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बुजुर्ग आबादी के मुद्दे: प्रासंगिकता
- जीएस 1: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता
भारत में बुजुर्ग आबादी: प्रसंग
- दुनिया भर के देश जनसांख्यिकीय लाभांश -जनसंख्या विस्फोट के वेश में एक वरदान की ओर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारत में वरिष्ठ नागरिक: मुख्य बिंदु
- भारत में सरकार युवा पीढ़ी हेतु शिक्षा, उद्यमिता, खेल प्रशिक्षण से लेकर नवाचार एवं उद्यमिता तक अनेक उपाय कर रही है।
- एनएफएचएस-5, यद्यपि, यह दर्शाता है कि अत्यधिक प्रगति हुई है, फिर भी शिशु एवं बाल स्वास्थ्य के लिए मात्रक (मैट्रिक्स) निराशाजनक बना हुआ है।
- यद्यपि युवा पीढ़ी को उन लाभों के प्रति ध्यान देना चाहिए जो उचित समय पर उपयुक्त मंच प्रदान किए जाने पर वे अर्जित करेंगे, समाज की बुजुर्ग आबादी (60 वर्ष से अधिक आयु वालों) पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
बुजुर्ग आबादी पर फोकस: आवश्यक क्यों?
- भारत में जीवन प्रत्याशा 50 (1970-75) से बढ़कर 70 वर्ष (2014-18) हो गई है;
- बुजुर्गों की संख्या पहले से ही 137 मिलियन है एवं 2031 में 40% बढ़कर 195 मिलियन तथा 2050 तक 300 मिलियन होने की संभावना है।
बुजुर्ग: संपत्ति अथवा आश्रित?
- जबकि एक दृष्टिकोण उन्हें आश्रितों के रूप में देखेगा, एक पृथक दृष्टिकोण उन्हें संभावित संपत्ति : अनुभवी, सुविज्ञ (जानकार) व्यक्तियों के एक विशाल संसाधन के रूप में देखेगा।
- उन्हें आश्रितों से समाज के उत्पादक सदस्यों में परिवर्तित करना दो प्राथमिक कारकों: उनके स्वास्थ्य एवं उनकी क्षमताओं पर निर्भर करता है।
बुजुर्ग आबादी के मुद्दे
- पारिवारिक उपेक्षा, निम्न शिक्षा स्तर, सामाजिक-सांस्कृतिक विश्वास एवं कलंक, संस्थागत स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर कम विश्वास एवं सामर्थ्य बुजुर्ग आबादी के मुद्दों को और गहन कर देता है।
- भारत में पहले लोंगिट्युडिनल एजिंग स्टडी (लासी) के अनुसार, 11% बुजुर्ग कम से कम एक प्रकार की दुर्बलता (चलन, मानसिक, दृश्य एवं श्रवण) से पीड़ित हैं।
- हृदय रोग (सीवीडी) की व्यापकता 60-74 आयु के वृद्धों में 34% होने का अनुमान है।
- अपर्याप्त सरकारी योजनाएं: नीति आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि 400 मिलियन भारतीयों के पास स्वास्थ्य व्यय हेतु कोई वित्तीय आच्छादन नहीं है। आयुष्मान भारत एवं केंद्र तथा राज्यों द्वारा पेंशन योजनाओं के बावजूद, बहुत बड़ी संख्या में बुजुर्ग आच्छादित नहीं हैं।
- बुजुर्गों को समर्पित कोई बिस्तर / वार्ड नहीं: 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में बुजुर्गों को समर्पित एक भी वार्ड / बिस्तर नहीं है।
आवश्यक कदम
- बुजुर्गों को गुणवत्तापूर्ण, वहनयोग्य एवं सुलभ स्वास्थ्य तथा देखभाल सेवाएं प्रदान करना।
- वरिष्ठ प्रथम दृष्टिकोण: कोविड-19 टीकाकरण, पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए, राज्य की बुजुर्ग आबादी के प्रति देखभाल करने वाली छवि को चित्रित करता है।
- उनके लिए पर्याप्त सेवाओं का निर्माण करना क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सर्वाधिक विविध श्रेणी की आवश्यकता होती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यय में वृद्धि करना एवं अच्छी तरह से सुसज्जित एवं कर्मचारियों से युक्त चिकित्सा देखभाल सुविधाओं तथा घरेलू स्वास्थ्य देखभाल एवं पुनर्वास सेवाओं के निर्माण में निवेश करना।
- बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई), आयुष्मान भारत एवं पीएम-जेएवाई जैसे कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में गति लाना एवं विस्तार करना।
- डिजिटल साक्षरता अभियान: राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु।