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हंसा-एनजी | भारत का प्रथम उड्डयन प्रशिक्षक 

हंसा-एनजी: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: सुरक्षा- आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां उत्पन्न करने में बाह्य राज्य एवं गैर-राज्य कारकों की भूमिका; संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां।

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हंसा-एनजी समाचारों में 

  • हाल ही में, हंसा-एनजी विमान ने 17 मई, 2022 को डीआरडीओ की वैमानिकी परीक्षण रेंज (एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज/एटीआर) स्थापना, चल्लकेरे में इन-फ्लाइट इंजन रिलाइट परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है।
  • डीजीसीए द्वारा विमान के प्रमाणन की दिशा में हंसा-एनजी का इन-फ्लाइट इंजन रीलाइट परीक्षण सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
  • इससे पूर्व, भारत के पहले स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर हंसा-एनजी ने पुडुचेरी में समुद्र स्तर पर परीक्षण  को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
  • समुद्र के स्तर के परीक्षणों का उद्देश्य हैंडलिंग गुणों, चढ़ाई / क्रूज प्रदर्शन, कठिन (बाल्ड) लैंडिंग,  धनात्मक एवं ऋणात्मक गुरुत्वाकर्षण सहित संरचनात्मक प्रदर्शन, ऊर्जा संयंत्र तथा अन्य प्रणालियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना था।

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हंसा-एनजी के बारे में प्रमुख तथ्य 

  • हंसा-एनजी के बारे में: हंसा-एनजी भारत का प्रथम स्वदेशी  तथा रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित सर्वाधिक उन्नत उड़ान प्रशिक्षकों में से एक है।
  • डिजाइन तथा विकास: हंसा-एनजी को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च/सीएसआईआर) के तत्वावधान में सीएसआईआर-राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं (नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज), बैंगलोर द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया है।
  • हंसा-एनजी की विशिष्ट विशेषताएं: इसमें जस्ट-इन-टाइम प्रीप्रेग (जेआईपीआरईजी) कम्पोजिट लाइटवेट एयरफ्रेम, ग्लास कॉकपिट, विस्तृत मनोरम दृश्य के साथ बबल कैनोपी, विद्युत संचालित फ्लैप इत्यादि जैसी विशिष्ट विशेषताएं उपलब्ध हैं।
  • महत्व: हंसा-एनजी को भारतीय फ्लाइंग क्लब की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है एवं यह कम लागत तथा कम ईंधन खपत के कारण वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसिंग (सीपीएल) के लिए एक आदर्श विमान है।
    • एनएएल को विभिन्न फ्लाइंग क्लबों से पहले ही 80 से अधिक एलओआई (आशय पत्र) प्राप्त हो चुके हैं।
  • निर्माण: हंसा-एनजी का प्रमाणन अप्रैल, 2022 तक पूरा होने की संभावना है एवं उसके बाद सार्वजनिक / निजी उद्योग के साथ निर्माण प्रारंभ किया जाएगा।
    • यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विमानन पारिस्थितिकी तंत्र को वर्धित करेगा।

 

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