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तकनीकी वस्त्रों हेतु नई निर्यात संवर्धन परिषद

तकनीकी वस्त्र यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप  तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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भारत में तकनीकी वस्त्र: संदर्भ

  • हाल ही में, सरकार ने घोषणा की है कि वह तकनीकी वस्त्रों के शिपमेंट को प्रोत्साहन देने हेतु एक पृथक निर्यात प्रोत्साहन परिषद स्थापित करने की योजना बना रही है।

 

निर्यात प्रोत्साहन परिषद: प्रमुख बिंदु

  • वस्त्र मंत्रालय ने कहा कि कपड़ा एवं वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों के लिए  अनेक निर्यात संवर्धन परिषदें हैं।
  • सरकार तकनीकी वस्त्रों के लिए एक पृथक निर्यात प्रोत्साहन परिषद  निर्मित करने की योजना बना रही है, क्योंकि यह कपड़ा क्षेत्र में एक नया परिवर्धन है
  • इससे पूर्व, विभिन्न मंत्रालयों तथा नोडल एजेंसियों के मध्य कोई उचित समन्वय नहीं था एवं परिषद यह सुनिश्चित करेगी कि सभी संबंधित विभागों  तथा मंत्रालयों के मध्य  निर्बाध समन्वय स्थापित हो

 

तकनीकी वस्त्र का अर्थ

  • तकनीकी वस्त्र वस्त्र सामग्री एवं उत्पाद हैं जो मुख्य रूप से सौंदर्य विशेषताओं के स्थान पर तकनीकी प्रदर्शन एवं कार्यात्मक गुणों के लिए निर्मित होते हैं।
  • तकनीकी वस्त्र उत्पादों को उनके अनुप्रयोग क्षेत्रों के आधार पर 12 व्यापक श्रेणियों (एग्रोटेक, बिल्डटेक, क्लॉथटेक, जियोटेक, होमटेक, इंडुटेक, मोबिलटेक, मेडिटेक, प्रोटेक, स्पोर्ट्सटेक, ओकोटेक, पैकटेक) में विभाजित किया गया है।

 

भारत में तकनीकी वस्त्र- प्रमुख संभावनाएं

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान: तकनीकी वस्त्र भारत के कुल वस्त्र एवं परिधान बाजार का लगभग 13%  गठित करते हैं एवं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 0.7% का योगदान देते हैं।
  • एक व्यापक मांग अंतराल को पूरा करने की एक बड़ी संभावना है क्योंकि भारत में तकनीकी वस्त्रों की खपत अभी भी मात्र 5-10% है जबकि कुछ उन्नत देशों में 30-70% है।
  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन: इसे निम्नलिखित को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है-
    • वर्ष 2024 तक तकनीकी वस्त्रों के घरेलू बाजार के आकार को 40-50 अरब डॉलर तक बढ़ाने के लिए 15-20% की औसत वृद्धि दर
    • इसे बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन एवं मेक इन इंडिया पहल के माध्यम से प्राप्त किया जाना है।
  • वैश्विक क्षमता: वर्ष 2018 में तकनीकी वस्त्रों की मांग 165 बिलियन डॉलर आंकी गई थी एवं 2018-25 से 4% की सीएजीआर पर 2025 तक 220 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की संभावना है।

 

तकनीकी वस्त्र अनुप्रयोग

  • तकनीकी वस्त्र, वस्त्र क्षेत्र के खंड हैं, जिनका उपयोग विभिन्न अत्याधुनिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है
    • कृषि,
    • सड़कें,
    •  रेलवे की पटरियां,
    • खेल परिधान,
    • स्वास्थ्य
    • बुलेट प्रूफ जैकेट,
    • फायर प्रूफ जैकेट,
    • उच्च तुंगता वाले लड़ाकू गियर तथा
    • अंतरिक्ष अनुप्रयोग

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तकनीकी वस्त्रों के लाभ

  • यह भारत में विनिर्माण एवं निर्यात गतिविधियों को प्रोत्साहन प्रदान करने में सहायता करेगा।
  • कृषि, जलीय कृषि, डेयरी, मुर्गी पालन इत्यादि में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग से लागत अर्थव्यवस्था, जल  एवं मृदा संरक्षण, बेहतर कृषि उत्पादकता तथा प्रति एकड़ भूमि जोत वाले किसानों को प्राप्त होने वाले उच्च आय में समग्र सुधार होगा
  • राजमार्गों, रेलवे तथा बंदरगाहों में भू- वस्त्र (जिओ-टेक्सटाइल) के उपयोग के परिणामस्वरूप  सुदृढ़  आधारिक अवसंरचना, निम्न रखरखाव लागत  तथा आधारिक अवसंरचना की परिसंपत्ति का उच्च जीवन चक्र होगा।

 

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