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राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) 2022 जारी

राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
    • सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

राष्ट्रीय सम्भारिकी/रसद नीति (नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी/एनएलपी) 2022 चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय रसद नीति (नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी/एनएलपी) का शुभारंभ किया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय रसद नीति के प्रारंभ को भारत के विकसित देश होने के ‘प्रण’ को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

 

राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी)

  • पृष्ठभूमि: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने केंद्रीय बजट 2020-21 के भाषण में एक व्यापक राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) की आवश्यकता का उल्लेख किया।
  • आवश्यकता: राष्ट्रीय रसद नीति की आवश्यकता अनुभव की गई क्योंकि भारत में अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में रसद लागत अधिक है।
    • घरेलू एवं निर्यात दोनों बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हेतु भारत में रसद लागत को कम करना अनिवार्य है।
    • कम रसद लागत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता में सुधार करती है, मूल्यवर्धन एवं उद्यम को प्रोत्साहित करती है।
  • राष्ट्रीय रसद नीति के बारे में: राष्ट्रीय रसद नीति संपूर्ण रसद पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक व्यापक अंतःविषय, पार-क्षेत्रीय एवं बहु-क्षेत्राधिकार संरचना को निर्धारित करके उच्च लागत एवं अक्षमता के मुद्दों को हल करने का एक व्यापक प्रयास है।
  • प्रमुख उद्देश्य: राष्ट्रीय रसद नीति 2022 का उद्देश्य संपूर्ण देश में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्बाध रूप से आवागमन सुनिश्चित करना तथा उच्च रसद लागत में कटौती करना है, जिसे भारत में प्रायः  बाहरी तथा आंतरिक व्यापार दोनों के लिए सर्वाधिक वृहद संरचनात्मक बाधा माना जाता है।
    • राष्ट्रीय रसद नीति 2022 का लक्ष्य आगामी कुछ वर्षों में देश की रसद लागत को अपने सकल घरेलू उत्पाद के 13-14 प्रतिशत से एक अंक तक कम करना है।
  • मूल मंत्रालय: राष्ट्रीय रसद नीति का निर्माण वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा किया गया है ।

 

राष्ट्रीय रसद नीति (नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी/एनएलपी) 2022 का महत्व

  • राष्ट्रीय रसद नीति (नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी/एनएलपी) भारत में व्यापारिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) तथा जीवन निर्वाह की सुगमता (ईज ऑफ लिविंग) दोनों को बेहतर बनाने में सहायता करेगी।
  • नीति भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास को वर्धित करने तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का एक प्रयास है।
  • राष्ट्रीय रसद नीति अन्य पहलों जैसे कि पीएम गति शक्ति परियोजना एवं भारतमाला पहल को बाधाओं को समाप्त करने एवं देश की रसद दक्षता में सुधार करने के लिए पूरक होगी।
  • राष्ट्रीय रसद नीति 2022 भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धा में सुधार करेगी, अधिक संख्या में रोजगार का सृजन करेगी, वैश्विक रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन में सुधार करेगी तथा भारत के लिए रसद केंद्र बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

 

राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) 2022 की प्रमुख विशेषताएं

नई रसद नीति 2022 में चार महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं-

  • डिजिटल प्रणाली का एकीकरण (इंटीग्रेशन ऑफ डिजिटल सिस्टम/आईडीएस): सड़क परिवहन, रेलवे, सीमा शुल्क, विमानन, विदेश व्यापार एवं वाणिज्य मंत्रालयों सहित सात अलग-अलग विभागों की विभिन्न प्रणालियों को डिजिटल रूप से एकीकृत किया जाएगा।
    • इससे  लघु कार्गो  के आवागमन में सुधार होगा।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप): यह परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल में लाएगा, जिससे निर्यातकों को अत्यधिक लंबी एवं बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त किया जा सकेगा।
    • इससे कार्गो का आवागमन भी सुगम होगा।
  • लॉजिस्टिक्स की सुगमता (इज ऑफ लॉजिस्टिक/ईएलओजी): नियमों को सरल बनाने एवं रसद (लॉजिस्टिक्स) व्यवसाय को सरल बनाने हेतु एक नवीन नीति लागू की जाएगी।
    • इस पोर्टल के माध्यम से उद्योग संघ ऐसे किसी भी मामले को सीधे तौर पर उठा सकते हैं जिससे उनके संचालन एवं प्रदर्शन में समस्या आ रही हो।
    • ऐसे मामलों के त्वरित समाधान के लिए संपूर्ण व्यवस्था भी की गई है।
  • सिस्टम इंप्रूवमेंट ग्रुप (SIG): रसद से संबंधित सभी परियोजनाओं का नियमित रूप से अनुश्रवण करना  तथा सभी बाधाओं से निपटना।

 

भारत में रसद क्षेत्र की स्थिति

  • भारत का रसद क्षेत्र अत्यधिक विभाजित स्थिति में है एवं इसका उद्देश्य रसद लागत को जीडीपी के वर्तमान 14% से 2022 तक 10% से कम करना है।
  • भारत का रसद क्षेत्र 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, 40 पीजीए, 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदों, 500 प्रमाणन, 10000 वस्तुओं, 160 बिलियन बाजार आकार के साथ अत्यधिक जटिल है।
  • इसमें 12 मिलियन रोजगार आधार, 200 पोत परिवहन (शिपिंग) एजेंसियां, 36 रसद सेवाएं, 129 आईसीडी, 168 सीएफएस, 50 आईटी पारिस्थितिकी तंत्र एवं बैंक तथा बीमा एजेंसियां ​​ सम्मिलित हैं।
  • इसके अतिरिक्त, एक्जिम के लिए 81 प्राधिकरण एवं 500 प्रमाणपत्रों की आवश्यकता है।
  • भारतीय रसद क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है एवं इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष रसद लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी।
  • इसके अतिरिक्त, यह अनुमान है कि भारतीय रसद बाजार का मूल्य आगामी दो वर्षों में लगभग 215 बिलियन अमरीकी डॉलर होगा, जो वर्तमान में लगभग 160 बिलियन अमरीकी डॉलर है।

 

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