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शून्य अभियान

शून्य अभियान- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
    • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

शून्य अभियान चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, नीति आयोग ने भारत के शून्य प्रदूषण ई-गतिशीलता अभियान, शून्य के एक वर्ष की वर्षगांठ मनाने के लिए एक दिवसीय मंच का आयोजन किया।
  • कार्यक्रम के दौरान उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल/एसीसी) ऊर्जा भंडारण (भाग III) रिपोर्ट पर राष्ट्रीय कार्यक्रम भी विमोचित किया गया।
  • रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 2030 तक 106-260 गीगा वाट प्रति घंटे की अनुमानित संचयी बैटरी मांग को पूरा करने के लिए उन्नत रसायन विज्ञान सेल (ACC) ऊर्जा भंडारण हेतु भारत की 2.5 बिलियन डॉलर की उत्पादन- सहलग्न प्रोत्साहन (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव/PLI) योजना महत्वपूर्ण है।
    • यह  विद्युत वाहनों (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स/ईवी) को अपनाने एवं ग्रिड विकार्बनीकरण (डीकार्बोनाइजेशन) के लिए देश के दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक साकार करने के लिए है।

 

शून्य अभियान की आवश्यकता

  • तीव्र वैश्विक शहरीकरण एवं ई-कॉमर्स की बिक्री शहरी माल ढुलाई एवं गतिशीलता की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि कर रही है। भारत में, इन क्षेत्रों के 2030 तक 8% की सीएजीआर से बढ़ने की संभावना है।
  • यदि यह मांग आंतरिक दहन वाहनों (इंटरनल कंबशन व्हीकल/आईसीई) द्वारा पूरी की जाती है, तो इससे स्थानीय वायु प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • इलेक्ट्रिक वाहन इन चुनौतियों से निपटने का अवसर प्रदान करते हैं। आंतरिक दहन वाहनों की तुलना में,  इलेक्ट्रिक वाहन टेलपाइप पर कणिकीय पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर/पीएम) अथवा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन नहीं करते हैं; वे 60% कम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं तथा उनकी परिचालन लागत 75% कम होती है।
  • शून्य अभियान भारत में मौजूदा राष्ट्रीय एवं उप-राष्ट्रीय विद्युत वाहन नीतियों के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रयासों को भी पूरक बनता है, जिससे भारतीय शहरों में उपभोक्ता जागरूकता एवं शून्य प्रदूषण सवारी तथा  वितरण की मांग उत्पन्न होती है।

 

शून्य अभियान

  • शून्य अभियान के बारे में: शून्य राइड-हेलिंग एवं वितरण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स/ईवी) के उपयोग को प्रोत्साहित कर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान है।
  • भागीदारी: शून्य अभियान में 130 उद्योग भागीदार हैं, जिनमें राइड-हेलिंग, वितरण एवं इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां शामिल हैं।
  • प्रदर्शन: अप्रैल 2022 तक, शून्य अभियान के माध्यम से कॉर्पोरेट भागीदारों द्वारा पूरी की गई इलेक्ट्रिक  वितरण एवं सवारी की अनुमानित संख्या क्रमशः 20 मिलियन एवं 15 मिलियन के करीब थी।
    • यह 13,000 टन से अधिक की कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बचत का परिवर्तन करता है।
  • महत्व: यदि भारत में सभी अंतिम  बिंदु तक वितरण एवं सवारी शून्य होती, तो भारत वायु गुणवत्ता में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य लागत को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि करने तथा अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर होता।
  • संभावना: भारत में सवारी एवं वितरण सेक्टर का विद्युतीकरण लगभग 54 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, 16,800 टन कणिकीय पदार्थ उत्सर्जन तथा 537,000 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण को कम कर सकता है, जिससे एक वर्ष में व्यय में लगभग 5.7 लाख करोड़ की बचत होगी।
    • शून्य अभियान कार्बन उत्सर्जन को कम करने एवं इसके 2070 जलवायु लक्ष्यों को सुरक्षित करने हेतु सीओपी 26 में घोषित भारत के पांच सूत्री एजेंडा (पंचामृत) का समर्थन करते हुए, परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी ला सकता है।

 

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