पवित्र जैन स्थल श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता बनाए रखने के लिए केंद्र ने क्या निर्देश दिए : जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं रहेगा। पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में दो पृष्ठ का पत्र जारी किया है। इसमें लिखा है, ‘पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचना (इको-सेंसिटिव जोन नोटिफिकेशन) के खंड-3 के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन एवं पारिस्थितिकी पर्यटन (इको-टूरिज्म) गतिविधियां शामिल हैं। अतः, राज्य सरकार को पवित्र तीर्थ स्थल की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।
प्रसंग
- सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के विरुद्ध जैन समुदाय विगत कुछ दिनों से आंदोलन कर रहा है। इसके विरुद्ध अनेक जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी आरंभ कर दिया है।
- इसमें 2 जैन मुनियों सुग्यसागर महाराज एवं मुनि समर्थ सागर ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
- केंद्र सरकार ने तीन वर्ष पूर्व जारी अपने आदेश को गुरुवार को वापस ले लिया।
श्री सम्मेद शिखरजी मामले का क्या घटनाक्रम है?
- झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार ने फरवरी 2019 में जैन समुदाय के इस पवित्र धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया था।
- उसी वर्ष अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया तथा कहा कि इस क्षेत्र में “पर्यटन को प्रोत्साहित करने की असीमित क्षमता” है।
- हाल ही में झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया है। इस निर्णय से तीर्थ को पर्यटन के अनुरूप परिवर्तित करना है।
- विरोध कर रहे जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि यह पर्यटन स्थल नहीं बल्कि आस्था का केंद्र है। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इससे इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता भंग होगी। इसे सहन नहीं किया जा सकता।
- इसके अतिरिक्त शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ के पांव तोड़ने को लेकर भी लोगों में रोष है।
- जैन समाज की मांग है कि इस स्थान को पारिस्थितिकी पर्यटन (ईको टूरिज्म) घोषित न किया जाए। बल्कि इसे पवित्र स्थान घोषित कर देना चाहिए ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।
- केंद्र सरकार ने गुरुवार को जैन समुदाय की मांगों पर सहमति व्यक्त करते हुए तीन वर्ष पुराने इस आदेश को वापस ले लिया है एवं झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश भी दिया है.
पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) किस आधार पर घोषित किया जाता है?
- ऐसे वन क्षेत्र जहां शहरीकरण एवं अन्य विकासात्मक गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाता है, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको-सेंसिटिव जोन) कहलाते हैं।
- ऐसे क्षेत्रों में जैव विविधता पशु-पक्षी, पर्वत-पत्थर, नदी-नाले पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।
- यहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता।
- बिना पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) घोषित किए पर्वतों को तोड़ने, पेड़-पौधों को काटने का काम जारी रहता है।
श्री सम्मेद शिखरजी का महत्व
जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। यह स्थान लोगों की आस्था से जुड़ा है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं।
- स्थान: श्री सम्मेद शिखरजी, जिन्हें पार्श्वनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। यह झारखंड की सर्वाधिक ऊंची चोटी है।
- महत्व: सम्मेद शिखरजी जैनियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे दिगंबर एवं श्वेतांबर दोनों ही सबसे बड़ा तीर्थस्थल मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां 24 जैन तीर्थंकरों में से 20, जो जैन आध्यात्मिक प्रमुख हैं, के साथ-साथ कई अन्य भिक्षुओं ने ध्यान करने के बाद ‘मोक्ष’ या मुक्ति को प्राप्त किया। इस पहाड़ी पर टोंक बने हुए हैं, जहां तीर्थंकरों के चरण हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां के कुछ मंदिर दो हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन हैं।
- धार्मिक परंपराएं: जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं एवं 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं।
श्री सम्मेद शिखरजी के बारे में क्या मान्यताएं हैं?
- जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार, 24 जैन तीर्थंकरों एवं भिक्षुओं में से 20 ने यहां मोक्ष प्राप्त किया है।
- ‘शिखरजी‘ शब्द का अर्थ स्वयं में ‘आदरणीय शिखर‘ है। दिलचस्प बात यह है कि ‘पारसनाथ’ शब्द 23 वें जैन तीर्थंकर ‘पार्श्वनाथ’ से आया है, जिन्होंने यहां मोक्ष प्राप्त किया था।
- जैन समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, शिखरजी को अष्टपद, गिरनार, माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिरों एवं शत्रुंजय को ‘श्वेतांबर पंच तीर्थ’ या पांच प्रमुख तीर्थ तीर्थों के रूप में स्थान दिया गया है।
- यदि कोई शिखरजी की तीर्थ यात्रा करना चाहता है, तो उसे गिरिडीह रोड पर पालगंज से शुरुआत करनी चाहिए, जहाँ पार्श्वनाथ को समर्पित एक छोटा मंदिर है। फिर, वे पारसनाथ पहाड़ी की तलहटी में स्थित मधुबन के मंदिरों में कुछ भेंट चढ़ा सकते हैं।
- तीर्थयात्रियों को शिखरजी की परिक्रमा करते हुए लगभग 27 किमी की लंबी यात्रा करनी पड़ती है।
क्या विवाद को केंद्र द्वारा सुलझा लिया गया है?
- केंद्र सरकार ने श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता बनाए रखने के संबंध में इस संवेदनशील मुद्दे को शांतिपूर्ण जैन समाज की सभी युक्तिसंगत मांगों को मान कर समाधान किया है।
- केंद्र ने झारखंड में पवित्र जैन स्थल ‘सम्मेद शिखरजी‘ पर सभी पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
- पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
- राज्य सरकार को पारसनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य की प्रबंधन योजना के प्रासंगिक प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए कहा गया है, जो विशेष रूप से वनस्पतियों या जीवों को हानि पहुंचाने, पालतू पशुओं के साथ आने, तेज संगीत बजाने एवं शराब की बिक्री इत्यादि पर रोक लगाते हैं।
- पारसनाथ पहाड़ी पर शराब एवं मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री तथा सेवन पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का भी निर्देश दिया है।
श्री सम्मेद शिखरजी एवं पारसनाथ पहाड़ी के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. श्री सम्मेद शिखरजी किस स्थान पर स्थित है?
उत्तर. श्री सम्मेद शिखरजी, जिन्हें पार्श्वनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। यह झारखंड की सर्वाधिक ऊंची चोटी है।
प्र. जैन समुदाय के लिए सम्मेद शिखरजी का क्या महत्व है?
उत्तर. सम्मेद शिखरजी जैनियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे दिगंबर एवं श्वेतांबर दोनों ही सबसे बड़ा तीर्थस्थल मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां 24 जैन तीर्थंकरों में से 20, जो जैन आध्यात्मिक प्रमुख हैं, के साथ-साथ कई अन्य भिक्षुओं ने ध्यान करने के बाद ‘मोक्ष’ या मुक्ति को प्राप्त किया।
FAQs
Shri Sammed Shikharji is Located at Which Place?
Shri Sammed Shikharji, also known as Parshwanath Parvat, is situated on the Parasnath hill in Giridih district of Jharkhand. It is highest peak of Jharkhand.
What Is The Importance Of Sammed Shikharji For Jain Community?
Sammed Shikharji is a holy pilgrimage for Jains. It is considered to be the biggest pilgrimage site by both the Digambaras and the Svetambaras. It is believed that it is the place where 20 of the 24 Jain tirthankaras, who are Jain spiritual leaders, along with many other monks attained ‘moksha‘ or salvation after meditating.