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महिला एसएचजी सम्मेलन 2022

महिला एसएचजी सम्मेलन 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता 

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विकास प्रक्रियाएं एवं विकासात्मक उद्योग- गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों तथा संघों, दाताओं, न्यासों, संस्थागत तथा अन्य हितधारकों की भूमिका।

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महिला एसएचजी सम्मेलन 2022 चर्चा में क्यों है

  • हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कराहल, श्योपुर, मध्य प्रदेश में आयोजित स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में भाग लिया।
  • इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने पीएम कौशल विकास योजना के तहत चार विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूहों (पार्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स/पीवीटीजी) कौशल केंद्रों का भी उद्घाटन किया।
  • प्रधानमंत्री ने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को बैंक ऋण स्वीकृति पत्र भी सौंपे एवं जल जीवन मिशन के तहत किट भी प्रधानमंत्री के द्वारा सौंपे गए।

 

महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सम्मेलन

  • महिला एसएचजी सम्मेलन के बारे में: महिला एसएचजी सम्मेलन हजारों महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों / सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की उपस्थिति का साक्षी है, जिन्हें दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • स्थान: महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सम्मेलन 2022 का आयोजन कराहल, श्योपुर, मध्य प्रदेश में किया गया था।
  • भागीदारी: लगभग एक लाख महिलाएं जो स्वयं सहायता समूहों की सदस्य हैं, इस अवसर पर उपस्थित थीं एवं लगभग 43 लाख महिलाएं विभिन्न केंद्रों से जुड़ी हुई थीं।

 

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम)

  • डीएवाई-एनआरएलएम का लक्ष्य ग्रामीण निर्धन परिवारों को चरणबद्ध रीति से स्वयं सहायता समूहों में  सम्मिलित करना एवं उनकी आजीविका में विविधता लाने तथा उनकी आय एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए दीर्घकालिक सहायता प्रदान करना है।
  • मिशन घरेलू हिंसा, महिला शिक्षा एवं अन्य लिंग संबंधी चिंताओं, पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य इत्यादि जैसे मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने एवं व्यवहार परिवर्तन संचार के माध्यम से महिला एसएचजी सदस्यों को सशक्त बनाने की दिशा में भी कार्य कर रहा है।

 

स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) क्या हैं?

  • स्वयं सहायता समूह के बारे में: स्वयं सहायता समूह उन लोगों के अनौपचारिक संघ हैं जो अपने जीवन निर्वाह की स्थिति में सुधार के तरीके खोजने के लिए एक साथ आते हैं। वे  निर्धनों, विशेषकर महिलाओं के  मध्य सामाजिक पूंजी निर्माण में सहायता करते हैं।
  • सदस्य: एसएचजी सदस्यों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि आम तौर पर समान होती है।
  • प्रमुख उद्देश्य: निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों के साथ स्वयं सहायता समूह निर्मित किए जाते हैं-
    • अपने सदस्यों को बचत करने हेतु प्रोत्साहित करना एवं प्रेरित करना,
    • उन्हें अतिरिक्त आय के सृजन के लिए एक सामूहिक योजना निर्मित करने हेतु राजी करना,
    • औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करना।
  • महत्व: ऐसे समूह उन सदस्यों के लिए सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं जो संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव रखते हैं।
    • परिणाम स्वरूप, स्वयं सहायता समूह निर्धनों को सूक्ष्म-वित्त सेवाएं प्रदान करने के लिए सर्वाधिक प्रभावी तंत्र के रूप में उदित हुए हैं।
  • स्वयं सहायता समूहों के उदाहरण: गुजरात में सेवा, कर्नाटक में मायराडा, तमिलनाडु में तनवा, झारखंड में रामकृष्ण मिशन, बिहार में अदिति।

 

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