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संपादकीय विश्लेषण: गोइंग ग्रीन

गोइंग ग्रीन: परिचय

  • तमिलनाडु अभी तक एक अन्य राज्य है जिसने इस वर्ष घोषणाओं की एक श्रृंखला के साथ – सरकारी आदेशों के रूप में  एवं बजट के माध्यम से भविष्य की ओर स्पष्ट रूप से आगे बढ़ा है, जो जलवायु के प्रति जागरूक एवं हरित होगा।
  • सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए अच्छे उद्देश्य तथा मौखिक प्रतिबद्धताओं से अधिक की आवश्यकता होती है एवं इस समय, प्रतिबद्धता वह महत्वपूर्ण पहला कदम है।

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गोइंग ग्रीन: हरित अर्थव्यवस्था क्या है?

  • जैसा कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम/यूएनईपी) द्वारा परिकल्पित किया गया है, एक हरित अर्थव्यवस्था वह है जिसकी आय एवं रोजगार में वृद्धि सार्वजनिक  तथा निजी निवेश द्वारा संचालित होती है जो कार्बन उत्सर्जन एवं प्रदूषण को कम करती है, ऊर्जा  तथा संसाधन दक्षता में वृद्धि करती है एवं जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की हानि को रोकती है ।
  • इन निवेशों को लक्षित सार्वजनिक व्यय, नीतिगत सुधारों एवं विनियमन परिवर्तनों द्वारा उत्प्रेरित  तथा समर्थित करने की आवश्यकता है।
  •  अतः हरित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में सम्मिलित प्रमुख मुद्दे हैं:
    • बेहतर मानव कल्याण
    • सामाजिक समानता,
    • पर्यावरणीय जोखिमों तथा पारिस्थितिक कमी को महत्वपूर्ण रूप से कम करना।

 

गोइंग ग्रीन: तमिलनाडु सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहल

  • एक सुनियोजित  एवं कार्यान्वित पहल के रूप में रिकॉर्ड संख्या में पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए रामसर स्थल घोषणा प्राप्त करना।
  • तमिलनाडु सरकार ने 100 गांवों में हरित पार्क  निर्मित करने के अपने विचार की घोषणा की जो स्थानीय आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा।
  •  तमिल नाडु सरकार ने दक्षिण में अगस्तियार मलाई में एक हाथी रिजर्व, पालक खाड़ी में एक ड्यूगोंग संरक्षण पार्क, तिरुपुर में एक नवीन पक्षी अभ्यारण्य तथा डिंडीगुल  एवं करूर जिले में छरहरे लोरियों के लिए भारत का प्रथम वन्य जीव अभ्यारण्य स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
  • तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर शासी परिषद (गवर्निंग काउंसिल) की नियुक्ति की है, जिसमें कई विशेषज्ञ हैं, जो कार्यान्वयन में सहायता के लिए एक ठोस साधन के उपरांत उचित उद्देश्य का एक उदाहरण है।
  •  हरित जलवायु निधि संग्रह (ग्रीन क्लाइमेट फंड कॉर्पस) की स्थापना प्रतिबद्धता का एक अन्य संकेत है।
  • इसके अतिरिक्त, एक  स्पेशल परपज व्हीकल (विशेष प्रयोज्य वाहन), तमिलनाडु ग्रीन क्लाइमेट कंपनी, को तीन महत्वपूर्ण मिशनों – जलवायु परिवर्तन, तमिलनाडु ग्रीन एवं आद्रभूमियों (वेटलैंड्स) के प्रबंधन पर परामर्श देने के लिए स्थापित किया गया है।
  • यह जलवायु परिवर्तन मिशन को नीति निर्देश प्रदान करेगा, जलवायु अनुकूलन एवं शमन संबंधी क्रियाकलापों पर परामर्श प्रदान करेगा, जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना को मार्गदर्शन प्रदान करेगा तथा कार्यान्वयन के लिए रणनीति प्रदान करेगा।

 

गोइंग ग्रीन:  जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (द नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज/एनएपीसीसी)

  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) में सौर ऊर्जा, उन्नत ऊर्जा दक्षता, सतत आवास, जल, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान, हरित भारत एवं सतत कृषि के विशिष्ट क्षेत्रों में आठ मिशन सम्मिलित हैं।
  • ये विशिष्ट क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुख्य मुद्दों से संबंधित हैं, भारत के विकास  एवं जलवायु परिवर्तन से संबंधित-अनुकूलन तथा शमन के उद्देश्यों को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए कदमों की रूपरेखा तैयार करते हैं।
  • एनएपीसीसी निम्नलिखित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है – (i) जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील समावेशी  एवं सतत विकास रणनीति के माध्यम से समाज के निर्धन तथा कमजोर वर्गों की रक्षा करना; (ii) पारिस्थितिक धारणीयता के माध्यम से राष्ट्रीय विकास प्राप्त करना (iii) अंतिम वर्ग मांग पक्ष प्रबंधन के उपयोग के लिए कुशल तथा लागत प्रभावी रणनीति तैयार करना (iv) हरितगृह गैस उत्सर्जन के अनुकूलन  तथा शमन दोनों के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को परिनियोजित करना (v) सतत विकास को प्रोत्साहित करने हेतु बाजार, नियामक तथा स्वैच्छिक तंत्र के नवीन एवं अभिनव रूपों को अभियंत्रिकी करना (vi) नागरिक समाज एवं स्थानीय सरकारी संस्थानों को समाविष्ट करके एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को प्रभावित करना; तथा (vii) अनुसंधान, विकास, साझाकरण  एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का स्वागत करना।
  • एनएपीसीसी के तहत सरकार ने राष्ट्रीय मिशनों के  अंतर्गत अनेक क्रियाकलापों, योजनाओं, कार्यक्रमों की शुरुआत की है।
  • सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता एवं वानिकी क्षेत्र के क्रियाकलापों को कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ जोड़ा गया है। अन्य मिशन भी सह-लाभ के रूप में कार्बन उत्सर्जन में कमी का समर्थन करते हैं।

 

गोइंग ग्रीन: एक हरित भारत  के लिए राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर ए ग्रीन इंडिया/जीआईएम)

  • हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत आठ मिशनों में से एक है।
  • इसका उद्देश्य भारत के वन क्षेत्र की रक्षा करना, उसे पुनर्स्थापित करना तथा संवर्धन करना एवं जलवायु परिवर्तन का प्रत्युत्तर देना है।
  • मिशन के तहत वन/वृक्ष आवरण में वृद्धि करने एवं मौजूदा वन की गुणवत्ता में सुधार के लिए वन तथा गैर-वन भूमि पर 10 मिलियन हेक्टेयर का लक्ष्य है।

 

गोइंग ग्रीन: आगे की राह

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने का लक्ष्य सरल नहीं रहा, अभी नहीं, कभी नहीं।
  • संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 193 में से मात्र 26 देश जो विगत वर्ष जलवायु परिवर्तन कार्रवाई को बढ़ाने के लिए सहमत हुए थे, उन्होंने ठोस योजनाओं का अनुसरण किया है। क्योंकि वास्तव में चुनौतियां कठिन हैं।
  • पर्यावरण इंजीलवाद को इन परियोजनाओं को संचालित करना होगा, ताकि मूल संस्था (पर्यावरण  एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) के उत्साह, तात्कालिकता एवं गंभीरता को अन्य विभागों द्वारा आत्मसात किया जा सके।
  • सभी आधुनिक राज्य ऊर्जा संक्रमण, गतिशीलता संक्रमण एवं कृषि संक्रमण के क्षेत्रों में चुनौतियों से घिरे हैं।  अतः, स्थानीय समाधानों को तैयार करने में सक्षम क्षमता का निर्माण करना  एवं यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी घोषणाओं को समयबद्ध रूप से लागू किया जाए।

 

गोइंग ग्रीन: निष्कर्ष

यद्यपि ये एवं इसी तरह के वृद्धिशील प्रयास अनेक राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति से संभव हुए हैं,  यदि उचित प्रकार से लागू किए जाते हैं, तो स्वयं को एक हरा भरा परिदृश्य प्रदान करेंगे।

 

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