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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
    • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (नेशनल हेल्थ मिशन/NHM) चर्चा में क्यों है?

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (नेशनल हेल्थ मिशन/एनएचएम) के तहत  मातृत्व मृत्यु अनुपात (मैटरनल मोर्टालिटी रेट/एमएमआर),  शिशु मृत्यु अनुपात (इन्फेंट मोर्टालिटी रेट/आईएमआर), यू5एमआर  तथा सकल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट/टीएफआर) में त्वरित गिरावट सहित प्रगति से अवगत कराया गया।
  • इसने  तपेदिक (ट्यूबरक्लोसिस/टीबी), मलेरिया, काला-अजार, डेंगू, कुष्ठ, विषाणु जनित हेपेटाइटिस इत्यादि जैसे विभिन्न रोगों के कार्यक्रमों के संबंध में प्रगति को भी नोट किया।

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)

  • पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन/एनआरएचएम) को 2005 में ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से संवेदनशील वर्गो को जिला अस्पतालों (डीएच) स्तर तक सुलभ, वहनीय एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण के उद्देश्य से  प्रारंभ किया गया था।
    • 2012 में, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (नेशनल अर्बन हेल्थ मिशन/एनयूएचएम) की अवधारणा की गई थी एवं एनआरएचएम को दो उप मिशनों अर्थात एनआरएचएम एवं एनयूएचएम के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के रूप में पुनर्नामित किया गया था।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बारे में: एनएचएम को सार्वभौमिक लाभ के लिए लागू किया गया है – अर्थात पूरी आबादी; समाज के कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थापनाओं में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  • लक्ष्य: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का लक्ष्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है-
    • मातृत्व मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को 113 से घटाकर 90 करना
    • शिशु मृत्यु अनुपात (आईएमआर) को 32 से घटाकर 23 करना
    • 5 वर्ष से कम आयु के शिशुओं के मध्य का मृत्यु अनुपात (अंडर फाइव मोर्टालिटी रेट/U5MR) को 36 से घटाकर 23 करना
    • सकल प्रजनन अनुपात (टोटल फर्टिलिटी रेट/TFR) को 2.1 तक बनाए रखना
    • सभी जिलों में कुष्ठ रोग के प्रसार को <1/10000 की आबादी तथा घटनाओं को शून्य तक कम करना
    • मलेरिया की वार्षिक घटना <1/1000 तक कम करना
    • संचारी, गैर-संचारी रोग, शारीरिक क्षति तथा उभरती बीमारियों से मृत्यु दर एवं रुग्णता को रोकना तथा कम करना;
    • कुल स्वास्थ्य देखभाल व्यय पर घरेलू व्यय को कम करना
    • देश से 2025 तक टीबी महामारी को समाप्त करना।

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम( के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की कार्यान्वयन रणनीति राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (यूनियन टेरिटरीज/यूटी) को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्रदान करना है।
  • यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष रूप से आबादी के निर्धन एवं संवेदनशील वर्गों के लिए जिला अस्पतालों (डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल/डीएच) तक सुलभ, वहनीय, जवाबदेह एवं प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
  • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य संबंधी आधारिक संरचना, वर्धित मानव संसाधन तथा बेहतर सेवा वितरण के माध्यम से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल को पाटना है।
  • इसने आवश्यकता-आधारित अंतःक्षेपों को सुविधाजनक बनाने, अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण में सुधार करने तथा संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए जिला स्तर पर कार्यक्रमों के विकेन्द्रीकरण की परिकल्पना की है।

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत प्रगति

2020-21 के दौरान एनएचएम के तहत प्रगति निम्नानुसार है:

  • आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र: 1,05,147 आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्वीकृति 31 मार्च 2021 तक प्रदान की गई थी।
    • 31 मार्च, 2022 तक 1,10,000 के संचयी लक्ष्य के मुकाबले 1,17,440 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का संचालन किया गया।
  • महिला एवं बाल स्वास्थ्य में सुधार: एनआरएचएम/एनएचएम के शुभारंभ के पश्चात से मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर), पांच वर्ष से कम आयु के शिशुओं के मध्य मृत्यु दर (यू5एमआर) एवं आईएमआर में गिरावट में तेजी आई है।
    • भारत में U5MR 2013 में 49 से घटकर 2018 में 36 हो गया है।
    • एसआरएस 2017-19 के अनुसार, एमएमआर और कम होकर 103 हो गया है।
    • एसआरएस 2020 के अनुसार, आईएमआर और कम होकर 28 हो गया है।
    • गिरावट की वर्तमान दर पर, भारत को अपने एसडीजी लक्ष्य (एमएमआर-70, U5MR-25) को नियत वर्ष  अर्थात 2030 से बहुत पहले तक पहुंचने में सक्षम होना चाहिए।
  • लक्ष्य: 202 लेबर रूम एवं 141 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर, राज्य लक्ष्य प्रमाणित हैं एवं 64 लेबर रूम  तथा 47 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर राष्ट्रीय लक्ष्य प्रमाणित हैं।
  • राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवाएं (नेशनल एंबुलेंस सर्विसेज/एनएएस): मार्च 2021 तक, 35 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में यह सुविधा है कि लोग एम्बुलेंस को कॉल करने के लिए 108 या 102 डायल कर सकते हैं। 2020-21 में 735 अतिरिक्त आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा वाहन जोड़े गए।
    • 2020-21 के दौरान, 30 अतिरिक्त मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) जोड़ी गईं।
  • 24×7 सेवाएं एवं प्रथम परामर्श इकाइयां: 2020-21 के दौरान प्रथम परामर्श इकाइयां (फर्स्ट रेफरल यूनिट/एफआरयू) के संचालन के रूप में 1140 स्थापनाओं को जोड़ा गया।
  • कायाकल्प: इस योजना के तहत 2020-21 में 10,717 जन स्वास्थ्य केंद्रों को कायाकल्प पुरस्कार प्राप्त हुए।
  • मलेरिया: 2020 में मलेरिया के दर्ज किए गए मामलों तथा मौतों की कुल संख्या क्रमशः 1,81,831 एवं 63 थी, जबकि 2014 में दर्ज किए गए 11,02,205 मामलों एवं 561 मौतों की तुलना में, 2014 की समान अवधि में मलेरिया के मामलों की तुलना में 83.50% तथा 88.77% मौतों की गिरावट का संकेत है। ।
  • काला-अजार: काला अजार (केए) से प्रभावित स्थानिक ब्लॉकों का प्रतिशत, प्रति 10,000 जनसंख्या पर <1 कालाजार मामले के उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करना, 2014 में 74.2% से बढ़कर 2020-21 में 97.5% हो गया।
  • लसीका फाइलेरिया: 2020-21 में, 272 लसीका फाइलेरिया से प्रभावित स्थानिक जिलों में से, 98 जिलों ने 1 प्रसार आकलन सर्वेक्षण (ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे/टीएएस -1) को सफलतापूर्वक स्वीकृति प्रदान की है तथा एमडीए को रोक दिया है एवं ये जिले एमडीए उपरांत निगरानी में हैं।
  • डेंगू: डेंगू के संबंध में, राष्ट्रीय लक्ष्य व्यक्ति मृत्यु दर (केस फर्टिलिटी रेट/सीएफआर) <1 प्रतिशत को बनाए रखना था।
    • लक्ष्य को प्राप्त किया गया क्योंकि 2014 में मृत्यु दर 0.3% थी एवं 2015 से 2018 के दौरान, सीएफआर 0.2% पर बना हुआ रहा।
    • इसके अतिरिक्त 2020 में, यह 2019 की तरह 0.1% पर बना हुआ है।
  • राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम/एनटीईपी): देश भर में जिला स्तर पर कुल 1,285 कार्ट्रिज आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (सीबीएनएएटी) मशीनें एवं 2,206 ट्रूनेट मशीनें क्रियाशील हैं।
    • 2020 में 29.85 लाख आणविक परीक्षण किए जाएंगे। यह 2017 के दौरान 7.48 लाख की तुलना में 4 गुना अधिक है।
    • 2020 में, 30,605 एमडीआर/आरआर-टीबी रोगियों को अल्पकालिक एमडीआर-टीबी पथ्यापथ्य नियमों पर आरंभ किया गया है, 10,489 डीआर-टीबी रोगियों को संपूर्ण देश में नई दवा युक्त पथ्यापथ्य नियम (बेडाक्विलाइन-10,140 और डेलामनिड-349) पर प्रारंभ किया गया है।
  • प्रधान मंत्री राष्ट्रीय अपोहन कार्यक्रम (प्राइम मिनिस्टर नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम/पीएमएनडीपी): इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत  लोक जन भागीदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप/पीपीपी) मोड में सभी जिला अस्पतालों में अपोहन (डायलिसिस) सुविधाओं का समर्थन करने के लिए 2016 में प्रारंभ किया गया था।
    • वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, 5781 मशीनों को परिनियोजित करके 910 डायलिसिस केंद्रों में 505 जिलों में 35 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) लागू किया गया है।
    • 2020-21 के दौरान, कुल 3.59 लाख रोगियों ने डायलिसिस सेवाओं का लाभ उठाया एवं 35.82 लाख रक्त अपोहन (हेमो-डायलिसिस) सत्र आयोजित किए गए।

 

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