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भारत की वृद्ध जनसंख्या: दीर्घायु वित्त पर विशेषज्ञ समिति
प्रासंगिकता
- जीएस 1: जनसंख्या और संबंधित मुद्दे।
- जीएस 2: केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
प्रसंग
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) नेजीआईएफटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी) आईएफएससी में दीर्घायु वित्त केंद्र बनाने के लिए एक दिशा-निर्देश विकसित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।
मुख्य बिंदु
- वैश्विक अनुमानों के अनुसार, वर्तमान में, एक अरब लोग हैं जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है—जिन्हें सिल्वर जेनरेशन कहा जाता है।
- औषधीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास उनकी दीर्घायु को सहयोग करेगा और उनके जीवन काल का विस्तार करेगा।
- एक अनुमान के अनुसार, 2040 तक सिल्वर जेनरेशन के सदस्यों की संख्या 20 वर्ष से कम आयु वालों की तुलना में अधिक होगी।
- दीर्घायु वित्त केंद्र का विकास उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करने की दिशा में एक कदम है।
भारत के अधोमुखी जरण (वृद्धता) का अध्ययन (लासी) रिपोर्ट:-
- रिपोर्ट के बारे में
o स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएच एंड एफडब्ल्यू) ने दिसंबर 2020 में लासी वेव-1 रिपोर्ट जारी की।
o यह भारत का प्रथम एवं विश्व का सर्वाधिक वृहद सर्वेक्षण था जिसमें वरिष्ठ नागरिकों का एक अधोमुखी डेटाबेस उपलब्ध कराया गया था ताकि सरकार उनके लिए अधिक संवेदनशील नीतियां निर्मित कर सके।
o इसमें 45 वर्ष और उससे अधिक आयु की जनसंख्या सम्मिलित थी ।
- निष्कर्ष
o 2050 में वृद्धजनों की संख्या बढ़कर 319 मिलियन हो जाएगी, जो प्रतिवर्ष 3% की दर से वृद्धि कर रही है।
o 75% वृद्धजन किसी न किसी रूप में दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित हैं।
o उनमें से 40% में कुछ विकलांगता की समस्या है और 20% में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हैं।
o बहु रुग्णता की स्थिति केरल, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, गोवा और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों में सिल्वर पापुलेशन के मध्य अधिक व्याप्त हैं।
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वृद्ध जनसंख्या के मुद्दे
- आर्थिक
- परिवार की दुर्बल वित्तीय स्थिति प्रायः वृद्धजनों को अंतिम प्राप्तकर्ता के रूप में रखती है। उन्हें आवश्यक पोषण नहीं प्राप्त होता है और वे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होते हैं।
- स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि: आयु में वृद्धि के साथ, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि हो जाती है। परिवार अपनी परिस्थिति की मांग के कारण, कभी आर्थिक समस्या के कारण तो कभी पूर्ण संवेदनहीनता के कारण अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते हैं।
- सामाजिक
- स्थान का अभाव: परिवार के सदस्यों में वृद्धि के साथ, वृद्धजनों को प्राय: छोड़ दिया जाता है और उन्हें अपेक्षित स्थान प्रदान नहीं किया जाता है।
- नैतिक मूल्य प्रणाली में ह्रास: एकल परिवार की अवधारणा ने परिवार में वृद्ध जनसंख्या के महत्व को कम कर दिया है। सामाजिक अलगाव ने इन व्यक्तियों को मानसिक तनाव की स्थिति में डाल दिया है।
- स्वास्थ्य
- वृद्धजनों के दीर्घकालिक रोग एक अन्य कारण है कि वे गतिहीन हो जाते हैं और सदस्य उन्हें परिवार पर बोझ समझते हैं।
- बुजुर्ग महिलाओं के मुद्दे: पुरुषों के विपरीत महिलाओं को सामाजिक अलगाव और महिलाओं के लिए विशिष्ट कुछ स्वास्थ्य मुद्दों के कारण अधिक अलगाव का सामना करना पड़ता है
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समाधान की आवश्यकता
- सामाजिक गतिशीलता में परिवर्तन लाकर: परिवार एवं मित्रों के साथ जुड़े रहना और यह सुनिश्चित करना कि उनके वित्तीय और कानूनी मामले व्यवस्थित हों, परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।।
- वर्तमान समय में इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 को प्रभावी ढंग से संशोधित किया जाना चाहिए।
- पीएम वय वंदना योजना, राष्ट्रीय वयोश्री योजना, अटल पेंशन योजना जैसे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का का नियमित अनुश्रवण किया जाना चाहिए एवं वास्तविक लाभार्थियों को लाभ प्राप्त होना चाहिए।
- जराचिकित्सीय देखभाल स्वास्थ्य अवसंरचना का, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, ध्यान रखा जाना चाहिए।
- पुस्तकालयों और क्लबों जैसी मनोरंजन सुविधाओं की व्यवस्था जमीनी स्तर पर की जानी चाहिए।
- प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को लागू करते समय वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।
आगे की राह
सामाजिक सुरक्षा आठवीं अनुसूची की समवर्ती सूची के अंतर्गत आती है। इसका तात्पर्य है कि सिल्वर जेनरेशन की देखभाल का उत्तरदायित्व केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों का है।
वरिष्ठ नागरिकों पर राष्ट्रीय नीति, 2011 को एक नई नीति के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जो इस मुद्दे को व्यापक रूप से संबोधित करती है।
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