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भारत में नमक क्षेत्र का संकट

नमक क्षेत्र यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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नमक क्षेत्र का संकट: प्रसंग 

  • भारत में नमक उद्योग मांग को पूरा करने एवं नमक उत्पादकों के समक्ष उत्पन्न होने वाले प्राप्ति संकट से निपटने में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

 

भारत में नमक उत्पादन: प्रमुख बिंदु

  • भारत में लगभग पांच लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नमक उद्योग में कार्य करते हैं।
  • इस समय, एक किसान स्वयं के द्वारा उत्पादित एक टन नमक से लगभग 250 रुपए से 300 रुपए तक  अर्जित कर लेता है। यद्यपि कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहता है।

 

भारत में नमक का उत्पादन 

  • भारत विश्व का तीसरा सर्वाधिक वृहद नमक उत्पादक देश है।
  • गुजरात देश के कुल नमक उत्पादन का 80% से अधिक उत्पादन करता है
  • आरंभिक वर्षों में, किसानों को 17 रुपए/प्रति टन  प्राप्त हो रहा था जो 1991 तक 70 रुपए तक पहुंच गया था।
  • 5% नमक या तो समुद्र के जल से अथवा उप मृदा के जल से उत्पादित होता है एवं संपूर्ण प्रक्रिया बुवाई, उत्पादन एवं शस्य द्वारा की जाती है। खनन (हिमाचल प्रदेश में मंडी) द्वारा मात्र 0.5% नमक का उत्पादन होता है।
  • नमक उद्योग एक मौसमी उद्योग है और इसे कृषि के रूप में माना जाना चाहिए।

 

भारत में नमक उद्योग के मुद्दे

  • किसानों को अल्प कीमत: न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होने के कारण किसानों को नमक उत्पादन के लिए कम कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।
  • नमक श्रमिकों के साथ समस्या: मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होने से श्रमिक भी संकट में हैं।
  • छोटी नमक पेटियां: गुजरात के तटीय क्षेत्र में लगभग 12,800 नमक प्रसंस्करण इकाइयाँ हैं, जिनमें से मात्र 119 मध्यम एवं वृहद मानी जाती हैं।
  • सरकार की ओर से न्यूनतम ध्यान: सर्वाधिक सस्ती वस्तु होने के कारण नमक पर सरकार की ओर से  न्यूनतम ध्यान दिया जा रहा है।
  • अप्रासंगिक कानून: उद्योगों से संबंधित सभी कानून नमक उत्पादन पर लागू होते हैं, भले ही उत्पादन साधारण सौर वाष्पीकरण के माध्यम से किया जाता है, क्योंकि यह एक खनन उद्योग के रूप में सूचीबद्ध है।
  • बढ़ती मांग:  वर्तमान में, मांग एवं आपूर्ति लगभग समान हैं। यद्यपि, मांग 8% की दर से बढ़ रही है  एवं उत्पादन में वृद्धि मात्र 3% है।
  • जल विद्युत परियोजनाएं: इस क्षेत्र के 5,000 वर्ग किलोमीटर में स्वच्छ जल की झील निर्मित करने की परियोजना, रण सरोवर जैसी परियोजनाएं, लगभग 50,000 लोगों को बेरोजगार कर देंगी।
  • सहकारी समितियों का स्थान लेने वाली कंपनियां: प्रारंभ में नमक उत्पादन सहकारी समितियों के हाथों में था। यद्यपि, इसे बड़ी कंपनियों द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है जो इन श्रमिकों की मजदूरी एवं किसानों के उत्पादन से संबंधित निर्णय कर रही हैं। इन कामगारों को अभी तक न तो न्यूनतम वेतन एवं न ही सामाजिक सुरक्षा प्राप्त होता है।

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नमक उद्योग के लिए सिफारिशें

  • एक नोडल एजेंसी निर्मित करें: नमक केंद्रीय क्षेत्र का एक विषय है तथा भूमि राज्य का एक विषय है। नमक किसानों के लिए सामान्य नियमों एवं विनियमों को स्थापित करने हेतु एक निकाय का गठन करने की आवश्यकता है।
  • राष्ट्रीय नमक नीति: सरकारों एवं निर्माताओं पर उत्तरदायित्व निर्धारित करने हेतु संपूर्ण देश के लिए एक  नवीन नमक नीति तैयार की जानी चाहिए।
  • महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच: खेती को जीवित रखने के लिए, किसानों को उनके प्रयास का अंतिम उप-उत्पाद निर्मित करने हेतु प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान की जानी चाहिए। उन्हें फसल बीमा एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होना चाहिए।

 

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