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1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था हेतु 1000 दिन की योजना

प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

प्रसंग

  • हाल ही में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने आगामी कुछ वर्षों में भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने हेतु 1,000 दिनों का एजेंडा तैयार किया है।

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मुख्य फोकस क्षेत्र

  • योजना इस बात पर ध्यान केंद्रित करती है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार किस प्रकार किया जाए।
  • नवीन कार्य सूची के अनुसार, तकनीक, सोशल मीडिया तथा साइबर स्पेस को नियंत्रित करने वाले विधानों को “सरल एवं विश्व-स्तरीय” बनाने का लक्ष्य है।
  • उच्च तकनीक वाले क्षेत्र एवं कौशल विकसित करना: जिन क्षेत्रों का अभिनिर्धारण किया गया है उनमें कृत्रिम प्रज्ञान (एआई), साइबर सुरक्षा, सुपर कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, ब्लॉकचैन एवं क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं।
  • कौशल एवं प्रतिभा विकास: कंपनियों के डिजिटलीकरण के प्रयासों में वृद्धि होने के पश्चात से कोविड-19  उपरांत प्रतिभा की आवश्यकता में तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
  • रोजगारः योजना का लक्ष्य 3 वर्षों में 1 करोड़ कुशल आईटी जनशक्ति तैयार करना है।
  • अर्धचालक निर्माता एवं उच्च मूल्य वर्धित उत्पाद: इलेक्ट्रॉनिक चिप्स  के वर्तमान वैश्विक अभाव ने भारत के लिए अपनी अर्धचालक निर्माण योजनाओं को तीव्रता से ट्रैक करने हेतु एक सशक्त केस निर्मित किया है।

स्टेबल क्वाइन्स

डिजिटल अर्थव्यवस्था क्या है?

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला को संदर्भित करती है जो उत्पादन के प्रमुख कारकों के रूप में डिजिटल सूचनाओं एवं ज्ञान का उपयोग करती है।
  • इंटरनेट, क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, फिनटेक,  एवं अन्य नई डिजिटल तकनीकों का उपयोग डिजिटल रूप से सूचनाएं एकत्र करने, संग्रहित करने, विश्लेषण करने एवं साझा करने तथा सामाजिक अंतःक्रियाओं को रूपांतरित करने हेतु किया जाता है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में विश्व के सामाजिक परिवेश एवं आर्थिक गतिविधियों को मौलिक रूप से परिवर्तित करने की क्षमता है।
  • यह पहले से ही उच्च विकास,  तीव्र नवाचार एवं अन्य आर्थिक क्षेत्रों हेतु व्यापक अनुप्रयोग का अनुभव कर रहा है।

 

लाभ

  • अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण लाभ एवं दक्षता उत्पन्न करता है क्योंकि डिजिटल प्रौद्योगिकियां नवाचार को बढ़ावा देती हैं एवं रोजगार के अवसरों तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था समाज के सभी पहलुओं में भी व्याप्त है, लोगों के मध्य अंत: क्रिया करने के तरीके को प्रभावित करती है एवं व्यापक सामाजिक परिवर्तन लाती है।
  • वित्तीय प्रौद्योगिकियों ने वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के नए तरीकों को भी जन्म दिया है जिससे अनेक विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है।
  • डिजिटल नेटवर्क एवं अभिज्ञ सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकियां (आईसीटी) आधुनिक आर्थिक गतिविधियों को अधिक लोचशील, स्फूर्तिमान एवं स्मार्ट बनाने में सक्षम बनाती हैं।

ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स इंडिया

चुनौतियां

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा प्रस्तुत व्यापक अवसरों के बावजूद, विकासशील देशों ने अभी तक सतत विकास हेतु डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता का पूर्ण रूप से संपादन नहीं किया है,  निम्नलिखित कारकों के कारण
    • अपर्याप्त आईसीटी अवसंरचना,
    • अपर्याप्त कौशल विकास, एवं
    • सामाजिक आर्थिक बाधाएं

 

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