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संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2022

संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 1: भौगोलिक विशेषताएं एवं उनकी अवस्थिति-महत्वपूर्ण भौगोलिक भू-आकृतियां (जल-निकायों एवं हिम-शीर्ष सहित)  तथा वनस्पतियों एवं जीवों में परिवर्तन तथा ऐसे परिवर्तनों के प्रभाव।

भूजल उपयोग: संदर्भ

  • हाल ही में, यूनेस्को ने संयुक्त राष्ट्र-जल की ओर से संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट का 2022 संस्करण जारी किया है जिसका शीर्षक है भूजल: अदृश्य दृश्यमान बनाना‘ (ग्राउंड वाटर: मेकिंग द इनविजिबल विजिबल)
  • विश्व जल दिवस के संयोजन के साथ प्रारंभ की गई, यह रिपोर्ट  निर्णय निर्माताओं को धारणीय जल नीतियों को निर्मित करने तथा लागू करने हेतु ज्ञान एवं उपकरण प्रदान करती है।

 

संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट: प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट संपूर्ण विश्व में भूजल के विकास, प्रबंधन तथा शासन से जुड़ी चुनौतियों एवं अवसरों का वर्णन करती है।
  • रिपोर्ट में राज्यों को पर्याप्त तथा प्रभावी भूजल प्रबंधन  एवं शासन नीतियों को विकसित करने हेतु स्वयं को प्रतिबद्ध करने की सिफारिश की गई है ताकि  संपूर्ण विश्व में वर्तमान और भविष्य के जल संकटों को दूर किया जा सके।

 

संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2022: प्रमुख निष्कर्ष

  • विश्व स्तर पर, आगामी 30 वर्षों में जल के उपयोग में प्रतिवर्ष लगभग 1% की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • इसके अतिरिक्त, भूजल पर हमारी समग्र निर्भरता में वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण सतही जल की उपलब्धता तेजी से सीमित हो रही है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), अधिकांश यूरोपीय देशों  तथा चीन में भूजल अपनयन दर कमोबेश स्थिर हो गई है।
  • स्वच्छ जल के वैश्विक अपनयन में एशिया का सर्वाधिक वृहद अंश है। इसके बाद उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया  एवं ओशिनिया का स्थान है।
  • क्षेत्रवार भूजल उपयोग: भूजल की कुल मात्रा का 69% कृषि क्षेत्र में उपयोग के लिए, 22% घरेलू उपयोग के लिए एवं 9% औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

 

भूजल का महत्व

  • अल्प प्रदूषित: भूजल की भारी मात्रा के कारण, जल के अभाव के समय में जलभृत (एक्वीफर्स) एक बफर के रूप में  कार्य कर सकते हैं, जिससे लोग सर्वाधिक शुष्क जलवायु में भी जीवित रह सकते हैं। सतह पर प्रदूषण की घटनाओं के  प्रति एक्वीफर्स तुलनात्मक रूप से अच्छी तरह से संरक्षित हैं।
  • सामाजिक लाभ: भूजल समाज को सामाजिक, आर्थिक  एवं पर्यावरणीय लाभों के लिए असीम अवसर प्रदान करता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में संभावित योगदान भी शामिल है।
  • शहरी निर्धनता में कमी: भूजल उपादेयताओं को  अत्यंत न्यून लागत पर स्रोत विकसित करने तथा कम कनेक्शन शुल्क की अनुमति प्रदान कर शहरी निर्धनता में कमी लाने में योगदान देता है।
  • एसडीजी प्राप्त करना: भूजल  निर्धनता के प्रति लड़ाई, खाद्य एवं जल सुरक्षा, समुचित नौकरियों के सृजन, सामाजिक-आर्थिक विकास  तथा जलवायु परिवर्तन के लिए समाजों एवं अर्थव्यवस्थाओं की लोचशीलता के लिए केंद्रीय है। इसलिए, भूजल अनेक एसडीजी के विकास में योगदान देता है।

 

भूजल चुनौतियां

  • यद्यपि भूजल सतही जल की तुलना में प्रदूषण के प्रति कम संवेदनशील है, एक बार दूषित होने के बाद इसे ठीक करना अत्यंत कठिन एवं महंगा हो सकता है।
    • तटीय क्षेत्रों में, भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन जलभृतों को व्यापक पैमाने पर खारे पानी के अंतः प्रवेश के  प्रति अनावृत करता है।
  • विश्व की भूमि की सतह के नीचे का आधे से अधिक भूजल खारा है एवं इसलिए अधिकांश प्रकार के जल के उपयोग के लिए अनुपयुक्त है।
  • भूजल को प्रायः अपूर्ण रूप से समझा जाता है तथा इसके परिणामस्वरूप अल्प मूल्यांकित, कुप्रबंधित एवं यहां तक ​​अप-प्रयुक्त है।

भूजल उपयोग: आवश्यक कदम

  • डेटा का संग्रह: डेटा एवं सूचना के संकलन में निजी क्षेत्र को सम्मिलित करके भूजल डेटा की कमी के मुद्दे में सुधार किया जा सकता है, जो आमतौर पर राष्ट्रीय (एवं स्थानीय) भूजल एजेंसियों  के उत्तरदायित्व के  अधीन होता है।
  • पर्यावरणीय नियमों को सुदृढ़ बनाना: चूंकि भूजल प्रदूषण व्यावहारिक रूप से अपरिवर्तनीय है, अतः इसे टाला जाना चाहिए। यह आवश्यक है कि सरकारें संसाधन संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भूजल तक पहुंच समान रूप से एवं सतत उपयोग हेतु वितरित की जाती है।
  • मानव, भौतिक और वित्तीय संसाधनों को सुदृढ़ करना: भूजल से संबंधित संस्थागत क्षमता के निर्माण, समर्थन एवं अनुरक्षण हेतु सरकारों की प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है।

 

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