निजता का अधिकार- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
सामान्य अध्ययन II- संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा के मूलभूत तथ्य; धन शोधन एवं इसकी रोकथाम।
निजता का अधिकार चर्चा में क्यों है?
- पुट्टास्वामी वाद में पांच वर्ष पूर्व के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने बलपूर्वक कहा था कि भारतीयों के पास संवैधानिक रूप से संरक्षित निजता का मौलिक अधिकार है।
निजता के अधिकार को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है:
- अकेले रहने का अधिकार।
- किसी भी अनुचित सार्वजनिकता से मुक्त होने का व्यक्ति का अधिकार।
- उन मामलों में जनता द्वारा बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के जीने का अधिकार, जिनसे जनता का संबंध आवश्यक नहीं है।
डेटा क्या है?
- डेटा असतत मूल्यों का एक संग्रह है जो मात्रा, गुणवत्ता, तथ्य, सांख्यिकी, अर्थ की अन्य बुनियादी इकाइयों, या केवल प्रतीकों के अनुक्रमों का वर्णन करते हुए सूचनाओं को प्रकट करता है जिसे आगे व्याख्यायित किया जा सकता है।
डेटा सुरक्षा एवं डेटा गोपनीयता के मध्य अंतर
- डेटा सुरक्षा उन नीतियों एवं प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जो अपने व्यक्तिगत डेटा के संग्रह तथा उपयोग के कारण किसी व्यक्ति की गोपनीयता में अनुचित हस्तक्षेप को कम करने की मांग करते हैं जबकि डेटा गोपनीयता डेटा तक पहुंच को नियंत्रित करने को संदर्भित करती है।
- संगठनों को यह निर्धारित करना होगा कि गोपनीयता भंग के रूप में डेटा तक किसके पास पहुंच है, जिससे डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- डेटा सुरक्षा विशेष रूप से हेरफेर एवं मैलवेयर के विरुद्ध डेटा की समग्रता की रक्षा के लिए किए गए उपायों को संदर्भित करती है एवं आंतरिक तथा बाहरी खतरों के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।
हमें डेटा सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है?
- इंटरनेट का बढ़ता उपयोग: भारत में वर्तमान में 750 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनकी संख्या भविष्य में केवल बढ़ने की संभावना है।
- डेटा भंग: साथ ही, भारत विश्व में सर्वाधिक डेटा उल्लंघन वाले स्थानों में से एक है। एक डेटा संरक्षण कानून के बिना, लाखों भारतीयों के डेटा का उनकी सहमति के बिना शोषण, बिक्री एवं दुरुपयोग होने का खतरा बना हुआ है।
- व्यक्तिगत निजता: व्यक्तिगत निजता की कीमत पर डेटा मुद्रीकरण हो सकता है। सर्वाधिक मांग वाले आंकड़ों के समुच्चय (डेटासेट) वे हैं जिनमें व्यक्तियों के संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा होते हैं, उदाहरण के लिए चिकित्सा इतिहास, वित्तीय डेटा।
भारत में डेटा सुरक्षा
- डेटा निजता अथवा डेटा गोपनीयता भंग जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत, संवेदनशील डेटा की हानि एवं चोरी होती है, मापने योग्य आवृत्ति अथवा उनके प्रभाव के संदर्भ में कम नहीं हुई है।
- निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी, जिसे 2017 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जीवन तथा स्वतंत्रता के अधिकार के तहत समाविष्ट किया गया था।
- डेटा संग्रह को विनियमित करने एवं एक निगरानी तंत्र के रूप में कार्य करने के लिए एक कानून के बिना, गोपनीयता तथा अन्य अधिकारों के उल्लंघन के बारे में वैध चिंताएं उत्पन्न होती रहती हैं।
- कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एवं बिग डेटा जैसी तकनीकों को लागू करना महंगा है।
- ज्ञान कोष (रिपोजिटरी)/डेटाबेस की समग्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित रक्षोपाय करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह सूचना को लीक न करे एवं इसका निजीकरण अथवा मुद्रीकरण न हो।
- चूंकि एकत्र किए गए डेटा का उपयोग आपराधिक मुकदमे के दौरान विधि के न्यायालय में किया जा सकता है, अतः मानकों एवं प्रक्रियाओं के साथ-साथ डेटा की विश्वसनीयता तथा स्वीकार्यता को ध्यान में रखा जाएगा। इसलिए, डेटा की प्रामाणिकता महत्वपूर्ण है।
समय की मांग
- सुदृढ़ डेटा संरक्षण कानून की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि डिजिटलीकरण व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने पर निर्भर करता है जिसमें संवेदनशील डेटा की चोरी का जोखिम शामिल होता है जो किसी व्यक्ति के साथ-साथ पूरे देश के लिए खतरनाक हो सकता है।