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सी-295 मालवाहक विमान निर्माण केंद्र- निजी क्षेत्र में देश का प्रथम

सी-295 मालवाहक विमान निर्माण केंद्र- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सी-295 परिवहन विमान: भारत के प्रथम निजी सी-295 मालवाहक विमान निर्माण केंद्र (ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी) की स्थापना से रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। सी-295 परिवहन विमान निर्माण केंद्र यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (समसामयिकी) एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दों के लिए महत्वपूर्ण है। )

C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी: चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा में C-295 परिवहन विमान निर्माण केंद्र – निजी क्षेत्र में देश के प्रथम विमान निर्माण केंद्र- की आधारशिला रखी।
  • कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, प्रधानमंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया, जिसमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अंतर्गत विमानन उद्योग में तकनीकी तथा विनिर्माण प्रगति को प्रदर्शित किया गया था।

 

C-295 मालवाहक विमान निर्माण केंद्र/ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी

  • मालवाहक विमान निर्माण केंद्र के बारे में: C-295 मालवाहक विमान निर्माण केंद्र भारतीय वायु सेना ( इंडियन एयर फोर्स/IAF) के लिए C-295 विमानों का निर्माण करेगी।
    • यह अपनी तरह की प्रथम परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।
  • सहयोगः टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड एवं एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एस.ए., स्पेन के सहयोग से सी-295  मालवाहक विमान विनिर्माण केंद्र की स्थापना की जा रही है।
  • लागत: सी-295 विमान निर्माण केंद्र परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है। विमान का  उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।

 

सी-295 मालवाहक विमानों की डिलीवरी के लिए समय सीमा

  • सोलह (16) विमान उड़ान हेतु तैयार स्थिति में (फ्लाईअवे कंडीशन) में आपूर्ति किए जाएंगे। वे सितंबर 2023 एवं अगस्त 2025 के मध्य प्राप्त होने वाले हैं।
  • शेष चालीस (40) विमानों का का निर्माण वडोदरा विनिर्माण केंद्र में किया जाएगा। प्रथम मेड इन इंडिया विमान सितंबर 2026 से अपेक्षित है।

 

C-295 मालवाहक विमान क्या है?

  • C-295 मालवाहक विमान के बारे में: सी-295 समकालीन प्रौद्योगिकी के साथ 5-10 टन क्षमता का एक मालवाहक अथवा परिवहन विमान है जो भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो विमान का स्थान लेगा।
    • मजबूत तथा विश्वसनीय, यह एक बहुमुखी एवं कुशल सामरिक परिवहन विमान है जो कई अलग-अलग मिशनों को पूरा कर सकता है।
  • क्षमता: विमान, 11 घंटे तक की उड़ान सह्यता के साथ, सभी मौसमों में बहु-भूमिका संचालन कर सकता है।
    • यह नियमित रूप से दिन के साथ-साथ रात्रि के युद्ध अभियानों को मरुस्थल से लेकर समुद्री वातावरण तक   में संचालित कर सकता है।
    • इसमें त्वरित प्रतिक्रिया एवं सैनिकों तथा कार्गो के पैरा ड्रॉपिंग के लिए एक रियर रैंप द्वार है। अर्ध- निर्मित सतहों से लघु उड़ान (शॉर्ट टेक-ऑफ) / लैंड इसकी एक अन्य विशेषता है।

 

सी-295 परिवहन विमान निर्माण केंद्र का महत्व

  • आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन देना: यह परियोजना भारतीय निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी गहन एवं अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक विशिष्ट अवसर प्रदान करती है।
    • यह घरेलू विमानन निर्माण में वृद्धि करेगा जिसके परिणामस्वरूप आयात पर निर्भरता कम होगी तथा निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी।
    • भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की आपूर्ति पूर्ण होने के पश्चात, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में निर्मित विमानों को सिविल ऑपरेटरों को बेचने तथा उन देशों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें भारत सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।
  • रोजगार सृजन: टाटा कंसोर्टियम ने सात राज्यों में विस्तृत 125 से अधिक  देश में स्थित सूक्ष्म लघु एवं मध्यम इकाइयों (इन-कंट्री एमएसएमई) के आपूर्तिकर्ताओं की पहचान की है। यह देश के विमानन पारिस्थितिकी तंत्र (एयरोस्पेस इकोसिस्टम) में रोजगार सृजन में उत्प्रेरक का काम करेगा।
    • इससे भारत के विमानन एवं रक्षा क्षेत्र में 600 अत्यधिक कुशल रोजगार, 3,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार एवं 3,000 अतिरिक्त मध्यम कौशल रोजगार के अवसर सृजित होने की अपेक्षा है।
    • लगभग 240 इंजीनियरों को स्पेन में एयरबस केंद्र में प्रशिक्षित किया जाएगा।

 

यूपीएससी प्रीलिम्स बिट्स: 31 अक्टूबर, 2022 सी 295 एमडब्ल्यू मालवाहक विमान: एक ऐतिहासिक क्षण! सीआरएआर क्या है: एक बैंक को सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता क्यों है? भारत-अफ्रीका रक्षा सहयोग

 

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संपादकीय विश्लेषण: गोइंग ग्रीन अफ्रीकी स्वाइन फ्लू मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान/डेजर्ट नेशनल पार्क जतिंद्र नाथ दास
manish

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