हेडिंग द जी20 एंड न्यू डेल्हीज चॉइसेज- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
हेडिंग द जी20 एंड न्यू डेल्हीज चॉइसेज
- लगभग तीन माह में, भारत प्रथम बार 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक जी-20 समूह (G20) उड़े वर्ष के लिए के अध्यक्ष का पद ग्रहण करेगा, जिसका समापन 2023 में भारत में G20 शिखर सम्मेलन के साथ होगा।
भारत में G20 शिखर सम्मेलन 2023
- भारत में G20 शिखर सम्मेलन 2023 की मेजबानी भारत की जी-20 की अध्यक्षता (1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक) की परिणति के रूप में की जाएगी।
- बाद के महीनों में भारत में 19 शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं एवं यूरोपीय संघ (यूरोपियन यूनियन/ईयू) से बने जी20 के सैकड़ों मंत्रियों, अधिकारियों, राजनयिकों, व्यापारियों, गैर-सरकारी संगठनों, कार्य समूहों एवं संबंधित समूहों के साथ 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करेगा।
- भारत ने 1983 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नॉन एलाइनमेंट मूवमेंट/NAM) शिखर सम्मेलन एवं 2015 में तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की मेजबानी की है, किंतु G20 की मेजबानी के साथ कुछ भी तुलना नहीं करता है।
जी-20 का महत्व
- G20 वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर विश्व का अनौपचारिक संचालन निदेशालय है। G20 आज विश्व के समक्ष उपस्थित होने वाली प्रमुख चुनौतियों पर निर्णय लेने को आकार देने का उत्तरदायित्व ग्रहण करता है।
- G20 शिखर सम्मेलन से पूर्व बड़ी मात्रा में प्रारंभिक विचार-विमर्श किया जाता है जो अंतिम परिणाम में शामिल होता है।
- G20 की सदस्यता विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 90%, वैश्विक व्यापार का 80% एवं ग्रह की आबादी का 67% प्रतिनिधित्व करती है।
- यह एक सलाहकार निकाय है, संधि-आधारित मंच नहीं है एवं इसलिए, इसके निर्णय अपने स्वयं के सदस्यों के लिए सिफारिशें हैं।
- इस शक्तिशाली सदस्यता का भार भारी राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव रखता है।
- इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अन्य बहुपक्षीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व जी20 को एक अतुलनीय निकाय बनाता है।
G20 समूह द्वारा सामना की जाने वाली समसामयिक चुनौतियाँ
- यहां तक कि वर्तमान अध्यक्ष इंडोनेशिया को भी 2022 बाली शिखर सम्मेलन (नवंबर में) के लिए निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां सभी G20 नेता एक ही कमरे में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते हैं।
- नोवेल कोरोना वायरस महामारी का विनाशकारी प्रभाव,
- यूक्रेन में युद्ध,
- भारत-चीन सीमा तनाव,
- ईयू/यू.एस.-रूस शत्रुता, एवं
- खराब हो रहे अमेरिका-चीन संबंध
- G20 शिखर सम्मेलन 2023 में, भारत का मिशन न केवल G20 को बचाना होगा, बल्कि समूह के बहु-आयामी एजेंडा के विविध क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग का भविष्य भी होगा।
- बाली में परिणाम दिल्ली शिखर सम्मेलन को प्रभावित करेंगे।
- भारतीय अधिकारी इस प्रकार सावधानीपूर्वक अपनी रणनीति की योजना बना रहे हैं क्योंकि भारत पर अध्यक्ष पद का भार एवं प्रतिष्ठा प्रदत्त हैं।
जी-20 का नेतृत्व एवं नई दिल्ली की पसंद
जी-20 समूह के अध्यक्ष एवं मेजबान के रूप में, भारत को भारत के राष्ट्रीय हित को प्रोत्साहित करने, G20 पर अपनी छाप छोड़ने एवं वैश्विक शासन के एक प्रभावी साधन के रूप में अपनी प्रधानता बनाए रखने की त्रिपक्षीय प्रेरणा द्वारा निर्देशित किया जाता है।
- ब्रांड इंडिया को प्रोत्साहित करना: जी-20 की अध्यक्षता भारत की हालिया उपलब्धियों के लिए एक विशिष्ट ब्रांडिंग अवसर प्रदान करती है, जिसमें वैक्सीन सहायता एवं कूटनीति के माध्यम से देश तथा विदेश में प्रभावी ढंग से कोविड-19 का मुकाबला करने की क्षमता शामिल है। अन्य प्रमुख उपलब्धियां हैं-
- भारत की डिजिटल क्रांति,
- नवीकरणीय ऊर्जा पर स्विच करने में इसकी निरंतर प्रगति,
- जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए अपने लक्ष्यों को पूरा करना, एवं
- वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण एवं उन्हें पुनः आकार देने में आत्मनिर्भरता हेतु इसका बल।
- उद्यमिता में नए रुझान, व्यापार नवाचार, यूनिकॉर्न के रूप में अनेक स्टार्ट- अप्स का उदय एवं लैंगिक प्रगति।
- इसका उपयोग आकर्षक निवेश एवं पर्यटन गंतव्य निर्मित करने हेतु भारत के उप-इष्टतम भौतिक आधारिक संरचना को परिवर्तित करने हेतु भी किया जा सकता है, विशेष रूप से अनेक महत्वपूर्ण G20 बैठकें दिल्ली के बाहर आयोजित की जाएंगी।
- ग्लोबल साउथ के नेतृत्व का दावा: शक्तिशाली आर्थिक खिलाड़ी बनने की राह पर चार लोकतंत्र – इंडोनेशिया, भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका – दिसंबर 2021 से नवंबर 2025 तक अध्यक्ष के पद पर हैं।
- यह विकासशील विश्व के हितों को आगे बढ़ाने एवं वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के उनके संयुक्त नेतृत्व पर बल देने हेतु सामंजस्य एवं एकजुटता के लिए एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है।
- इब्सा (आईबीएसए) को प्रोत्साहित करना: एक असाधारण संयोग यह है कि इब्सा के सभी तीन सदस्य- भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका- 2023, 2024 तथा 2025 में लगातार जी20 की अध्यक्षता करेंगे।
- इब्सा को, संभवतः बाली शिखर सम्मेलन के अवसर पर ग्लोबल साउथ की प्राथमिकता वाली चिंताओं को प्रोजेक्ट करने के लिए एक समेकित योजना विकसित करने के लिए अपने शीर्ष नेताओं की एक अनौपचारिक बैठक आहूत कर एक त्वरित कायाकल्प की आवश्यकता है।
- भारत को एक प्रमुख वैश्विक राजनयिक के रूप में पेश करना: G20 अध्यक्ष के रूप में, भारत मंच के सभी घटकों के पृथक पृथक हितों को संश्लेषित करने के लिए G20 एजेंडा के व्यापक दृष्टिकोण को अंगीकृत करने हेतु बाध्य होगा:
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य,
- जी-7 के झंडे तले एकजुट हुए विकसित विश्व,
- ब्रिक्स के पांच सदस्य, एवं
- जी-20 के अन्य सदस्य जैसे अर्जेंटीना एवं मैक्सिको।
- गैर-जी20 सदस्यों के हितों को शामिल करना: अध्यक्ष एवं मेजबान के रूप में, भारत को उन देशों के दृष्टिकोण पर ध्यान देना चाहिए जिनका जी 20 में प्रतिनिधित्व नहीं है।
- भारत वैश्विक मुद्दों के व्यावहारिक एवं मानव-केंद्रित समाधानों के साथ समावेशी दृष्टिकोण का पक्ष पोषण करेगा
- एक महत्वपूर्ण उद्देश्य अफ्रीकी संघ (अफ्रीकन यूनियन/एयू) को स्थायी पर्यवेक्षक से जी 20 के पूर्ण सदस्य के रूप में उन्नत कर अफ्रीका की उपेक्षा को समाप्त करना होना चाहिए, इस प्रकार इसे यूरोपीय संघ के समकक्ष रखना चाहिए।
निष्कर्ष
- भारत को भारत-केंद्रित दृष्टिकोण को जोड़ना चाहिए, वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण हितों को प्रोत्साहित करना चाहिए एवं पश्चिमी देशों, रूस तथा चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी एवं विरोधी शक्ति केंद्रों के दृष्टिकोणों के साथ संवाद करने एवं सामंजस्य स्थापित करने हेतु राजनयिक कौशल का प्रदर्शन करना चाहिए।