Categories: हिंदी

भारत में शुष्क भूमि कृषि

शुष्क भूमि कृषि क्या है?

  • शुष्क भूमि उस क्षेत्र को संदर्भित करती है जहां वार्षिक वर्षा 750 मिमी एवं 1150 मिमी के मध्य होती है। इस कारण से, इन क्षेत्रों में कृषि के लिए खे ती की एक बेहतर प्रणाली की आवश्यकता होती है जिससे अधिकतम मात्रा में मृदा एवं जल का संरक्षण हो सके। इसे शुष्क भूमि कृषि कहते हैं।

अंतर को समझना

कृषि का प्रकार वर्षण
शुष्क कृषि <750 मिमी
शुष्क भूमि कृषि 750 मिमी-1150 मिमी
वर्षा पोषित कृषि > 1150 मिमी

 

शुष्क भूमि की कृषि की विशेषताएं

  • इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा अनिश्चित, अपर्याप्त रूप से वितरित तथा सीमित होती है।
  • इन क्षेत्रों में व्यापक जलवायु संकट जैसे सूखा, बाढ़ इत्यादि की घटनाएं होती है।
  • इन क्षेत्रों में मृदा की सतह भी तरंगित (लहरदार) होती है;
  • इन क्षेत्रों में, किसानों के पास  विस्तृत एवं वृहद भूमि जोत उपलब्ध है;
  • इन क्षेत्रों में, कृषक  विस्तृत कृषि का अभ्यास करते हैं। एकल फसल की व्यापकता इत्यादि;
  • इन क्षेत्रों के कृषक समान प्रकार की फसलें उगाते हैं।
  • इन क्षेत्रों में इन फसलों की पैदावार अत्यंत कम होती है।

 

भारत में शुष्क भूमि की कृषि

  • प्रमुख शुष्क कृषि फसलें ज्वार, बाजरा, रागी एवं बाजरा हैं; तिलहन जैसे सरसों, रेपसीड  एवं दलहनी फसलें जैसे अरहर, चना एवं मसूर।
  • भारत में लगभग 80 प्रतिशत मक्का, 90 प्रतिशत बाजरा, लगभग 95 प्रतिशत दलहन तथा 75 प्रतिशत तिलहन शुष्क भूमि कृषि से प्राप्त होते हैं।

 

भारत में शुष्क भूमि की कृषि: किए जाने वाले उपाय

  • उन फसलों को उत्पादित करने की आवश्यकता है जो सूखा सहिष्णु हैं।
  • इन क्षेत्रों को प्रायः मृदा अपरदन की स्थिति का सामना करना पड़ता है। तो, ऐसे क्षेत्रों का प्रबंधन वानिकी एवं चरागाह द्वारा, विनियमित चराई के साथ मृदा को स्थिरीकृत करके प्राप्त किया जा सकता है।
  • भारत की प्रोटीन सुरक्षा अधिकांशतः शुष्क भूमि कृषि पर निर्भर है, इसलिए इजराइल जैसे देशों से प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता है, जिनके पास शुष्क भूमि कृषि में महत्वपूर्ण अनुभव तथा विशेषज्ञता है।
  • कृषि संबंधी उपाय: उचित जुताई, बुवाई के समय का उचित प्रबंधन, उर्वरक प्रबंधन, दोहरी फसल, वीथि सस्यन जैसे क्षेत्र के लिए उपयुक्त उचित फसल प्रणालियों का चयन, विशिष्ट स्थानों के लिए बेहतर फसल प्रतिरूप का उपयोग, उचित खरपतवार नियंत्रण तथा पौधों की सुरक्षा के उपाय।

 

शुष्क भूमि की कृषि: सफलता की कहानियां

  • रालेगांव सिद्धि,
  • महाराष्ट्र में हिवरे बाजार कथा
  • हरियाणा में सुखोमाजरी इत्यादि, सूखी भूमि कृषि की सफलता के कुछ उदाहरण हैं।

शुष्क भूमि कृषि: सरकार की पहल

  • नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (एनएमएसए), जो जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज/एनएपीसीसी) के तहत आठ मिशनों में से एक है, जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों का समाधान करना चाहता है।
  • राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर/एनएमएसए) के ढांचे के तहत कृषि वानिकी पर एक उप-मिशन 2016-17 के दौरान 4 वर्ष (2016-17 से 2019-20) की अवधि के लिए प्रारंभ किया गया है।
  • राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति, 2014 को सरकार के विभिन्न मौजूदा मिशनों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं में प्रकीर्णित कृषि वानिकी के विभिन्न तत्वों के मध्य समन्वय, अभिसरण  एवं सामंजस्य स्थापित करने हेतु तैयार किया गया है।
  • प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) 1 जुलाई, 2015 को सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला जैसे जल स्रोत, वितरण नेटवर्क एवं कृषि स्तर के अनुप्रयोग में आरंभ से अंत तक समाधान प्रदान करने के लिए ‘हर खेत को पानी’ के आदर्श वाक्य के साथ आरंभ की गई थी। ।
  • कृषि आकस्मिकता योजना: सीआरआईडीए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल  रिसर्च) ने राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से जिला स्तरीय कृषि आकस्मिक योजनाएँ तैयार की हैं ताकि सूखे तथा बाढ़, फसलों, पशुधन एवं मत्स्य पालन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली चरम घटनाओं से निपटने के लिए असामान्य मानसून की स्थिति से निपटा जा सके।
  • भारत सरकार ने बाजरा जैसी शुष्क भूमि फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए 2018 को बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया है।

 

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक स्रोत भाग 2 वित्त वर्ष 2022 के लिए परिसंपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य  को पार कर गया एसडीजी के स्थानीयकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन स्वनिधि से समृद्धि कार्यक्रम विस्तारित
अमृत ​​समागम | भारत के पर्यटन तथा संस्कृति मंत्रियों का सम्मेलन ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक स्रोत भाग 1 कावेरी नदी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति मछलियों को हानि पहुंचा रही है तकनीकी वस्त्रों हेतु नई निर्यात संवर्धन परिषद
संपादकीय विश्लेषण: भारतीय रेलवे के बेहतर प्रबंधन हेतु विलय ‘माइक्रोस्विमर्स’ द्वारा ड्रग डिलीवरी स्कोच शिखर सम्मेलन 2022 | NMDC ने 80वें SKOCH 2022 में दो पुरस्कार जीते राज्य ऊर्जा एवं जलवायु सूचकांक (एसईसीआई) 2022
manish

Recent Posts

Mahadevi Verma Early Life, Education, Professional Career

Mahadevi Verma, a prominent figure in Hindi literature, left an indelible mark as a poet,…

3 hours ago

Medical Council of India-History, Objective, Function

The Medical Council of India (MCI), established in 1934 under the Indian Medical Council Act…

3 hours ago

National Crime Records Bureau (NCRB) – Highlight, Objective

The National Crime Records Bureau (NCRB), a renowned governmental organization in India, is entrusted with…

3 hours ago

Indian Constitution Features: Basic Structure and More

The inception of the Indian Constitution is marked by its preamble, which encapsulates its ideals,…

8 hours ago

Indian Western and Eastern Ghats: Difference, Significances

The Western and Eastern Ghats are two formidable mountain ranges in India, with the Deccan…

11 hours ago

Indian Postal Service (IPoS)- Function, Pay Scale, Eligibility

The Indian Postal Service holds a prestigious position among India's Group 'A' Civil Services, managing…

12 hours ago