Categories: हिंदी

हीट वेव्स 2022: परिभाषा, कारण, प्रभाव एवं आगे की राह

हीट वेव्स 2022: प्रासंगिकता

  • जीएस 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात इत्यादि सदृश महत्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएं

भारत में हीट वेव्स: संदर्भ

  • हाल ही में, आईसीएआर- सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA), हैदराबाद ने हीट वेव 2022: कॉज, इम्पैक्ट्स एंड वे फॉरवर्ड फॉर इंडियन एग्रीकल्चर नामक एक नई रिपोर्ट जारी की है।

 

उष्ण लहर क्या है?

  • एक उष्ण लहर (हीट वेव) असामान्य रूप से उच्च तापमान या गर्म मौसम की लंबी अवधि है, जैसा कि आम जनता द्वारा महसूस किया जाता है तथा वैज्ञानिक रूप से एक निश्चित क्षेत्र में सामान्य से अधिक तापमान की घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है।

 

भारत में हीटवेव के लिए अनुकूल दशाएं

  • एक क्षेत्र में गर्म शुष्क पवन का परिवहन / प्रसार (इस क्षेत्र में गर्म पवन के परिवहन हेतु गर्म शुष्क हवा  तथा उपयुक्त प्रवाह प्रतिरूप का एक क्षेत्र होना चाहिए)।
  • ऊपरी वायुमंडल में आद्रता (नमी) का अभाव
  • आकाश व्यावहारिक दृष्टि से बादल रहित होना चाहिए।
  • क्षेत्र में बड़े आयाम वाले प्रतिचक्रवातीय प्रवाह। उष्ण लहरें आम तौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में विकसित होती हैं तथा धीरे-धीरे पूर्व एवं दक्षिण की ओर प्रसारित होती हैं किंतु पश्चिम की ओर नहीं (चूंकि मौसम के दौरान प्रचलित पवनें पश्चिम से उत्तर पश्चिम की ओर उपस्थित होती हैं)।
  • इसके अतिरिक्त, यदि मृदा अत्यधिक शुष्क है, तो समस्त सौर विकिरण इसे गर्म करते हैं, जिससे मृदा के संपर्क में आने वाली वायु गर्म हो जाती है तथा और अधिक उच्च तापमान को बढ़ावा देती है।

 

हाल ही में हीटवेव के हालिया कारण

  • मार्च में राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में प्रतिचक्रवात (एंटीसाइक्लोन) एवं पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति ने  आरंभिक एवं अत्यधिक उष्ण लहरों को जन्म दिया था।

 

कृषि पर प्रभाव

भौतिक प्रभाव

  • जल संसाधन: जलवायु एवं जल के मध्य घनिष्ठ संबंध के कारण, उष्ण लहरें अनेक क्षेत्रों में विशेष रूप से शुष्क तथा अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल संकट को और गहन करती हैं।
  • वन्य/जंगल की आग: उष्ण लहरें ऑस्ट्रेलिया में संयुक्त रूप से अन्य समस्त प्राकृतिक खतरों की तुलना में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।

 

कार्यिकी प्रभाव

  • फसलें: एक निश्चित इष्टतम स्तर से अधिक उच्च तापमान पौधों की वृद्धि को मंद करता है। इस प्रकार उच्च तापमान फसल उत्पादन को सीमित करने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।
  • पशुधन: ऊष्मीय तनाव  पशु आहार (फ़ीड) के सेवन को मंद करता है एवं दुग्ध उत्पादन, शरीर के वजन  तथा प्रजनन प्रदर्शन के मामले में पशु उत्पादकता को कम करता है। इसके अतिरिक्त, उष्ण तनाव पशुओं में कामेच्छा, प्रजनन क्षमता तथा भ्रूण के अस्तित्व को कम करता है।
  • कुक्कुट: उष्ण तनाव ब्रॉयलर के आराम में हस्तक्षेप करता है तथा व्यवहारिक, कार्यिकी एवं प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन के कारण उत्पादक दक्षता, विकास दर, फ़ीड रूपांतरण तथा जीवित वजन वृद्धि पर रोक लगा देता है।
  • मत्स्य पालन: बढ़ा हुआ तापमान मछलियों की कुछ प्रजातियों के वितरण प्रतिरूप को प्रभावित कर सकता है, जहां उनमें से कुछ ठंडे स्थानों के लिए उच्च अक्षांश पर प्रवास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, तापमान में परिवर्तन का तरण (तैराकी) क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

उष्ण लहरें: आगे की राह

  • ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान करने, उनकी घटनाओं की निगरानी करने एवं उनके प्रभावों को व्यापक रूप से समझने के लिए समेकित प्रयासों की आवश्यकता है।
  • इस तरह की चरम घटनाओं की आवृत्ति तथा गंभीरता में आसन्न वृद्धि को देखते हुए कृषि, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन एवं पोल्ट्री क्षेत्रों में इस तरह के प्रयासों को और गहन करने की आवश्यकता है।
  • आशाजनक प्रौद्योगिकियों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है ताकि वे बड़ी संख्या में किसानों तक पहुंच सकें।
  • मशीनरी के माध्यम से अवशेष प्रबंधन से संबंधित पद्धतियों को कस्टम हायरिंग सेंटर, कृषि मशीनरी बैंकों  तथा नेशनल सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन (SMAM) के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।
  • मौसम की चरम घटनाओं एवं कृषि-सलाहकार सेवाओं सहित मौसम के पूर्वानुमान को सुदृढ़ करने की भी आवश्यकता है ताकि किसान आसन्न मौसम के बारे में संसूचित निर्णय प्राप्त कर सकें।

 

अभ्यास-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई): कैबिनेट ने सीडीआरआई को ‘अंतर्राष्ट्रीय संगठन’ के रूप में वर्गीकृत करने की स्वीकृति प्रदान की ‘शून्य-कोविड’ रणनीति लिविंग लैंड्स चार्टर
संपादकीय विश्लेषण- समय का सार वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश के लिए साझेदारी इंडिया केम-2022 दल बदल विरोधी कानून- विधायकों की निरर्हता
भारत में नमक क्षेत्र का संकट संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2022 भारत की गिग एवं प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था पर नीति आयोग की रिपोर्ट ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2022- प्रमुख निष्कर्ष
manish

Recent Posts

Cyclone Remal 2024 Live Updates on Bengal Coast Impacts and Disasters

Cyclone Remal 2024 Live Updates- Cyclone Remal is intensifying in the Bay of Bengal and is…

3 hours ago

UKPSC Exam Date 2024 Out, Check UKPSC Prelims Schedule

Uttarakhand Public Service Commission (UKPSC) has released a new exam date for the UKPSC Prelims…

7 hours ago

India General Elections 2024 Phase 6, State Wise Latest Result

The sixth phase of the Lok Sabha election has commenced, covering 58 seats across seven…

8 hours ago

RPSC RAS Salary 2024, In Hand Salary and Job Profile

The opportunity to work as a Rajasthan Administrative Service (RAS) officer may be very enticing…

11 hours ago

UPSC Exam Centers 2024, Check City Wise Exam Centers List

The UPSC Prelims Examination is set to be held on June 16 this year, and…

11 hours ago

List of Union Territories of India, Check New UT List 2024

India is currently made up of eight union territories. Jammu and Kashmir has been transformed…

13 hours ago