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संपादकीय विश्लेषण: डायवर्सीफाइंग प्लेट्स फॉर गर्ल्स

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: केंद्र तथा राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।

बालिकाओं को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है

  • बालिकाओं को बालकों की तुलना में अधिक शारीरिक मांगों का सामना करना पड़ता है एवं इस प्रकार  वृहत तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों के अधिक सेवन की आवश्यकता होती है।
  • बालकों में 18% की तुलना में किशोर बालिकाओं में रक्ताल्पता (एनीमिया) की संभावना 40% होती है।
  • यही कारण है कि किशोरावस्था के दौरान आहार विविधता को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आहार संबंधी आदतें रचनात्मक अवस्था में होती हैं एवं इस प्रकार वयस्क जीवन में भी इसे जारी रखा जा सकता है।

 

बालिकाओं पर फोकस क्यों?

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे/एनएफएचएस) -5 के आंकड़े एनएफएचएस -4 की तुलना में किशोर बालिकाओं में रक्ताल्पता में 5% की वृद्धि दर्शाते हैं।
  • इसी तरह, विस्तृत राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2019 से पता चलता है कि महामारी से पहले भी, किशोरों के मध्य विविध खाद्य समूहों का उपभोग निम्न  था।
  • कोविड-19 के नतीजों ने,विशेष रूप से महिलाओं, किशोरों  एवं बच्चों की आहार विविधता को और खराब कर दिया है।
  • लॉकडाउन के कारण विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की हानि हुई तथा किशोर बालिकाओं के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (WIFS) एवं पोषण शिक्षा में रुकावट आई।
  • यह विद्यालय न जाने वाली किशोरियों को पोषण सेवाएं प्रदान करने में चुनौतियों से जटिल हो गया, जिससे खराब पोषण परिणामों के प्रति उनकी संवेदनशीलता और बढ़ गई।

अनुशंसाएँ

  • WIFS की निरंतर सेवा वितरण के साथ-साथ, सरकार की स्वास्थ्य एवं पोषण नीतियों को विविध आहार तथा शारीरिक क्रियाकलापों के दृढ़ अनुपालन पर बल देने की आवश्यकता है।
    • इसमें स्थानीय रूप से खट्टे फल तथा सब्जियां, मौसमी आहार एवं बाजरा सम्मिलित करना शामिल है।
    • हमें पोषण-स्मार्ट विद्यालयों (न्यूट्री-स्मार्ट स्कूलों) (स्कूलों में किचन गार्डन बनाने) के माध्यम से किशोरों में  उचित पोषण को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है है।
  • हमें विद्यालयों से परे सोचने की आवश्यकता है। युवा बालिकाओं को पर्याप्त तथा समुचित आहार के बारे में  परिशुद्ध  जानकारी से लैस करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने परिवार, समुदाय एवं सहकर्मी समूहों के लिए परिवर्तन के कारक के रूप में कार्य कर सकें।
    • इसके अतिरिक्त, खाद्य विविधीकरण को सुधारात्मक कदमों जैसे कि हाल ही में महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का संशोधन के साथ पूरित करने की आवश्यकता है।
  • वर्तमान में, 80% किशोर सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण ‘प्रच्छन्न भूख’ से पीड़ित हैं। बालिकाओं में यह प्रवृत्ति अधिक प्रचलित है क्योंकि वे पहले से ही अनेक पोषण अभावों से पीड़ित हैं। हमें न केवल आयरन तथा फोलिक एसिड, बल्कि विटामिन बी12, विटामिन डी एवं जिंक की कमी को दूर करने के लिए अपनी नीतिगत पहलों को दृढ़ करने की आवश्यकता है।
  • पोषण अभियान के डिजाइन में किशोरों में गैर-संक्रामक रोगों तथा मोटापे के बढ़ते जोखिम को सम्मिलित करने की आवश्यकता है।
    • चूंकि भारत के 12 राज्यों में 10% से अधिक किशोर अधिक वजन वाले हैं, इसलिए अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों एवं पेय पदार्थों की बिक्री तथा विज्ञापन के  विरुद्ध सख्त कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है।

 

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