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सीआरएआर क्या है: एक बैंक को सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता क्यों है?

सीआरएआर: चर्चा में क्यों है?

  • भारतीय रिजर्व बैंक (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया/RBI) ने धनलक्ष्मी बैंक को कड़ी निगरानी में रखा है क्योंकि त्रिशूर स्थित निजी बैंक की वित्तीय स्थिति व्यापक सार्वजनिक जांच के दायरे में आ रही है।
  • धनलक्ष्मी बैंक का पूंजी-से-जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात (कैपिटल टू रिस्क वेटेड एसेट्स रेशियो/सीआरएआर) एक  वर्ष पूर्व के 14.5% से इस वर्ष मार्च के अंत में लगभग 13% तक गिर गया, जिससे आरबीआई को बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य का जायजा लेने के लिए प्रेरित किया गया।

सीआरएआर क्या है: सीआरएआर के बारे में बेसल-III मानदंड क्या कहते हैं?

  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात एक बैंक की पूंजी को उसकी जोखिम-भारित आस्तियों के संबंध में मापता है।
  • बेसल-III मानदंडों के तहत, जिसे 2007-08 के वित्तीय संकट जिसमें  बैंकिंग प्रणाली में बड़ी विफलताएं सम्मिलित की, इसके पश्चात संपूर्ण विश्व में वित्तीय नियामकों द्वारा अपनाया गया था, इन मानदंडों के अनुसार बैंकों को अपने सीआरएआर को 9% या उससे अधिक पर बनाए रखना चाहिए।

 

सीआरएआर क्या है: त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई ढांचा (पीसीए) क्या है?

  • त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन/पीसीए) एक संरचना है जिसके तहत कमजोर वित्तीय मैट्रिक्स वाले बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निगरानी में रखा जाता है।
  • आरबीआई ने 2002 में पीसीए ढांचे को बैंकों के लिए एक संरचित आरंभिक-हस्तक्षेप तंत्र के रूप में प्रारंभ किया, जो खराब आस्तियों की गुणवत्ता के कारण कम पूंजीकृत हो जाते हैं, या लाभप्रदता की हानि के कारण कमजोर हो जाते हैं।
  • इसका उद्देश्य भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित आस्तियों (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स/एनपीए) की समस्या की जांच करना है।
  • भारत में वित्तीय संस्थानों एवं वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग के लिए संकल्प व्यवस्था पर वित्तीय स्थिरता तथा विकास परिषद के कार्यकारी समूह की संस्तुतियों के आधार पर रूपरेखा की समीक्षा 2017 में की गई थी।
  • पीसीए का उद्देश्य नियामक के साथ-साथ निवेशकों  एवं जमाकर्ताओं को सतर्क करने में सहायता प्रदान करना है यदि कोई बैंक संकट की ओर बढ़ रहा है। विचार, संकट के अनुपात को प्राप्त करने से पूर्व समस्याओं को आगे बढ़कर समाप्त करने का है।
  • पीसीए के तहत, आरबीआई संकटग्रस्त बैंकों द्वारा ऋण देने पर प्रतिबंध लगाता है तथा उनकी वित्तीय स्थिति में पर्याप्त सुधार होने तक उन पर कड़ी नजर रखता है।

 

बैंक के लिए पूंजी पर्याप्तता क्यों महत्वपूर्ण है?

  • पूंजी पर्याप्तता अनुपात किसी बैंक की एक चालू व्यवसाय इकाई के रूप में जीवित रहने की क्षमता का एक संकेतक है, यदि उसे अपनी ऋण संबंधी खाता बही में व्यापक हानि होती है।
  • एक बैंक परिचालन जारी नहीं रख सकता है यदि उसकी आस्तियों का सकल मूल्य उसकी देनदारियों के सकल मूल्य से कम हो जाता है क्योंकि यह उसकी पूंजी (या निवल मूल्य) को समाप्त कर देगा एवं बैंक को दिवालिया बना देगा।
  • अतः, बैंकिंग नियम जैसे कि बेसल-III मानदंड बैंकों की पूंजी पर्याप्तता में परिवर्तनों की सूक्ष्मता से निगरानी करने का प्रयास करते हैं ताकि बड़ी बैंक विफलताओं को रोका जा सके जो व्यापक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।
  • जमाकर्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूर्ण करने हेतु किसी बैंक की पूंजी की स्थिति को बैंक द्वारा अपनी तिजोरी में रखी नकदी के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए।
  • सीआरएआर, जो एक अनुपात है जो किसी बैंक की पूंजी (या निवल मूल्य) के मूल्य की तुलना उसकी विभिन्न आस्तियों के मूल्य के अनुसार करता है, प्रत्येक परिसंपत्ति कितनी जोखिम भरी होती है, इसका उपयोग बैंक द्वारा सामना किए जाने वाले दिवाला के जोखिम को मापने के लिए किया जाता है।
  • बैंक की तुलन पत्र (बैलेंस शीट) में रखी गई एक प्रकार की जोखिम वाली संपत्ति, बैंक के पूंजी पर्याप्तता अनुपात की गणना करते समय परिसंपत्ति के मूल्य को उतना ही अधिक महत्व देती है।
  • यह बैंक के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में गिरावट का कारण बनता है, इस प्रकार संकट के दौरान दिवालियेपन के उच्च जोखिम का संकेत देता है।
  • दूसरे शब्दों में, सीआरएआर बैंक की तुलन पत्र पर परिसंपत्तियों की गुणवत्ता या जोखिम के आधार पर बैंक की शोधन क्षमता के लिए उत्पन्न जोखिम का आकलन करने का प्रयास करता है।

 

भारत-अफ्रीका रक्षा सहयोग

 

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manish

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