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मानव विकास पर शोध कार्य के लिए चिकित्सा का नोबेल 

मानव विकास पर शोध कार्य के लिए चिकित्सा का नोबेल: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मानव विकास पर शोध कार्य के लिए चिकित्सा का नोबेल _3.1

चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार चर्चा में क्यों है

  • स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो ने मानव विकास पर अपनी खोजों के लिए चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार जीता, जिसने हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की एवं जो हमें हमारे विलुप्त पूर्वजों की तुलना में विशिष्ट बनाती है।

 

स्वांते पाबो: उनका शोध कार्य, व्याख्यायित

  • स्वांते पाबो की मौलिक एवं  प्रभावी खोजें हमें यह पता लगाने का आधार प्रदान करती हैं कि हमें विशिष्ट रूप से मानव क्या बनाता है।
  • होमिनिन वानरों की वर्तमान में-विलुप्त प्रजातियों का उल्लेख करते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आधुनिक मनुष्यों से संबंधित थे, साथ-ही-साथ स्वयं आधुनिक मनुष्य भी उनसे संबंधित हैं।
  • पाबो ने पाया कि लगभग 70,000 वर्ष पूर्व अफ्रीका से बाहर प्रवास के पश्चात इन अब विलुप्त होमिनिन्स से होमो सेपियन्स में जीन स्थानांतरण हुआ था।
  • आज के मनुष्यों के लिए जीन के इस प्राचीन प्रवाह की आज शरीर क्रियात्मक प्रासंगिकता है, उदाहरण के लिए कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमणों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है।
  • पाबो ने एक पूर्ण रूप से एक नवीन वैज्ञानिक विधा की स्थापना की, जिसे पुरा-जेनोमिक्स (पैलियोजेनोमिक्स) कहा जाता है जो पुनर्निर्माण के माध्यम से विलुप्त होमिनिन के डीएनए एवं आनुवंशिक  सूचनाओं का अध्ययन करने पर केंद्रित है।

 

उद्विकास एवं जीव विज्ञान के बीच क्या संबंध है?

  • पाबो की खोजों ने एक विशिष्ट संसाधन स्थापित किया है, जिसका उपयोग वैज्ञानिक समुदाय द्वारा मानव  उद्विकास तथा प्रवास को बेहतर ढंग से समझने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
  • अब हम समझते हैं कि हमारे विलुप्त संबंधियों से पुरातन जीन अनुक्रम वर्तमान मनुष्यों के शरीर क्रिया विज्ञान को प्रभावित करते हैं।

 

पाबो ने संबंध कैसे स्थापित किया?

  • पाबो ने जर्मनी के डेनिसोवा गुफाओं में निएंडरथल के अवशेषों से विलुप्त होमिनिन्स से अस्थि के नमूनों से डीएनए का निष्कर्षण किया।
  • अस्थि में असाधारण रूप से उचित प्रकार से से संरक्षित डीएनए मौजूद था, जिसे उनके दल ने अनुक्रमित किया था।
  • यह पाया गया कि निएंडरथल मानव एवं वर्तमान मनुष्यों के सभी ज्ञात अनुक्रमों की तुलना में यह डीएनए अनुक्रम विशिष्ट था।
  • विश्व के विभिन्न हिस्सों से समकालीन मनुष्यों के अनुक्रमों की तुलना से ज्ञात होता है कि जीन प्रवाह, या प्रजातियों के मध्य अनुवांशिक सूचना का मिश्रण, डेनिसोवा एवं होमो सेपियंस – आधुनिक मानवों की प्रजातियों के मध्य भी हुआ था।
  • यह संबंध प्रथम बार मेलनेशिया (ऑस्ट्रेलिया के पास) तथा दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में आबादी में देखा गया था, जहां व्यक्ति 6% डेनिसोवा डीएनए तक धारण करते हैं।
  • EPAS1 जीन का डेनिसोवन संस्करण उच्च ऊंचाई पर जीवित रहने के लिए एक लाभ प्रदान करता है एवं वर्तमान तिब्बतियों में आम है।

 

इस तरह के शोध को क्रियान्वित करने में क्या चुनौतियां हैं?

  • इस तरह के शोध को क्रियान्वित करने में अत्यधिक तकनीकी चुनौतियां हैं क्योंकि समय के साथ डीएनए रासायनिक रूप से रूपांतरित हो जाता है एवं छोटे खंडों में अवक्रमित हो जाता है।
  • मुख्य मुद्दा यह है कि हजारों वर्षों के पश्चात डीएनए की केवल थोड़ी मात्रा ही शेष होती है एवं प्राकृतिक वातावरण के संपर्क में आने से डीएनए संदूषित हो जाता है।
  • निएंडरथल हमारे जैसे मानव थे, किंतु वे होमो निएंडर थेलेंसिस नामक एक पृथक प्रजाति थे।
  • डेनिसोवन्स के नाम से जाने जाने वाले एशियाई लोगों के साथ, निएंडरथल हमारे सर्वाधिक करीबी प्राचीन मानव संबंधी हैं। वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि हमारी दो प्रजातियों का पूर्वज एक समान थे।
  • जीवाश्म तथा डीएनए दोनों के वर्तमान साक्ष्य बताते हैं कि निएंडरथल एवं आधुनिक मानव वंश कम से कम 500,000 साल पूर्व अलग हो गए थे। कुछ अनुवांशिक अंशशोधन लगभग 650, 000 वर्ष पूर्व अपना विचलन रखते हैं।
  • सर्वाधिक प्रसिद्ध निएंडरथल लगभग 130,000 एवं 40,000 साल पूर्व अस्तित्व में थे, जिसके बाद उनके सभी भौतिक प्रमाण विलुप्त हो जाते हैं।
  • वे यूरोप एवं एशिया में विकसित हुए जबकि आधुनिक मानव – हमारी प्रजाति, होमो सेपियन्स – अफ्रीका में विकसित हो रहे थे।

 

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