मनी लॉन्ड्रिंग: प्रासंगिकता
- जीएस 3: धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) एवं इसकी रोकथाम।
मनी लॉन्ड्रिंग/धन शोधन क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, “संपत्ति का रूपांतरण या हस्तांतरण, यह जानते हुए कि ऐसी संपत्ति किसी भी अपराध (अपराधों) से व्युत्पन्न है, संपत्ति के अवैध उद्गम को छिपाने अथवा रूपांतरण के उद्देश्य से या ऐसे अपराध/ अपराधों में शामिल किसी भी व्यक्ति की सहायता करने के उद्देश्य से अपने कार्यों के कानूनी परिणामों से बचने हेतु”।
- अतः, मनी लॉन्ड्रिंग को एक आपराधिक गतिविधि, जैसे कि मादक द्रव्यों की तस्करी या आतंकवादी वित्तपोषण से बड़ी मात्रा में पैसा बनाने की अवैध प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक वैध स्रोत से आया है।
- आपराधिक गतिविधि से प्राप्त धन को गंदा माना जाता है एवं प्रक्रिया इसे साफ-सुथरी दिखाने के लिए इसे “धावन” (काले धन को सफेद करना) करती है।
- धन शोधन एक गंभीर वित्तीय अपराध है जिसे सफेदपोश एवं सड़क स्तर के अपराधियों द्वारा समान रूप से प्रयोग में लाया जाता है।
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धन शोधन के 3 चरण
- स्थापन (प्लेसमेंट): अपराध के साथ प्रत्यक्ष संबंध से धन को स्थानांतरित करना।
- स्तरण (लेयरिंग): अनुसरण करने को विफल करने के लिए पथचिह्न को छिपाने हेतु।
- समेकीकरण ( इंटीग्रेशन): अपराध कर्ता को वैध प्रतीत होने वाले स्रोतों से धन उपलब्ध कराना।
विश्व में कितने धन को अवैध से वैध बनाया जाता है?
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, एक वर्ष में वैश्विक स्तर पर धन शोधन की अनुमानित राशि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 2 – 5% अथवा वर्तमान अमेरिकी डॉलर में 800 बिलियन डॉलर- 2 ट्रिलियन डॉलर है।
- धन शोधन की गुप्त प्रकृति के कारण, धन शोधन चक्र से गुजरने वाले कुल धन का अनुमान लगाना कठिन है।
मनी लॉन्ड्रिंग के प्रभाव
- व्यापार पर मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाव: बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं के बाज़ार की समग्रता इस धारणा पर बहुत अधिक निर्भर करती है कि यह उच्च विधिक, पेशेवर एवं नैतिक मानकों के ढांचे के भीतर कार्य करता है। सत्यनिष्ठा की प्रतिष्ठा एक वित्तीय संस्थान की सबसे मूल्यवान संपत्तियों में से एक है।
- आर्थिक विकास पर मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाव: वृद्धिमान अथवा विकासशील वित्तीय केंद्रों वाली, किंतु अपर्याप्त नियंत्रण अर्थव्यवस्थाएं विशेष रूप से अति संवेदनशील हैं क्योंकि स्थापित वित्तीय केंद्र देश व्यापक धन शोधन रोधी (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) व्यवस्था लागू करते हैं।
- व्यापक पैमाने पर समाज पर प्रभाव: धन शोधन की संभावित सामाजिक एवं राजनीतिक लागत, यदि अनियंत्रित छोड़ दी जाती है अथवा इससे अप्रभावी रूप से निपटा जाता है, तो गंभीर है। संगठित अपराध वित्तीय संस्थानों में घुसपैठ कर सकते हैं, निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था के बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर सकते हैं अथवा सरकारी अधिकारियों एवं वास्तव में सरकारों को रिश्वत की पेशकश कर सकते हैं।
भारत में एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग
- धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 को जनवरी, 2003 में भारत में धन शोधन रोधी उपाय के रूप में अधिनियमित किया गया था।
- धन शोधन के अपराधों के विचारण हेतु केंद्र सरकार द्वारा अनेक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं।
- सरकार ने नवंबर, 2004 में वित्तीय आसूचना इकाई, भारत का गठन किया।
बहुपक्षीय पहल
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समस्या से निपटने हेतु अनेक पहल प्रारंभ किए गए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, जैसे संयुक्त राष्ट्र अथवा बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट ने समस्या के समाधान के लिए 1980 के दशक के अंत में कुछ प्रारंभिक कदम उठाए।
- 1989 मेंफाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएएफ) के गठन के पश्चात, क्षेत्रीय समूहों – यूरोपीय संघ, यूरोपीय परिषद, अमेरिकी राज्यों के संगठन, ने अपने सदस्य देशों के लिए धन शोधन रोधी मानकों की स्थापना की।