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एनएफएचएस-5 रिपोर्ट जारी

एनएफएचएस रिपोर्ट यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

 

NFHS 5: संदर्भ

  • हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे/NFHS-5) के पांचवें दौर की राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की है।

 

एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट: प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में जनसंख्या, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा संबंधित अनुक्षेत्रों के प्रमुख अनुक्षेत्र (डोमेन) पर विस्तृत सूचनाएं सम्मिलित है।
  • सूचनाओं में सम्मिलित हैं: जनसंख्या की विशेषताएं; प्रजनन क्षमता; परिवार नियोजन; शिशु एवं बाल मृत्यु दर; मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य; पोषण  तथा रक्ताल्पता (एनीमिया); रुग्णता एवं स्वास्थ्य देखभाल; महिला सशक्तिकरण इत्यादि।
  • एनएफएचएस के आनुक्रमिक दौर का प्रमुख उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य  एवं परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते क्षेत्रों से संबंधित विश्वसनीय एवं तुलनीय डेटा प्रदान करना है।

 

एनएफएचएस 5: नवीन आयाम

  • एनएफएचएस-5 का दायरा सर्वेक्षण के पहले दौर (एनएफएचएस-4) के संबंध में नवीन आयाम को जोड़कर विस्तारित किया गया है
  • जोड़े गए आयामों में  सम्मिलित हैं:
    • मृत्यु पंजीकरण,
    • विद्यालय-पूर्व शिक्षा,
    • बाल टीकाकरण के विस्तारित क्षेत्र,
    • बच्चों के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के घटक, मासिक धर्म स्वच्छता,
    • शराब एवं तंबाकू के उपयोग की बारंबारता,
    • गैर- संक्राम्य रोगों (नॉन कम्युनिकेबल डिजीजेज/एनसीडी) के अतिरिक्त घटक,
    • 15 वर्ष तथा उससे अधिक आयु के सभी लोगों में उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह को मापने के लिए विस्तारित आयु सीमा।
  • ये आयाम मौजूदा कार्यक्रमों के अनुश्रवण एवं सुदृढ़ीकरण तथा नीतिगत हस्तक्षेप हेतु नवीन रणनीति विकसित करने के लिए अपेक्षित इनपुट प्रदान करेंगे।
  • इस प्रकार, एनएफएचएस-5 महत्वपूर्ण संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो देश में सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स/एसडीजी) की प्रगति को ट्रैक करने में सहायक होते हैं।
  • NFHS-4 (2015-16) अनुमानों का उपयोग बड़ी संख्या में SDG संकेतकों के लिए आधारभूत मूल्यों के रूप में किया गया था एवं NFHS-5 विभिन्न स्तरों पर लगभग 34 SDG संकेतकों के लिए डेटा प्रदान करेगा

 

एनएफएचएस रिपोर्ट: प्रमुख निष्कर्ष

कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट/टीएफआर)

  • एनएफएचएस-4 तथा 5 के मध्य राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर 2.2 से और घटकर 2.0 रह गया है।
  • भारत में केवल पांच राज्य हैं, जो 2.1 के प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर हैं।
    • वे हैं बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) मणिपुर (2.17)।

 

संस्थागत जन्म

  • भारत में संस्थागत जन्म 79 प्रतिशत से उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गया है।
  • यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 प्रतिशत प्रसव संस्थागत केंद्रों में होता है एवं शहरी क्षेत्रों में यह 94 प्रतिशत है।
  • अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में अधिकतम 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • विगत 5 वर्षों में 91 प्रतिशत से अधिक जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक जन्म स्वास्थ्य केंद्रों में हुए हैं।

 

टीकाकरण

  • एनएफएचएस-5 में, एनएफएचएस-4 में 62 प्रतिशत की तुलना में 12-23 माह की आयु के तीन-चौथाई (77%) से अधिक बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया था।
  • बच्चों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज नागालैंड में 57 प्रतिशत से लेकर दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में 95 प्रतिशत तक है।
  • ओडिशा (91%), तमिलनाडु (89%) एवं पश्चिम बंगाल (88%) ने भी अपेक्षाकृत अधिक टीकाकरण कवरेज दिखाया है।

 

वृद्धिरोध/स्टंटिंग

  • विगत चार वर्षों से भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में वृद्धिरोध (स्टंटिंग) का स्तर 38 से 36 प्रतिशत तक मामूली रूप से कम हो गया है।
  • 2019-21 में शहरी क्षेत्रों (30%) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (37%) में बच्चों में वृद्धिरोध अधिक है।
  • वृद्धिरोध में भिन्नता पुडुचेरी में सबसे कम (20%) तथा मेघालय में सर्वाधिक (47%) है।

 

अतिभार तथा मोटापा

  • एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 में अधिकतर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में अतिभार अथवा मोटापे की व्यापकता में वृद्धि हुई है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर यह महिलाओं में 21 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत तथा पुरुषों में 19 प्रतिशत से 23 प्रतिशत हो जाती है।
  • केरल, अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब, चंडीगढ़ एवं लक्षद्वीप (34-46%) में एक तिहाई से अधिक महिलाएं अतिभार अथवा मोटापे से ग्रस्त हैं।

 

महिला सशक्तिकरण

  • विवाहित महिलाएं आमतौर पर तीन घरेलू निर्णयों में किस सीमा तक भाग लेती हैं, यह दर्शाता है कि निर्णय  निर्माण में उनकी भागीदारी उच्च, लद्दाख में 80 प्रतिशत से लेकर नागालैंड एवं मिजोरम में 99 प्रतिशत तक है।
  • तीन घरेलू निर्णयों में स्वयं के लिए स्वास्थ्य देखभाल सम्मिलित है; प्रमुख घरेलू  वस्तुओं की खरीदारी करना;   सहित उनके परिवार अथवा रिश्तेदारों से मिलना।
    • ग्रामीण (77%)  तथा शहरी (81%) अंतर मामूली पाए गए हैं।
  • महिलाओं के पास बैंक या बचत खाता होने की व्यापकता विगत 4 वर्षों में 53 से बढ़कर 79 प्रतिशत हो गया है।

 

स्वच्छ पाकक्रिया एवं स्वच्छता

  • एनएफएचएस -4  तथा एनएफएचएस -5 के मध्य, खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन (44% से 59%)  एवं बेहतर स्वच्छता सुविधाओं (49% से 70%) का उपयोग, जिसमें साबुन तथा पानी से हाथ धोने की सुविधा (60% से 78%) सम्मिलित है। ) में अत्यधिक सुधार हुआ है।

 

एनएफएचएस 6

  • NFHS-6, जो 2023-24 के दौरान आयोजित किया जाना है, विभिन्न नए डोमेन क्षेत्रों को सम्मिलित करने का प्रस्ताव करता है जिसमें कोविड-19 के बारे में डेटा, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर/DBT), प्रवासन, डिजिटल साक्षरता, महिलाओं के मध्य वैवाहिक विकल्प एवं वित्तीय समावेशन सहित, परिवार नियोजन कार्यक्रम की गुणवत्ता सम्मिलित है।
  • विगत दौर के विपरीत, एनएफएचएस -6 शहरी क्षेत्रों के लिए प्रतिदर्श संरचना (सैंपलिंग फ्रेम) के रूप में एनएसओ, एमओएसपीआई के शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस, 2012-17) को अपनाएगा।

ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी प्रकाशन

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर/MoHFW) वर्ष 1992 से ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी (रूरल हेल्थ स्टैटिसटिक्स/RHS) प्रकाशन प्रकाशित कर रहा है।
  • प्रकाशन में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में उपलब्ध मानव संसाधन  तथा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे से संबंधित महत्वपूर्ण तथा अत्यावश्यक  सूचनाएं सम्मिलित है।
  • आरएचएस 2020-21 के अनुसार, देश के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 157819 उपकेंद्र (एससी), 30579 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स/पीएचसी) एवं 5951 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स/सीएचसी) कार्यरत हैं।

 

ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी: प्रमुख मापदंड

संकेतकों का नाम वर्ष 2013-14 (31मार्च 2014 को) वर्ष 2020-21 (31मार्च 2021 तक) 2013-14 के संबंध में 2020-21 की आयु वृद्धि%
एससी की संख्या 152326 157819 3.6
पीएचसी की संख्या 25020 30579 22.2
सीएचसी की संख्या 5363 5951 11.0
पीएचसी में उपलब्ध चिकित्सक 27335 38525 40.9
सीएचसी में कुल विशेषज्ञ 4091 5760 40.8

 

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