Categories: हिंदी

संपादकीय विश्लेषण- हार्म इन द नेम ऑफ गुड

हार्म इन द नेम ऑफ गुड- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3 : पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

समाचारों में: हार्म इन द नेम ऑफ गुड

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वनों के महत्व के बारे में जागरूकता में वृद्धि करने हेतु एवं उत्सव मनाने के लिए 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के रूप में घोषित किया है।
  • इस दिन, देशों को हरित आवरण को बढ़ाने, जैव विविधता के संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन से लड़ने में  सहायता करने हेतु वृक्षारोपण अभियान जैसी गतिविधियों को आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

 

वर्तमान वृक्षारोपण अभियान के मुद्दे

  • पारिस्थितिक तंत्र दृष्टिकोण का अभाव: वन जटिल पारिस्थितिक तंत्र हैं जो पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों, कीटों , उभयचरों, कवकों , सूक्ष्म जीवों, जल, मृदा, पर्यावरणीय परिस्थितियों एवं अन्य कारकों के परस्पर क्रिया के कारण कई वर्षों में निर्मित होते हैं।
    • जब तक ये प्रतिभागी पुनर्निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे, वृक्ष आकर्षक, प्राकृतिक, जटिल पारिस्थितिक तंत्र  के स्थान पर हरे भरे आवरण के रूप में बने रहेंगे।
  • पारिस्थितिक रूप से समृद्ध पर्यावासों का विनाश: यदि वृक्षारोपण के लिए गलत क्षेत्रों का चयन किया जाता है, तो प्राकृतिक पर्यावास में परिवर्तन हो सकता है, जिससे पर्यावास विशेष प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
    • यह स्थानीय पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र को कम प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण बना देगा।
    • एक उत्कृष्ट उदाहरण जो हम देखते हैं वह वृक्षारोपण के माध्यम से प्राकृतिक घास के मैदानों को जंगली क्षेत्रों में परिवर्तित होना है।
    • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, जिसे कभी भारत के राष्ट्रीय पक्षी के रूप में नामित किया गया था, अब 200 से कम पक्षियों के  साथ विलुप्त होने के कगार पर है।
    • ऐसा इसलिए है क्योंकि वृक्षारोपण के कारण कई क्षेत्र जहां ये बड़े पक्षी पनपे हैं, ऐसे क्षेत्र समाप्त हो गए हैं।
    • मध्य कर्नाटक में रानेबेन्नुर वन्यजीव अभ्यारण्य, जिसे इस प्रजाति के संरक्षण के लिए नामित किया गया था, इस अवैज्ञानिक सोच का एक उदाहरण है।
    • जयमंगली संरक्षण रिजर्व, कर्नाटक में एक अन्य घास का मैदान, भेड़ियों का एक पर्यावास है। किंतु अब वहां तेंदुए पाए जाते हैं क्योंकि संपूर्ण क्षेत्र में बबूल, अंजन, नीलगिरी  तथा इमली के वृक्ष लगाए गए हैं।
  • दोषपूर्ण वृक्षारोपण अभियान: इनमें से कुछ वृक्षारोपण अभियान स्थानीय प्रजातियों के प्रचार का दावा करते हैं। देशी वृक्ष प्रजाति भारत में एक अत्यंत ही दुरुपयोग की जाने वाली शब्दावली है।
    • हालांकि नीम, पीपल, बरगद तथा अंजन भारत के स्थानीय वृक्ष हो सकते हैं,  किंतु वे देश के अनेक हिस्सों में गैर- स्थानीय हैं।
    • हम इस महत्वपूर्ण पारिस्थितिक मानदंड की उपेक्षा करते हैं  एवं सभी क्षेत्रों में इन प्रजातियों का रोपण करते हैं।
    • किसी भी प्रकार की स्थानीय वृक्ष प्रजातियों को लगाने से संभवतः शहरी परिवेश में सहायता मिल सकती है किंतु प्राकृतिक पर्यावासों में नहीं।

वनों के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करना

  • वृक्षारोपण गतिविधियों को स्थानीय जैव विविधता के अनुकूल बनाना: यदि हम वनों को पुनर्स्थापित करना चाहते हैं, तो हमें पहले स्थानीय वनस्पतियों  एवं जैव विविधता को व्यवस्थित रूप से समझने की आवश्यकता है जो इन वनों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • यदि हम स्थानीय रूप से पाई जाने वाली स्वदेशी प्रजातियों की एक श्रृंखला लगाते हैं, तो जैव विविधता वापसी करेगी।
    • वृक्ष लगाने का विश्व में एक अंगुष्ठ नियम है: सही स्थान पर सही वृक्ष लगाना चाहिए। और कुछ जोड़ते हैं, ‘सही कारण के लिए’।
  • प्रभावशीलता का अनुश्रवण: हमें ऐसे वृक्षारोपण  अथवा पुनर्स्थापना पहल के परिणामों  का अनुश्रवण एवं जांच भी करनी चाहिए।
  • सहायक प्राकृतिक पुनर्जनन को बढ़ावा देना: एक अन्य उपाय यह है कि संरक्षण के माध्यम से वनों को स्वयं से पुनर्स्थापित होने दिया जाए। इसे सहायक प्राकृतिक पुनर्जनन कहा जाता है एवं यह एक सस्ता  तथा अधिक प्रभावी पद्धति है।
    • वैज्ञानिक अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि प्राकृतिक पुनर्जनन वृक्षारोपण की तुलना में 40 गुना अधिक कार्बन अवशोषित करता है एवं बहुत अधिक जैव विविधता का संरक्षण करता है।
  • मौजूदा जैव विविधता एवं वन पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण: हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता वनोन्मूलन (वनों की कटाई) को रोकना  एवं मौजूदा वनों की रक्षा करना है।
  • वानिकी एवं वन्य जीव संरक्षण में निवेश: विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 2018 और 2021 के मध्य वन्यजीव संरक्षण के बजट में 47% की कटौती की है।
    • सरकार को वनों एवं अन्य पर्यावास संरक्षण के लिए अपने समर्थन में वृद्धि करनी चाहिए।

 

मनरेगा पर संसदीय पैनल की रिपोर्ट कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (सीएससी) अहोम विद्रोह (1828) भारत में पीवीटीजी की सूची
राष्ट्रीय रेल योजना विजन 2030 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर डीपीआर मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में गिरावट | भारत के रजिस्ट्रार जनरल आई-स्प्रिंट’21 एवं इनफिनिटी फोरम 2021| ग्लोबल फिनटेक
भारत की आर्कटिक नीति आरबीआई ने सूक्ष्म वित्त ऋण हेतु दिशा-निर्देश, 2022 जारी किए पीएलएफएस त्रैमासिक बुलेटिन अप्रैल-जून 2021 भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) | ट्राई के बारे में, संरचना, निष्कासन एवं प्रमुख उद्देश्य
manish

Recent Posts

How To Start UPSC Preparation From Zero Level? Step By Step

"How to Begin UPSC Preparation From Scratch" is a pressing question for many UPSC aspirants,…

20 mins ago

HPPSC Exam Calendar 2024 Out, Check Application Form and Exam Details

The HPPSC Exam Calendar 2024 for various number of exams was made public by the…

24 mins ago

Mizoram Judiciary Syllabus 2024, Prelims and Mains PDF Download

The Mizoram Judicial Services Examination is conducted by judiciary authorities in the state of Mizoram…

2 hours ago

Nagaland Judicial Services Exam Syllabus 2024, Prelims and Mains PDF

Aspiring candidates interested in applying for vacancies in the Nagaland Civil Judge Examination can kickstart…

2 hours ago

Odisha Judicial Service Notification 2024, Check Exam Schedule

The Odisha Public Service Commission (OPSC) released the Odisha Judicial Service Examination 2024 through a…

3 hours ago

UPPSC PCS Exam Centers 2024, Check District-wise List

UPPSC PCS Exam Centers 2024: The official UPPSC notification includes the list of exam centers…

3 hours ago