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हीट वेव्स इंडिया यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 1: महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं (जल-निकायों एवं हिम-शीर्ष सहित) तथा वनस्पतियों एवं जीवों में परिवर्तन तथा ऐसे परिवर्तनों के प्रभाव।
ग्रीष्म ऋतु 2022: संदर्भ
- हाल ही में, प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद (नेशनल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल/NRDC) ने एक नई रिपोर्ट ‘संपूर्ण भारत में उष्ण लहर प्रतिरोधक क्षमता’ (‘एक्सपेंडिंग हीट रेसिलिएंस एक्रॉस इंडिया‘) जारी की है, जहाँ इसने शहरों तथा जिलों को इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में वृद्धि के प्रति संवेदनशील लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की सिफारिश की है।
एक्सपेंडिंग हीट रेसिलिएंस रिपोर्ट: प्रमुख बिंदु
- इससे पूर्व, भारत मौसम विज्ञान विभाग (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) ने बताया है कि भारत ने इस वर्ष 1901 के पश्चात से अपना सर्वाधिक गर्म मार्च दर्ज किया है।
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मार्च में मध्य तथा पश्चिमी भारत के वृहद हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (°C) के निशान को छू गया है, जिसके कारण अनेक शहर उष्ण लहर (गर्मी की लहरों) की चपेट में हैं।
- इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश एवं केरल में अत्यधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है, जिन राज्यों में हीटवेव का कोई इतिहास नहीं है।
- हीटवेव से प्रभावित राज्यों की संख्या 2019 में 28 थी, जो एक वर्ष पूर्व 19 थी।
हीटवेव से निपटने हेतु राज्यों की पहल
- आंध्र प्रदेश ने गर्मी की चेतावनी जारी की एवं जनता तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मध्य जन जागरूकता सृजित की।
- इसी तरह, ओडिशा ने ग्रीष्म ऋतु के व्यस्त घंटों के दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया ताकि यात्रियों को ऊष्मा प्रतिबल से बचाया जा सके।
- अहमदाबाद का 2013 का हीट एक्शन प्लान दक्षिण एशिया में विकसित अपने प्रकार की प्रथम पहल थी। इसने एक वर्ष में 1,190 मौतों को टाला।
एक्सपेंडिंग हीट रेसिलिएंस रिपोर्ट: सिफारिशें
- प्रतिरोधक क्षमता में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये के लिए, हमें आर्थिक लाभ में चार रुपये प्राप्त होते हैं।
- राज्य की पहल के अतिरिक्त शहर के स्तर पर प्रतिरोधक क्षमता निर्मित करें।
- जागरूकता उत्पन्न करने के लिए सामुदायिक पहुंच
- जनता को सचेत करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली
- स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण
- किसानों, निर्माण श्रमिकों, यातायात पुलिस जैसी संवेदनशील आबादी पर ध्यान केंद्रित करना।
- अत्यधिक गर्मी के दिनों में पेयजल, शीतलन केंद्र, उद्यान, छाया स्थान उपलब्ध कराने जैसे अनुकूली उपायों को लागू करना।
- नगर निगमों को ऐसे कार्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है जो उनके समुदायों के लिए कार्यक्रम तैयार करें एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आरंभिक योजना, समन्वय, क्षमता निर्माण, निगरानी तथा अन्य उपाय प्रदान करें।