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विमुद्रीकरण के 5 वर्ष: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
विमुद्रीकरण के 5 वर्ष: प्रसंग
- 8 नवंबर, 2021 को भारत में नोटबंदी के पांच वर्ष पूर्ण हो गया। आज ही के दिन 2016 में हमारे प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि ₹500 और ₹1000 के करेंसी नोट वैध मुद्रा नहीं रहेंगे। एक प्रक्रिया जिसे विमुद्रीकरण कहा जाता है।
5 वर्ष के विमुद्रीकरण के पश्चात क्या बदल गया है यह प्रदर्शित करने हेतु 5 संकेतक
- व्यवस्था में नकदी प्रवाह: अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रचलन इस वर्ष अक्टूबर में 3 ट्रिलियन रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया।
- डिजिटल लेन-देन: डिजिटल लेनदेन जिसमें यूपीआई, फोनपे, पेटीएम एवं अन्य मर्चेंट शामिल हैं, ने भी अब तक के उच्चतम स्तर को देखा है।
- यूपीआई लेनदेन: यूपीआई लेनदेन नवंबर 2016 में सिर्फ 29 मिलियन से बढ़कर अब 4.2 बिलियन हो गया है।
- यूपीआई लेनदेन का मूल्य: यूपीआई ने विगत माह 103 अरब डॉलर का उच्चतम लेनदेन भी अंकित किया है।
- प्रचलन में मुद्रा: अर्थव्यवस्था में मुद्रा नाममात्र जीडीपी वृद्धि के साथ बढ़ रही है।
1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था हेतु 1000 दिन की योजना
विमुद्रीकरण ने क्या हासिल किया है?
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक आधार पत्र (वर्किंग पेपर) में पाया गया है कि विमुद्रीकरण से, विशेष रूप से युवाओं में डिजिटल लेनदेन के उपयोग में स्थायी वृद्धि हुई है।
- कोविड-19: अर्थव्यवस्था में कम नकदी ने लोगों को होम आइसोलेशन के दौरान आवश्यक वस्तुओं को ऑर्डर करने एवं विभिन्न ऐप का उपयोग करके ऑनलाइन माध्यम से भुगतान करने की अनुमति प्रदान की है।
- ऑनलाइन लेनदेन में वृद्धि एवं जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप प्रदान किया है।
- औपचारिक क्षेत्र में आईटीआर एवं कर्मचारियों की संख्या एवं मूल्य विमुद्रीकरण के पश्चात बढ़े।
- यदि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था संकुचित हुई होती तो काला धन भी कम हो गया होता।
यद्यपि, विमुद्रीकरण की प्रायः: निम्नलिखित कारणों से एक असफल निर्णय के रूप में आलोचना की गई है:
- काले धन को समाप्त करना विमुद्रीकरण का मुख्य लक्ष्य था। यद्यपि, आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, लगभग संपूर्ण पैसा (99 प्रतिशत से अधिक) जो अमान्य हो गया था, बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गया।
- जाली नोट: 2016 में, देश भर में 32 लाख नकली नोट जब्त किए गए थे। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, आगामी चार वर्षों में, विभिन्न मूल्यवर्ग में देश भर में कुल 18. 87 लाख नकली नोटों को जब्त किया गया है।
- विमुद्रीकरण की तिमाही में विमुद्रीकरण ने आर्थिक गतिविधियों की विकास दर को कम से कम 2 प्रतिशत अंक कम कर दिया।
- सर्वाधिक प्रभावित वे खंड थे जो अधिक मात्रा में नकद लेनदेन पर निर्भर थे, जैसे कि संगठित एवं असंगठित खुदरा क्षेत्र।
- आईएमएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की कमी के कारण उत्पन्न हुए व्यवधान ने उपभोक्ताओं एवं व्यावसायिक भावनाओं को प्रभावित किया, जिससे उच्च बारंबारता की खपत एवं उत्पादन संकेतकों, जैसे कि दोपहिया वाहनों की बिक्री एवं सीमेंट उत्पादन क्रमशः, में गिरावट आई।