभ किया गया था।
    • शिक्षकों की उपस्थिति के दौरान उनकी उपस्थिति की आवश्यकता होती है, क्योंकि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूनिफाइड डिस्टिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन/यू-डीआईएसई) से जुड़ी प्रणाली उस स्थान के देशांतर एवं अक्षांश जैसे मात्रिकों (मेट्रिक्स) को अभिलिखित करती है जहां वे उपस्थित हैं।
    • अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से उपस्थिति भेजी जाती है।
    • माता-पिता (अभिभावकों) को अपने बच्चे के विद्यालय से आने एवं जाने पर एसएमएस अपडेट भी प्राप्त होगा।

 

शिक्षा क्षेत्र में सुधार- शिक्षक संघों की चिंता

  • शिक्षक संघ इन सुधारों के परिणामों को लेकर संशय में हैं, जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी/एनईपी) 2020 के साथ अनुयोजित किया जा रहा है।
  • विद्यालय पुनर्गठन कार्यक्रम: विश्वास है कि यह विद्यालय त्याग की दर में और योगदान देगा क्योंकि यह उन छात्रों की एक बड़ी आबादी को शिक्षा से वंचित करेगा जो दूरस्थ ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • कार्यभार में वृद्धि: उनका यह भी कहना है कि राज्य में शिक्षण कर्मचारियों के पुनर्निर्धारण पर सरकार के 117 के आदेश से शिक्षक के वर्तमान में मौजूद पदों को संकुचित करने के अतिरिक्त मात्र उनके कार्यभार में वृद्धि होगी।
  • फेशियल रिकॉग्निशन ऐप से संबंधित चिंताएँ: स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक चेहरा पहचान (फेस रिकग्निशन) ऐप का प्रारंभ, शिक्षकों को इसे अपने निजी मोबाइल फोन पर डाउनलोड करने एवं अपनी दैनिक उपस्थिति दर्ज करने के लिए कहने से शिक्षकों में और नाराजगी है।
    • आभासी सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए, शिक्षक संघों ने निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया है  एवं राज्य भर के शिक्षकों से ऐप के उपयोग का बहिष्कार करने का आग्रह किया है।
    • उन्होंने मांग की है कि सरकार उन्हें पूर्व की भांति उपकरण उपलब्ध कराए, जब उन्होंने आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली का उपयोग करके अपनी उपस्थिति दर्ज की।

 

आगे की राह 

  • त्रुटियों को सुधारना: मंत्री ने गांवों एवं जनजातीय (आदिवासी) बस्तियों में खराब अथवा इंटरनेट संपर्क नहीं होने जैसे अन्य मुद्दों को हल करने का वादा किया है।
  • प्रौद्योगिकी संचालित दृष्टिकोण: शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों की अनुपस्थिति को रोकने के लिए इस तरह के प्रौद्योगिकी संचालित प्रभावी तंत्र की आवश्यकता है।
    • पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए हमें एक त्रुटि रहित प्रणाली की आवश्यकता है।

 

निष्कर्ष

  • जबकि राज्य ने पाठ्यक्रम, विद्यालय-पुनर्गठन एवं शिक्षण की विधियों में आमूल-चूल परिवर्तन किए हैं, शिक्षक संघ अडिग हैं।
  • यह अपेक्षा की जाती है कि अब उन्हें कक्षा में शैक्षणिक सामग्री को पढ़ाने की अपनी पारंपरिक भूमिका से बाहर निकल जाना चाहिए एवं इसके स्थान पर, नई क्षमताओं, कौशल प्राप्त करने तथा अधिक प्रतिबद्धता  के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

 

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