राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)- प्रसंग

  • हाल ही में, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने सूचित किया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) कोई विशिष्ट डेटा अनुरक्षित नहीं रखता है ताकि यह इंगित किया जा सके कि अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रति अत्याचार के पीड़ितों को कितने मामलों में विधिक सेवाएं प्रदान की गईं।
  • विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 नालसा को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को उनकी आय पर विचार किए बिना निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करने का अधिकार प्रदान कर दी है।

 

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)- प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: 1987 में, संसद द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम अधिनियमित किया गया था, जो 9 नवंबर, 1995 को प्रवर्तन में आया।
    • नालसा अधिनियम 1987 का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समरूप राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करना है।
  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के बारे में: समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का गठन किया गया है।
  • नालसा के प्रधान संरक्षक (पैट्रन-इन-चीफ) एवं अध्यक्ष: भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया/सीजेआई) नालसा के प्रधान संरक्षक होते हैं तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम माननीय न्यायाधीश नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष होते हैं।
  • आवश्यकता: नालसा को निम्नलिखित संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने हेतु निर्मित किया गया था-
    • प्रस्तावना: नालसा का उद्देश्य सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान करने के प्रस्तावना के संकल्प को पूरा करना है।
    • संविधान का अनुच्छेद 14 एवं 22(1): राज्य के लिए विधि के समक्ष समता सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाना।
    • अनुच्छेद 39 ए: इसका उद्देश्य समाज के निर्धन एवं कमजोर वर्गों को समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने हेतु निशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना है।
  • अधिदेश: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
    • प्रभावी विधिक प्रतिनिधित्व, विधिक साक्षरता एवं जागरूकता प्रदान करके समाज के वंचित तथा बहिष्कृत समूहों को विधिक रूप से सशक्त बनाना
    • विधिक रूप से उपलब्ध लाभों एवं हकदार लाभार्थियों के मध्य की खाई को पाटकर समाज के वंचित एवं बहिष्कृत समूहों को विधिक रूप से सशक्त बनाना।
    • विवादों के अनौपचारिक, त्वरित, सस्ते तथा प्रभावी समाधान के लिए लोक अदालतों एवं अन्य वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों की प्रणाली को सुदृढ़ करना एवं अतिभारित (अत्यधिक बोझ से दबी हुई) न्यायपालिका पर न्याय निर्णयन के भार को कम करना।
  • प्रमुख उद्देश्य: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं-
    • समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करना
    • यह सुनिश्चित करना कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए, तथा
    • विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन करना।
    • विधिक साक्षरता एवं जागरूकता फैलाना, सामाजिक न्याय के मुकदमे प्रारंभ करना इत्यादि।

 

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) – प्रमुख कार्य

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के प्रमुख कार्यों में शामिल हैं-

  • समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं प्रदान करना
  • यह सुनिश्चित करना कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए, तथा
  • विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन करना।
  • विधिक साक्षरता एवं जागरूकता फैलाना, सामाजिक न्याय के मुकदमे प्रारंभ करना इत्यादि।
  • नालसा देश की विविधतापूर्ण जन साधारण से उपेक्षित एवं बहिष्कृत समूहों की विशिष्ट श्रेणियों का अभिनिर्धारण करता है।
  • नालसा विभिन्न स्तरों पर विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा लिए गए दायित्व एवं कार्यान्वित किए जाने वाले निवारक तथा रणनीतिक विधिक सेवा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु विभिन्न योजनाएं तैयार करता है।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा)- निःशुल्क विधिक सेवाओं के लिए पात्र लाभार्थी

  • महिलाएं एवं बच्चे
  • विकलांग व्यक्ति
  • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य
  • औद्योगिक कामगार
  • निरुद्ध व्यक्ति
  • प्राकृतिक आपदाओं, प्रजातीय/जातीय हिंसा, औद्योगिक दुर्घटना के शिकार
  • मानव दुर्व्यापार अथवा बेगार के शिकार
  • 1,00,000/- रुपये से कम की वार्षिक आय वाले व्यक्ति या जैसा केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा इस संबंध में अधिसूचितकिया जाए।

 

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