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महत्वपूर्ण खनिज

महत्वपूर्ण खनिज: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, औषधि क्षेत्र एवं स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता।

महत्वपूर्ण खनिज: प्रसंग

  • यूक्रेन संकट के मद्देनजर तेल एवं गैस के मूल्य निर्धारण तथा उपलब्धता पर चिंताएं ऊर्जा सुरक्षा पर वैश्विक नीतिगत बहसों को बढ़ावा दे रही हैं।
  • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए लोचदार एवं स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला निर्मित करने हेतु लिथियम, कोबाल्ट, निकेल तथा दुर्लभ मृदा धातुओं जैसे महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है।

 

महत्वपूर्ण खनिज क्या हैं?

  • महत्वपूर्ण खनिज ऐसे तत्व हैं जो आधुनिक- युग की आवश्यक प्रौद्योगिकियों के निर्माण खंड हैं तथा आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के जोखिम में हैं।
  • इन खनिजों का उपयोग अब मोबाइल फोन, कंप्यूटर के निर्माण से लेकर बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन तथा हरित प्रौद्योगिकी जैसे सौर पैनल एवं पवन टरबाइन बनाने से लेकर प्रत्येक स्थान पर किया जाता है।
  • अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं तथा रणनीतिक कारणों के आधार पर, विभिन्न देश अपनी सूची निर्मित करते हैं, यद्यपि ऐसी सूचियों में अधिकांशतः ग्रेफाइट, लिथियम, कोबाल्ट एवं सिलिकॉन सम्मिलित होते हैं जो कंप्यूटर चिप्स, सौर पैनल तथा बैटरी निर्माण हेतु एक महत्वपूर्ण खनिज है।

 

गंभीर स्थिति

  • जैसे-जैसे दुनिया भर के देश स्वच्छ ऊर्जा एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अपने संक्रमण को बढ़ाते हैं, ये महत्वपूर्ण संसाधन उस पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं जो इस परिवर्तन को प्रेरित करते हैं।
  • कोई भी आपूर्ति आघात महत्वपूर्ण खनिजों की खरीद के लिए दूसरों पर निर्भर देश की अर्थव्यवस्था एवं रणनीतिक स्वायत्तता को गंभीर रूप से खतरे में डाल सकता है किंतु दुर्लभ उपलब्धता, बढ़ती मांग एवं जटिल प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखला के कारण ये आपूर्ति जोखिम अस्तित्व में हैं।
  • कई बार, शत्रुतापूर्ण शासन व्यवस्था या राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों के कारण जटिल आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
  • वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विश्व तेजी से जीवाश्म ईंधन से खनिज-गहन ऊर्जा प्रणाली में स्थानांतरित हो रहा है।

 

दुर्लभ मृदा धातुएं क्या हैं?

  • दुर्लभ मृदा तत्व (रेयर अर्थ मेटल्स/आरईई) सत्रह धात्विक तत्वों का एक समूह है जिसमें आवर्त सारणी पर पंद्रह लैंथेनाइड्स के साथ स्कैंडियम एवं एट्रियम शामिल हैं।
  • दुर्लभ मृदा तत्व अनेक उच्च तकनीक वाले उपकरणों का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
  • उनके पास अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है, विशेष रूप से उच्च तकनीक वाले उपभोक्ता उत्पाद, जैसे सेलुलर टेलीफोन, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, इलेक्ट्रिक एवं  हाइब्रिड वाहन तथा फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर एवं टीवी।
  • महत्वपूर्ण रक्षा अनुप्रयोगों में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, मार्गदर्शन प्रणाली, लेजर तथा रडार एवं सोनार सिस्टम  सम्मिलित हैं।
  • नियोडिमियम, प्रेजोडायमियम एवं डिस्प्रोसियम जैसे नामों के साथ दुर्लभ मृदा खनिज, भविष्य के उद्योगों, जैसे कि पवन टरबाइन और इलेक्ट्रिक कार में उपयोग किए जाने वाले चुंबकों (मैग्नेट) के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 

महत्वपूर्ण खनिज: प्राप्ति में चुनौतियां

  • निक्षेप प्रायः उन क्षेत्रों में केंद्रित होते हैं जो भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील होते हैं अथवा व्यापारिक सुगमता के दृष्टिकोण से खराब प्रदर्शन करते हैं।
  • वर्तमान उत्पादन का एक हिस्सा भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए, चीन कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश एवं अपने बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से कोबाल्ट खनन में व्यापक प्रभाव रखता है।
  • आगामी मांग को पूरा करने के लिए अन्य देशों के क्रेताओं द्वारा भविष्य में खदान के उत्पादन को प्रायः उदग्राहण (ऑफ टेक) समझौतों में जोड़ा जाता है।

 

महत्वपूर्ण खनिज: खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL)

  • रणनीतिक खनिजों की सोर्सिंग के लिए, भारत सरकार ने घरेलू बाजार के लिए खनिज आपूर्ति को सुरक्षित करने हेतु 2019 में खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) की स्थापना की।
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के तीन  उद्यमों नामत: नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) एवं मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड (एमईसीएल) की भागीदारी के साथ एक संयुक्त उद्यम कंपनी नामत: खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) की स्थापना की गई।
  • काबिल के गठन का उद्देश्य भारतीय घरेलू बाजार में महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना है। जबकि काबिल राष्ट्र की खनिज सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, यह आयात प्रतिस्थापन के समग्र उद्देश्य को साकार करने में भी सहायता प्रदान करेगा।

काबिल के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु ऊर्जा पर्यावरण और जल परिषद (काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर/सीईईडब्ल्यू) पर आधारित सुझाव

  • घरेलू उद्योग की खनिज आवश्यकताओं का पता लगाएं।
  • स्वच्छ ऊर्जा अनुप्रयोगों में परिनियोजन एवं स्वदेशी विनिर्माण के स्पष्ट लक्ष्यों के साथ पांच वर्ष के रोड मैप घरेलू निवेशकों को दृश्यता प्रदान करेंगे।
  • यह निर्धारित करने के लिए घरेलू उद्योग के साथ समन्वय करें कि इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा रणनीतिक अंतःक्षेप कहाँ आवश्यक होगा।
  • KABIL वैश्विक आपूर्ति पक्ष के विकास पर दृष्टि रखने हेतु अपनी बाजार खुफिया क्षमताओं  में वृद्धि करने के लिए उद्योग जगत के साथ सहयोग कर सकता है।
  • यदि अनुकूल निवेश के अवसर मौजूद नहीं हैं तो काबिल को भविष्य के उत्पादन को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक खनिज आपूर्तिकर्ताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहिए। यह घरेलू आवश्यकताओं के लिए खनिजों की विश्वसनीय आपूर्ति को एकत्रित कर सकता है एवं घरेलू उद्योग के साथ एक के बाद एक विक्रय समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है। इतने व्यापक स्तर पर केंद्रीकृत राष्ट्रीय अधिप्राप्ति अधिमान्य शर्तों पर की जा सकती है।
  • सरकार को भू-सामरिक साझेदारों के साथ  संयुक्त रूप से खनन परिसंपत्तियों में निवेश करना चाहिए।
  • KABIL को खनन क्षेत्राधिकार में इक्विटी निवेश करना चाहिए जिसे निजी क्षेत्र के निवेशक अत्यधिक जोखिम युक्त समझते हों।
  • सोडियम आयन बैटरी जैसी प्रौद्योगिकियां भारत की सीमाओं से परे खनिजों की सोर्सिंग के लिए आवश्यकताओं को कम कर सकती हैं।
  • शहरी खनन पर नीतियों का विकास करना, जिसका उद्देश्य उन खनिज आदानों का पुनर्चक्रण करना है, जिन्होंने अपना उपयोगी जीवन पूरा कर लिया है। क्या केयह अंतरराष्ट्रीय सोर्सिंग पर निर्भरता को कम करने में सहायता कर सकता है।

 

निष्कर्ष

यूक्रेन के अलावा, ह्रासोन्मुख बहुपक्षीय सहयोग की पृष्ठभूमि में अन्य संभावित भू-राजनीतिक फ्लैशप्वाइंट भी मौजूद हैं। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए इन जोखिमों को कम करने हेतु त्वरित एवं निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए।

 

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