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अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मॉनिटर रिपोर्ट का 9वां संस्करण

आईएलओ मॉनिटर 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • GS पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियाँ- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मॉनिटर रिपोर्ट का 9वां संस्करण_3.1

आईएलओ मॉनिटर 2022 का 9वां संस्करण समाचारों में 

  • हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन/ILO) मॉनिटर रिपोर्ट का 9वां संस्करण जारी किया गया। 
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मॉनिटर के 9वें संस्करण का कहना है कि “वर्ल्ड ऑफ वर्क” अनेक संकटों से जूझ रही है।

 

आईएलओ मॉनिटर 2022 के प्रमुख निष्कर्ष

  • काम की संख्या में कमी: ILO की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की अंतिम तिमाही के दौरान महत्वपूर्ण लाभ के पश्चात, वैश्विक स्तर पर संपादित कार्य के घंटों की संख्या 2022 की पहली तिमाही में गिरकर महामारी से पूर्व की रोजगार की स्थिति से 3.8% कम हो गई।
  • नौकरी छूटना: ILO मॉनिटर रिपोर्ट के अनुसार, महामारी-पूर्व एवं 2022 की पहली तिमाही के बीच लगभग 11.2 करोड़ नौकरियां खो गई होंगी।
  • बेरोजगारी के अन्य कारण: चीन में हालिया लॉक डाउन, यूक्रेन तथा रूस के  मध्य संघर्ष एवं खाद्य तथा ईंधन की कीमतों में वैश्विक वृद्धि को आईएलओ मॉनिटर 2022 के निष्कर्षों के प्रमुख कारणों के रूप में उद्धृत किया गया है।

 

रोजगार में लैंगिक अंतराल पर आईएलओ मॉनिटर 2022

  • “वर्ल्ड ऑफ वर्क” पर रिपोर्ट में भारत के रोजगार परिदृश्य में लैंगिक अंतराल का उल्लेख किया गया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को छोड़कर भारत तथा निम्न-मध्यम आय वाले दोनों देशों ने 2020 की दूसरी तिमाही में काम के घंटों में लैंगिक अंतराल में गिरावट का अनुभव किया।
    • यद्यपि, क्योंकि भारत में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कार्य के घंटों का आरंभिक स्तर बहुत कम था, भारत में महिलाओं द्वारा किए गए कार्य के घंटों में कमी का निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के लिए कुल मिलाकर केवल एक कमजोर प्रभाव है।
    • इसके विपरीत, भारत में पुरुषों द्वारा किए गए कार्य के घंटों में कमी का समुच्चय पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
  • मौजूदा अंतर को और गहन करना: ऐसा प्रतीत होता है कि महामारी ने देश में रोजगार भागीदारी में  पूर्व से ही पर्याप्त लिंग असंतुलन को और गहन कर दिया है।
    • भारत में, महामारी से पूर्व कार्य  पर प्रत्येक 100 महिलाओं के लिए, रिपोर्ट द्वारा विचार की गई संपूर्ण अवधि के दौरान औसतन 12.3 महिलाओं ने अपनी नौकरी खो दी होगी।
    • इसके विपरीत, प्रत्येक 100 पुरुषों के लिए, समतुल्य आंकड़ा 7.5 होता।

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आईएलओ मॉनिटर 2022- बेरोजगारी के लिए प्रमुख खतरे

  • वित्तीय अशांति, संभावित ऋण संकट तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान 2022 में किए गए कार्य के घंटों में और गिरावट के बढ़ते जोखिम के साथ-साथ आने वाले महीनों में वैश्विक श्रम बाजारों पर व्यापक प्रभाव की ओर संकेत करता है।
  • असमानता: “अमीर तथा गरीब अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक व्यापक एवं बढ़ती हुई भिन्नता” पुनर्प्राप्ति की विशेषता बनी हुई है
    • जबकि उच्च आय वाले देशों ने काम के घंटों में सुधार का अनुभव किया, निम्न तथा निम्न-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को वर्ष की पहली तिमाही में गिरावट का अनुभव किया।

 

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