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राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान– वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण- संदर्भ
- हाल ही में, राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) ने 2017-18 में अपना वैधानिक लेखांकन करते समय आईएल एंड एफएस समूह के परिवहन उद्यम में अनेक समस्याओं का पता लगाने में विफल रहने के लिए ‘ईवाई ग्रुप फर्म’ एसआरबीसी एंड कंपनी एलएलपी को फटकार लगाई है।
राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण- प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि: भारतीय वित्तीय प्रणाली में विभिन्न कॉर्पोरेट घोटालों (उदाहरण के लिए पंजाब नेशनल बैंक) ने लेखा परीक्षकों एवं इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान) की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया।
- इससे सरकार द्वारा एक स्वतंत्र लेखा परीक्षा नियामक के रूप में राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण का गठन किया गया।
- गठन: एनएफआरए (भारत का लेखा परीक्षा नियामक) का गठन 2018 में भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 132 (1) के अंतर्गत किया गया था।
राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण की संरचना: इसमें एक अध्यक्ष, तीन पूर्णकालिक सदस्य एवं एक सचिव होता है।
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- अध्यक्ष, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति एवं लेखा, लेखा परीक्षा, वित्त अथवा विधि में विशेषज्ञता रखने वाला व्यक्ति होगा।
- प्रमुख क्षेत्राधिकार: एनएफआरए के क्षेत्राधिकार का विस्तार उन बड़ी सार्वजनिक कंपनियों जो सूचीबद्ध नहीं हैं (नियमों में निर्धारित सीमा) एवं सूचीबद्ध कंपनियों तक विस्तृत होंगी।
- केंद्र सरकार के पास ऐसी अन्य संस्थाओं को जांच के लिए एनएफआरए को संदर्भित करने का विवेकाधिकार है, जिसमें जनहित शामिल है।
राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण- प्रमुख कार्य
- अनुशंसात्मक भूमिका: एनएफआरए केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन हेतु कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली लेखांकन लेखा परीक्षा नीतियों तथा मानकों की संस्तुति करता है।
- अनुश्रवण एवं अनुपालन: एनएफआरए लेखा मानकों एवं लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन के अनुश्रवण एवं अनुपालन हेतु उत्तरदायी है।
- गुणवत्ता एवं व्यावसायिकता सुनिश्चित करना: एनएफआरए को ऐसे मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने एवं सेवा की गुणवत्ता में सुधार के उपाय सुझाने से जुड़े व्यवसायों की सेवा की गुणवत्ता के अनुश्रवण करने का कार्य सौंपा गया है।
- जनहित की व्यापकता सुनिश्चित करना: प्रमुख कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों में से एक जनहित की रक्षा करना है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं प्रमुख उद्देश्य