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अटल न्यू इंडिया चैलेंज 2.0 का शुभारंभ

अटल न्यू इंडिया चैलेंज यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

 

अटल इनोवेशन मिशन यूपीएससी: संदर्भ

  • हाल ही में, अटल इनोवेशन मिशन ने अटल न्यू इंडिया चैलेंज (एएनआईसी 2.0) के दूसरे संस्करण के प्रथम चरण का शुभारंभ किया।

 

एएनआईसी क्या है?

  • अटल इनोवेशन मिशन ने राष्ट्रीय सामाजिक-आर्थिक प्रभाव वाले उत्पाद एवं सेवा नवाचारों को निर्मित करने हेतु 24 से अधिक अटल न्यू इंडिया चैलेंज विमोचित किए हैं।

 

ANIC के बारे में

  • एएनआईसी कार्यक्रम के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक भारत की वृद्धि एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों- शिक्षा, स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, आवास, ऊर्जा, गतिशीलता, अंतरिक्ष अनुप्रयोग  इत्यादि में नवाचारों का समर्थन करना है ।
  • अटल न्यू इंडिया चैलेंज का उद्देश्य मौत की घाटी (डेथ वैली) के व्यावसायीकरण– परीक्षण, मार्ग दर्शन (पायलटिंग) एवं बाजार निर्माण के लिए संसाधनों तक पहुंच से जुड़े जोखिमों पर नवोन्मेषकों के समर्थन को संबोधित करना है।
  • एएनआईसी प्रोटोटाइप चरण में स्टार्ट-अप एवं एमएसएमई से नवाचारों की मांग करता है तथा  12-18 माह की अवधि के दौरान व्यावसायीकरण चरण के माध्यम से चयन समर्थन की एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के पश्चात 1 करोड़ रुपये तक के वित्तपोषण के साथ-साथ एआईएम के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से अन्य संबद्ध समर्थन के साथ उनका समर्थन करता है।

 

एएनआईसी चुनौतियां

एएनआईसी 2.0 में 7 सेक्टरों से 18 चुनौतियों को खोल दिया जाएगा।

सेक्टर: ई-मोबिलिटी

  • चुनौती 1: इलेक्ट्रिक वाहन – स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन एवं इलेक्ट्रिक वाहन घटक प्रौद्योगिकी में नवाचार
  • चुनौती 2: ईवी चार्जिंग आधारिक संरचना – ईवी बैटरी की सरल एवं तीव्र चार्जिंग के लिए समाधान

 

सेक्टर: सड़क परिवहन (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ साझेदारी में)

  • चुनौती 1: सुरक्षित परिवहन – सवार/चालक सुरक्षा में सुधार के लिए नवाचार
  • चुनौती 2: स्मार्ट मोबिलिटी – अभिज्ञ परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिए स्मार्ट समाधान
  • चुनौती 3: सतत गतिशीलता – गतिशीलता में सतत नवाचार

 

क्षेत्र: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग (अंतरिक्ष विभाग – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ साझेदारी में)

  • चुनौती 1: जीआईएस समाधान – निम्नलिखित क्षेत्रों – कृषि, जल, वानिकी, शहरी मामले, सड़क परिवहन इत्यादि में जीआईएस समाधान।
  • चुनौती 2: प्रणोदन – हरित प्रणोदक, विद्युत प्रणोदन, उन्नत वायु-श्वास में नवाचार।
  • चुनौती 3: नौवहन (नेविगेशन) – इंटरनेट ऑफ थिंग्स अनुप्रयोगों में नाविक आधारित नेविगेशन समाधान
  • चुनौती 4: कृत्रिम प्रज्ञान/एमएल मॉडलिंग – अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए एआई/एमएल मॉडल

 

क्षेत्र: स्वच्छता प्रौद्योगिकी (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साथ साझेदारी में)

  • चुनौती 1: मानव हस्तक्षेप को रोकना – सेप्टिक टैंक, जल निकासी एवं मैनहोल की सफाई को यंत्रीकृत करने के लिए नवाचार।
  • चुनौती 2: सीवेज सफाई में लगे मनुष्यों की रक्षा करना – सीवेज सफाई में लगे मनुष्यों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षात्मक गियर, उपकरण तथा अन्य समाधान।

 

क्षेत्र:  चिकित्सीय युक्तियां एवं उपकरण 

  • चैलेंज 1: पोर्टेबल पॉइंट-ऑफ-केयर (POC) नैदानिक अथवा अनुश्रवण उपकरण (डायग्नोस्टिक और मॉनिटरिंग डिवाइस)।
  • चुनौती 2: अल्प लागत वाली उपभोग्य वस्तुएं तथा प्रत्यारोपण।
  • चुनौती 3: उन्नत शल्य चिकित्सा सम्बन्धी (सर्जिकल) तथा गैर-शल्य चिकित्सा संबंधी उपकरण।
  • चुनौती 4: उन्नत सहायक तथा पुनर्वास उपकरण।

 

क्षेत्र: अपशिष्ट प्रबंधन

  • चुनौती 1: नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • चुनौती 2: ई-अपशिष्ट प्रबंधन

 

सेक्टर: कृषि

  • चुनौती 1: जलवायु स्मार्ट कृषि

 

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