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संपादकीय विश्लेषण: एक कदम जो भाषा फोनोसाइड को प्रेरित करेगा

हिंदी भाषा विवाद: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां।

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हिंदी भाषा का इतिहास: संदर्भ

  • हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री ने अंतरराज्यीय संचार में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी को लोक भाषा के रूप में प्रयोग करने का आग्रह किया है।

 

हिंदी भाषा का आरोपण: भारत की राष्ट्रीय भाषा

  • डी. सावरकर प्रथम नेता थे जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के विचार की वकालत की  एवं ‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’ का नारा व्यक्त किया।
  • संविधान सभा के सदस्य वी. धुलेकर ने संविधान सभा में कहा, “आप दूसरे देश के हो सकते हैं, किंतु मैं भारतीय राष्ट्र, हिंदी राष्ट्र, हिंदू राष्ट्र, हिंदुस्तानी राष्ट्र से संबंधित हूं।”
  • सर जॉर्ज ग्रियर्सन के भारतीय भाषा सर्वेक्षण (1903-1923) ने भारत में 179 भाषाओं एवं 544 बोलियों की पहचान की थी
  • 1961 की जनगणना रिपोर्ट में कुल 1,652 मातृ भाषाओं का उल्लेख किया गया था, जिनमें से 184 मातृभाषाओं में 10,000 से अधिक वक्ता थे।
  • 1971 में, जनगणना में प्रस्तुत किए गए भाषाई डेटा को दो श्रेणियों में वितरित किया गया था – संविधान की आठवीं अनुसूची की आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध भाषाएं एवं अन्य भाषाएं जिनमें प्रत्येक में कम से कम 10,000 वक्ता थे।
  • 10,000 से कम वक्ताओं द्वारा बोली जाने वाली अन्य सभी भाषाओं को एकल प्रविष्टि अन्यमें एक साथ रखा गया था
  • इस प्रथा ने अनेक भाषाओं को अदृश्य बना दिया

 

हिंदी थोपने की आलोचना

  • हिंदी अखिल भारतीय भाषा नहीं है: प्रोफेसर गणेश एन. देवी के अनुसार, लिखा है कि ‘हिंदी’ संभवतः 30% से अधिक आबादी द्वारा बोली जाती है, किंतु शेष 70% के लिए यह मातृभाषा नहीं है।
  • विनाशकारी प्रभाव: 1948 में, पाकिस्तान सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के इस्लामीकरण को एकमात्र राष्ट्रीय भाषा के रूप में उर्दू को निर्धारित किया। इस निर्णय ने पूर्वी पाकिस्तान में हिंसक बंगाली भाषा आंदोलन अथवा भाषा आंदोलन को प्रज्वलित किया। भाषा आंदोलन ने बंगाली राष्ट्रवाद एवं पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान के अलगाव को अंततोगत्वा उत्प्रेरित किया।
    • इसी तरह, 1956 का सिंहल ओनली एक्ट (राजभाषा अधिनियम) श्रीलंका के इतिहास में एक उच्च बिंदु था। इसने सिंहली एवं तमिलों के मध्य तीव्र शत्रुता एवं अविश्वास को जन्म दिया।
  • हिंदी को लागू करने से फोनोसाइड की शुरुआत होगी: हिंदी 35 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 12  राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के निवासियों की प्रथम भाषा है (भारत की 2011 की भाषा जनगणना में एवं जहां आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना 2011 के आंकड़ों में एक साथ आते हैं)। हिंदी को एक सामान्य भाषा के रूप में बनाने से अन्य भारतीय भाषाओं के ध्वन्यात्मकता की शुरुआत होगी।
  • बहुभाषी राष्ट्रों में समृद्धि: सिंगापुर में बहु-जातीय आबादी (चीनी, मलय तथा भारतीय) है। अपने प्रारंभिक वर्षों में, चीनी को सिंगापुर की आधिकारिक भाषा घोषित करने का अत्यधिक दबाव था। किंतु आधुनिक सिंगापुर के वास्तुकार ली कुआन यू ने मांग को दबा दिया एवं अंग्रेजी को चयनित किया। अंग्रेजी भाषा की दक्षता ने शहर को एक वैश्विक व्यापार केंद्र बना दिया।
    • इसी तरह, दक्षिण अफ्रीका में, 1997 के पश्चात से राष्ट्रगान, एक पांच-भाषा की काव्यात्मक रचना है, जो इसे इस संबंध में विश्व की सर्वाधिक विशिष्ट गान बनाती है।

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भारत की राष्ट्रीय भाषा: आगे की राह

  • भारत को सिंगापुर एवं दक्षिण अफ्रीका की बहु-भाषाई समायोजन नीति;  न कि पाकिस्तान या श्रीलंका का विनाशकारी भाषाई अंधराष्ट्रवाद का अनुकरण करना चाहिए

 

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