Home   »   Monuments of National Importance   »   Monuments of National Importance

अनंग ताल झील को राष्ट्रीय स्मारक टैग

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 1: भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक समय तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को समाहित करेगी।

हिंदी

अनंग ताल झील यूपीएससी: संदर्भ

  • हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया/एएसआई) के अधिकारियों ने अनंग ताल झील को नए सिरे से जीवन देने के लिए राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव दिया है।

 

अनंग ताल झील: प्रमुख बिंदु

  • अनंग ताल झील  कहाँ है: अनंग ताल झील दक्षिणी दिल्ली में अवस्थित है एवं माना जाता है कि इसे एक हज़ार वर्ष पूर्व निर्मित किया गया था।
  • केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (देल्ही डेवलपमेंट अथॉरिटी/डीडीए) से महरौली में ऐतिहासिक झील को पुनः स्थापित करने हेतु कहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे तोमर राजा, अनंगपाल द्वितीय ने 1,060 ईस्वी में निर्मित किया गया था।
  • संरक्षण कार्य में तेजी लाने के प्रयास जारी हैं ताकि साइट को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा सके
  • राष्ट्रीय स्मारक टैग की आवश्यकता क्यों है? अनंग ताल झील दिल्ली के प्रारंभ का प्रतीक है। सहस्राब्दी  प्राचीन झील, हालांकि, वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है।

 

अनंग ताल झील के बारे में

  • अनंग ताल “जोगमाया मंदिर के उत्तर में एवं कुतुब परिसर के उत्तर-पश्चिम में लगभग 500 मीटर की दूरी पर” स्थित है एवं 1,060 ईस्वी पूर्व का है।
  • परंपरा इस तालाब के निर्माण का श्रेय लाल कोट के निर्माता, तोमर राजा, अनंगपाल द्वितीय को देती है।
  • ऐसा कहा जाता है कि यह एक सामान्य विश्राम स्थल (रिसॉर्ट) का स्थान था किंतु अब यह सूख गया है तथा खेती के लिए उपयोग किया जाता है।
  • यह भी कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने 1296-1316 ईस्वी में कुतुब मीनार का निर्माण एवं कुतुब-उल-इस्लाम मस्जिद का विस्तार करते समय इस तालाब के पानी का उपयोग किया था।
  • इसके अतिरिक्त, अनंग ताल का राजस्थान से एक मजबूत संबंध है क्योंकि महाराजा अनंगपाल को पृथ्वीराज चौहान के नाना के रूप में जाना जाता है।

 

राष्ट्रीय महत्व के स्मारक

  • 2015 में केरल के वायनाड जिले के नदवायल में विष्णु मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की सूची में जोड़ा गया था।
  • 2016 एवं 2017 में, राष्ट्रीय महत्व के स्थलों की सूची में कोई नया स्मारक शामिल नहीं किया गया था।
  • 2018 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने छह स्मारकों को संरक्षित एवं राष्ट्रीय महत्व के घोषित किया
  • छह स्मारक थे
    • नागपुर, महाराष्ट्र में प्राचीन उच्च न्यायालय भवन।
    • आगरा में आगा खां की हवेली।
    • आगरा में हाथी खाना की हवेली।
    • राजस्थान के अलवर जिले में नीमराना बावड़ी।
    • ओडिशा के बोलनगीर जिले के रानीपुर झरियल में मंदिरों का समूह।
    • विष्णु मंदिर, कोटली, पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड।
  • देश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत 3,686 केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारक/स्थल थे; 2018 के पश्चात यह संख्या बढ़कर 3,693 हो गई है।
  • उत्तर प्रदेश (745 स्मारक/स्थल), कर्नाटक (506) एवं तमिलनाडु (413) में एएसआई द्वारा अनुरक्षित स्थलों की संख्या सर्वाधिक है।

हिंदी

एक प्राचीन स्मारक क्या है?

  • प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल  तथा  पुरावशेष अधिनियम, 1958 के अनुसार, “प्राचीन स्मारक का अर्थ है कोई भी संरचना, निर्माण या स्मारक अथवा कोई स्तूप अथवा कब्र का स्थान, या कोई गुफा, शैल-मूर्तिकला, शिलालेख अथवा एकाश्म जो ऐतिहासिक, पुरातात्विक या कलात्मक रुचि का है एवं जो कम से कम 100 वर्षों से अस्तित्व में है।”

 

पीएम स्वनिधि योजना विस्तारित किसान संकट सूचकांक संपादकीय विश्लेषण: अफस्पा की समाप्ति आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट जारी की
भारत में अर्धचालक निर्माण: सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस 2022 अटल न्यू इंडिया चैलेंज 2.0 का शुभारंभ संपादकीय विश्लेषण: एक कदम जो भाषा फोनोसाइड को प्रेरित करेगा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के लिए अधिदेश दस्तावेज़ जारी किया गया
AQEES: क्यूईएस रिपोर्ट का तीसरा दौर जारी यूनिफ़ॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट की भारत की योजना  2030 तक मलेरिया उन्मूलन अर्थोपाय अग्रिम: आरबीआई ने राज्यों के लिए सीमा कम की

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *